Study on Dying: दिल की धड़कन रुक जाने के बाद भी ब्रेन में होती रहती है हलचल, स्टडी में मरीज ने शेयर किया अपना एक्सपीरियंस

किसी भी मरीज को सीपीआर के दौरान जो भी छवियां दिखाई दीं या जो भी आवाज उन्हें सुनाई दी वो उन्हें याद नहीं हैं. दिमाग में चल रही न्यूरोलॉजिकल एक्टिविटी से इसके बारे में पता किया गया.

Process of Dying
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST
  • ब्रेन में होती रहती है हलचल
  • सीपीआर से होती है मदद

क्या दिल की धड़कन रुक जाने के बाद भी ब्रेन में हलचल होती है? दरअसल, इसको लेकर अब एक स्टडी हुई है. जिसमें कहा गया है दिल की धड़कन बंद होने के बाद भी ब्रेन में हलचल होती रहती है. जैसे ही हमारा दिल शांत होता है यानि जब धड़कने बंद हो जाती हैं तो भी हमारे दिमाग में हलचल होती रहती है. इतना ही दिमाग में कई विचार भी चलते रहते हैं. न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने मृत्यु के करीब के अनुभवों के बारे में एक स्टडी की है. इस स्टडी में कार्डियक अरेस्ट से गुजर रहे मरीजों पर रिसर्च की गई है. 

दिल की धड़कन बंद होने पर क्या होता है

ये स्टडी अमेरिका और ब्रिटेन के उन मरीजों पर की गई जो कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) से गुजर चुके थे. बताते चलें, कार्डियक अरेस्ट, दिल के फंक्शन में अचानक कमी, शरीर में अलग-अलग चीजें होने लगती हैं. इसके अलावा, ब्लड प्रेशर कम हो जाता है, जिससे टिश्यू के लिए जो जरूरी ऑक्सीजन होतो है उसमें कमी हो जाती है, जिससे सेल फंक्शन बिगड़ जाता है. 

सीपीआर से कितनी होती है मदद?

सीपीआर अस्थायी रूप से सर्कुलेशन को बनाए रखने का मौका देता है, ये तब तक होता है जब तक कि दिल अच्छे से धड़कना शुरू नहीं कर देता है. हालांकि, यह एक सही विकल्प नहीं है, और जितनी अधिक देरी होती है, ठीक होने की संभावना उतनी ही कम हो जाती है.  इस देरी का हमारे ब्रेन फंक्शन पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह एक पहेली बनी हुई है.

मरते हुए ब्रेन में झांकना 

स्टडी में इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (EEG) का उपयोग करके मरने वाले रोगियों से डेटा इकट्ठा किया गया और सीपीआर के दौरान ब्रेन ऑक्सीजन के लेवल को मापा गया. जिन रोगियों का अध्ययन किया गया, उनमें से केवल कुछ ही लोग इस कठिन परीक्षा से बच पाए, लेकिन उनके अनुभवों से इस स्टडी में कई चीजें सामने आईं. 

जबकि स्टडी में ये भी कहा गया कि किसी भी मरीज को सीपीआर के दौरान जो भी छवियां दिखाई दीं या जो भी आवाज उन्हें सुनाई दी वो उन्हें याद नहीं हैं. दिमाग में चल रही न्यूरोलॉजिकल एक्टिविटी से इसके बारे में पता किया गया. जीवित बचे लोगों में से 40% की  सीपीआर में एक घंटे तक ईईजी रिकॉर्डिंग की गई. 


 

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