Dementia: अध्ययन में खुलासा! बुजुर्गों में भूलने की बीमारी को रोक सकते हैं क्रॉसवर्ड और शतरंज जैसे गेम्स

डिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है बल्कि ये एक लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से संबंधित है. अधिकतर लोग डिमेंशिया को भूलने की बीमारी के नाम से जानते हैं

शतरंज खेलते बुजुर्ग (फोटो सोशल मीडिया)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 11:47 PM IST
  • दुनिया भर में हर साल डिमेंशिया के 10 मिलियन से अधिक नए मामले आते हैं सामने 
  • डिमेंशिया को लोग भूलने की बीमारी नाम से भी जानते हैं

क्रॉसवर्ड, सुडोकू, पहेलियां, कार्ड और शतरंज जैसे खेल खेलने से वृद्ध लोगों में डिमेंशिया को रोका जा सकता है. जी हां, एक अध्ययन में यह बात सामने आई है. अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल जेएएमए नेटवर्क ओपन में प्रकाशित रिसर्च में बताया गया है कि कंप्यूटर पर क्रॉसवर्ड और शतरंज जैसे खेल बुजुर्गों के मनोभ्रंश को कम कर सकते हैं. आइए रिसर्च को जानने से पहले जान लेते हैं क्या है डिमेंशिया?

क्या है डिमेंशिया
डिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है बल्कि ये एक लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से संबंधित है. अधिकतर लोग डिमेंशिया को भूलने की बीमारी के नाम से जानते हैं. यह बीमारी 65 वर्ष से अधिक उम्र के 10 लोगों में से एक को और 85 साल के उम्र के चार में से एक को प्रभावित करती है. 65 साल से कम उम्र के लोग भी इस बीमारी से ग्रस्त हैं, जिसे अल्जाइमर की शुरुआत के रूप में जाना जाता है.

साथियों की तुलना में डिमेंशिया की संभावना कम
शोधकर्ताओं ने 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 10,318 आस्ट्रेलियाई लोगों के आंकड़े एकत्र किए. उन्होंने पाया कि जो प्रतिभागी नियमित रूप से कंप्यूटर पर क्रॉसवर्ड और शतरंज जैसे खेल खेलते हैं, उनमें अपने साथियों की तुलना में डिमेंशिया की संभावना 9 से 11 प्रतिशत तक कम थी. बुनाई और पेंटिंग जैसे रचनात्मक शौक और पढ़ने जैसी गतिविधियों ने इस जोखिम को सात प्रतिशत तक कम कर दिया. इसके विपरीत किसी के सोशल नेटवर्क, सिनेमा या रेस्तरां में जाना, सैर करना डिमेंशिया से जुड़ा नहीं पाया गया. अध्ययन में पाया गया कि नियमित रूप से क्रॉसवर्ड, चेस आदि खेलने से याददाश्त में गिरावट को 2.5 साल तक धीमा किया जा सकता है. 

बड़ी वैश्विक प्राथमिकता थी
मोनाश यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड प्रिवेंटिव मेडिसिन के वरिष्ठ लेखक एसोसिएट प्रोफेसर जोआन रयान ने कहा कि डिमेंशिया को रोकने के लिए रणनीतियों की पहचान करना एक बड़ी वैश्विक प्राथमिकता थी. प्रोफेसर रयान ने कहा कि हमारे पास एक अनूठा अवसर था कि हम जीवन शैली की उस पहलुओं की जांच करें, जिससे डिमेंशिया से बचा जा सके. उन्‍होंने कहा, मुझे लगता है कि हमारे परिणाम हमें बताते हैं कि पहले से संग्रहीत ज्ञान का सक्रिय हेरफेर डिमेंशिया के जोखिम को कम करने में अधिक भूमिका निभा सकता है. दिमाग को सक्रिय और चुनौतीपूर्ण बनाए रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है. प्रोफेसर रयान ने कहा कि नतीजों में इस बात से इनकार नहीं किया गया है कि जो लोग स्वाभाविक रूप से ऐसी गतिविधियों की ओर आकर्षित होते हैं, उनके पास आमतौर पर बेहतर स्वास्थ्य और व्यवहार हो सकता है.

हर साल डिमेंशिया के इतने आते हैं मामले
वैश्विक स्तर पर 2022 में 5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित थे. अल्जाइमर डिजीज इंटरनेशनल के अनुसार दुनिया भर में हर साल डिमेंशिया के 10 मिलियन से अधिक नए मामले सामने आते हैं. 2030 तक 78 मिलियन लोगों के डिमेंशिया के साथ जीने की उम्मीद है. अधिकांश वृद्धि विकासशील देशों में देखने की उम्मीद है. लैंसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार  डिमेंशिया मामलों में बड़ी वृद्धि के पीछे जनसंख्या वृद्धि और जनसंख्या की उम्र बढ़ना मुख्य कारण हैं.


 

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