Stresslaxing: तनाव कम करने के चक्कर में लेते हैं और ज्यादा स्ट्रेस..हो सकते हैं Stresslaxing के शिकार, जानिए क्या कहती है स्टडी

जो लोग एंग्जाइटी के साथ जीते हैं उन्हें अपने विचार रखने में कठिनाई होती है. इसके विपरीत कुछ लोग खुद को बिजी रखते हैं क्योंकि खाली समय में उनके दिमाग में नकारात्मक विचार आने लगते हैं. लोगों को बाहरी दबाव और आंतरिक गतिशीलता के कारण आराम करना मुश्किल लगता है.

Stresslaxing
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST
  • क्या दिमाग को नहीं पड़ती आराम की जरूरत
  • stresslaxed हो रहे लोग

तनाव जीवन का अनिवार्य हिस्सा है जिससे बचा नहीं जा सकता. हालांकि ये पहचानना कि आप तनावग्रत हैं और आपको इससे छुटकारा पाने की कोशिश करनी चाहिए. लेकिन कई बार खुद को स्ट्रेस फ्री रखने की कोशिश में हम खुद को और ज्यादा तनाव देने लगते हैं. स्टडी के मुताबिक जब लोग खुद को स्ट्रेस फ्री रहने पर मजबूर करते हैं, तो वे और ज्यादा टेंशन लेने लगते हैं.

stresslaxed हो रहे लोग
क्लिनिकल टर्म में इसे “stresslaxed” कहा जाता है. शोध से पता चलता है कि अगर आप पहले से ही एंग्जाइटी और ओवरथिंकिंग से जूझ रहे हैं, तो आपके तनावग्रस्त होने की संभावना ज्यादा हो सकती है. stresslaxing से जूझ रहे लोगों को पैनिक अटैक भी हो सकता है इसके अलावा ऐसे भी लोग हैं जोकि आराम न मिलने के कारण डिप्रेशन में चले जाते हैं.

क्या दिमाग को नहीं पड़ती आराम की जरूरत
दिमाग को जबरन आराम की जरूरत नहीं होती है, दिमाग का वह हिस्सा जिसे एमिग्डाला कहा जाता है, हमेशा खतरे की तलाश में रहता है. रिसर्चर्स कहते हैं, हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि हमारा ध्यान हमेशा ऑन रहता है और उसे परेशान रहने के लिए डिजाइन किया गया है. आखिरकार, एंग्जाइटी हमें जीवित रख सकती है क्योंकि हम हमेशा संभावित खतरों से अवगत रहते हैं.

लोगों के पास आराम करने का समय नहीं
जो लोग एंग्जाइटी के साथ जीते हैं उन्हें अपने विचार रखने में कठिनाई होती है. इसके विपरीत कुछ लोग खुद को बिजी रखते हैं क्योंकि खाली समय में उनके दिमाग में नकारात्मक विचार आने लगते हैं. लोगों को बाहरी दबाव और आंतरिक गतिशीलता के कारण आराम करना मुश्किल लगता है. बाहरी दबाव जैसे घर-परिवार और काम की चिंता लोगों को ऐसा महसूस करा सकती हैं जैसे वे लगातार बाहरी दुनिया से जुड़े हुए हैं और दूसरों के इशारे पर काम कर रहे हैं. ऐसे में लोगों को आराम करने का समय नहीं मिल पाता.

पहले वर्कडे शाम 5 बजे तक खत्म हो जाता था और वीकेंड आराम के लिए होते थे, जिससे घर पर समय बिताना और आराम करना आसान हो जाता था. लेकिन अब काम के समय और खाली समय की कोई निश्चित सीमा नहीं रह गई है. तनाव लोगों को दुखी और चिड़चिड़ा बना देता है. तनाव का प्रमुख कारण चिंता है. इसलिए तनाव को कम करने के लिए तनाव न लें.
 

 

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