दुबले-पतले लोगों में भी हो सकती है लीवर से जुड़ी दिक्कतें! जानिए क्या कहता है नया रिसर्च

दुनिया भर में मोटापे से ग्रस्त लोगों में लिवर में फैट जमा होने के कारण कई दिक्कतें पाई जाती हैं, जैसे कि लिवर की सूजन और लिवर रोग. लेकिन अब अब एक पेचीदा शोध सामने आया है, जिसके चलते दुबले और सामान्य वजन वाले व्यक्तियों, या फिर वो स्वस्थ आहार का पालन करते हैं, उनमें भी फैटी लिवर पाया गया है. 

दुबले और स्वस्थ आहार खाने वालों में लिवर की समस्या का मिल गया कारण
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:50 PM IST
  • दुबले लोगों में भी हो सकती है लिवर रोग की दिक्कत
  • दो जीन देते हैं लिवर कैंसर को बढ़ावा
  • अब मिल पाएगा मरीजों को बेहतर इलाज

लिवर हमारे शरीर का काफी महत्वपूर्ण अंग है. आज तक ऐसा माना जाता है कि केवल मोटे लोगों को ही फैटी लिवर की परेशानी हो सकती है. लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में ये पाया गया है कि ऐसा नहीं है. एक नए अध्ययन ने दो जीन (gene) की पहचान की गई है, जिन्हें पहले कैंसर होने का कारक माना जाता था, लेकिन इस नए अध्ययन में पता चला है कि दरअसल ये जीन लिवर की मेटाबॉलिक स्टेट के रेगुलेटर हैं. यह शोध 'नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल' में प्रकाशित हुआ है.

दुबले लोगों में भी हो सकती है लिवर की दिक्कत
दुनिया भर में मोटापे से ग्रस्त लोगों में लिवर में फैट जमा होने के कारण कई दिक्कतें पाई जाती हैं, जैसे कि लिवर की सूजन और लिवर रोग. लेकिन अब अब एक पेचीदा शोध सामने आया है, जिसके चलते दुबले और सामान्य वजन वाले व्यक्तियों, या फिर वो स्वस्थ आहार का पालन करते हैं, उनमें भी फैटी लिवर पाया गया है. 

दो जीन देते हैं लिवर कैंसर को बढ़ावा
अब तक वैज्ञानिकों को पता था कि लिवर कैंसर के मरीजों में दो जीन RNF43 और ZNRF3 म्यूटेट करते हैं. हालांकि, लिवर कैंसर के विकास में उनकी भूमिका अब तक अज्ञात थी. जर्मनी के ड्रेसडेन में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलिक्यूलर सेल बायोलॉजी एंड जेनेटिक्स के शोधकर्ताओं ने बताया है कि इन जीनों के नुकसान या उत्परिवर्तन के कारण लिवर में लिपिड इकट्ठा हो जाता है और सूजन आ जाती है. दरअसल ये शोध उन दो चूहों पर हुआ था, जिन्हें सामान्य आहार दिया जा रहा था. 

अब मिल पाएगा मरीजों को बेहतर इलाज
ये आनुवंशिक परिवर्तन न केवल वसा के संचय को बढ़ाते हैं बल्कि प्रसार में लिवर कोशिकाओं (हेपेटोसाइट्स) की संख्या भी बढ़ाते है. मानव रोगियों में ये परिवर्तन NASH और फैटी लिवर के विकास के जोखिम को भी बढ़ाते हैं और रोगी के जीवित रहने के समय को कम करते हैं. अब इस शोध के बाद लिवर की बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज करने में मदद मिल सकती है, जिससे उन्हें बेहतर इलाज मिल पाएगा. 

दुनिया भर में बढ़ रहे लिवर के मरीज
लिवर हमारे शरीर का केंद्रीय मेटाबॉलिक अंग है, जो विषहरण और पाचन के लिए महत्वपूर्ण है. सिरोसिस, गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग, और गैर-अल्कोहल स्टीटोहेपेटाइटिस, साथ ही साथ लिवर कैंसर जैसी पुरानी लिवर की बीमारियां दुनिया भर में बढ़ रही हैं, जिस कारण हर साल  लगभग दो मिलियन लोगों की मौत होती है. इसलिए लिवर के कारण शरीर में बढ़ रही दिक्कतों का पता लगाना बेहद महत्वपूर्ण है.

अब तक नहीं था इन 2 जीन की भूमिका का अंदाजा
अब तक हुए कैंसर जीनोमिक अध्ययनों में ये पाया गया था कि RNF43 और ZNRF3 जीन कोलन और लिवर कैंसर रोगियों में म्यूटेट होता है, हालांकि, लिवर की बीमारी में इसकी भूमिका का पता नहीं चला था. एमपीआई-सीबीजी में मेरिटक्सेल हच की शोध प्रयोगशाला ने, गुरडन इंस्टीट्यूट (कैम्ब्रिज, यूके) और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सहयोगियों के साथ, अब उन तंत्रों की जांच की है जिनके कारण इन दो जीनों में परिवर्तन लिवर रोगों को बढ़ावा देता है.


 

 

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