स्टडी में सामने आया स्ट्रोक से उबरने का नया तरीका… तेज-तेज चलना और फिजिकल थेरेपी से इस तरह मिलेगी मदद

इस स्टडी के नतीजे अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन के इंटरनेशनल स्ट्रोक कॉन्फ्रेंस 2025 में पेश किए जाएंगे. हालांकि ये स्टडी अभी काफी शुरुआती लेवल पर है और इसपर अभी और शोध होना बाकी है. 

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:05 PM IST
  • स्ट्रोक से उबरने का नया तरीका
  • चार हफ्तों में हुआ बड़ा सुधार

स्ट्रोक से उबरने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए एक नई रिसर्च में दिलचस्प नतीजे सामने आए हैं. कनाडा में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, तेज-तेज चलने (हाई-इंटेंसिटी वॉकिंग) और फिजिकल थेरेपी को मिलाकर बनाए गए रिहैबिलेशन प्रोग्राम ने स्ट्रोक से प्रभावित मरीजों की मोबिलिटी और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया है.

कैसे हुई रिसर्च?
यह स्टडी कनाडा के 12 स्ट्रोक रिहैबिलेशन सेंटर में किया गया, जिसमें 306 मरीजों को शामिल किया गया था. इन मरीजों की औसत उम्र 68 साल थी और उन्हें स्ट्रोक के एक महीने के भीतर इस कार्यक्रम में शामिल किया गया. स्टडी में दो ग्रुप बनाए गए – एक ग्रुप की पारंपरिक देखभाल की गई, जबकि दूसरे समूह को एक स्पेशल रिहैबिलेशन प्रोग्राम ‘वॉक एंड वॉच’ (Walk ‘n Watch) के तहत ट्रेनिंग दी गई.

क्या है ‘वॉक एंड वॉच’ प्रोग्राम?
‘वॉक एंड वॉच’ एक रिहैबिलेशन प्रोग्राम है, जिसमें मरीजों को धीरे-धीरे बढ़ती तीव्रता के साथ चलने की प्रैक्टिस करवाई जाती है. इस दौरान उन्हें फिटनेस ट्रैकर पहनाया गया, जिससे उनकी हार्ट रेट और कदमों की संख्या को मापा गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य था कि वे हर दिन 2000 कदम चलें, 30 मिनट तक मॉडरेट इंटेंसिटी पर चलें और फिर हफ्ते में 5 दिन इस रूटीन को फॉलो करें. 

चार हफ्तों में हुआ बड़ा सुधार
चार हफ्तों के बाद जब मरीजों का विश्लेषण किया गया, तो परिणाम चौंकाने वाले थे:

  1. 'वॉक एंड वॉच' वाले मरीज औसतन 143 फीट ज्यादा चलने में सक्षम हुए. 
  2. उनकी बैलेंसिंग, गतिशीलता और चलने की गति में सुधार देखा गया. 
  3. उनकी जीवन की गुणवत्ता अच्छी हो गई. और इस सुधार का असर एक साल तक बना रहा. 

यह परिणाम दिखाते हैं कि अगर स्ट्रोक मरीजों को सही तरीके से ट्रेनिंग दी जाए, तो वे जल्दी रिकवर कर सकते हैं और उनकी रोजमर्रा की जिंदगी बेहतर हो सकती है.

क्यों है यह रिसर्च खास?
रिहैबिलेशन के क्षेत्र में यह रिसर्च इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह रियल वर्ल्ड सेटिंग में लागू की गई. आमतौर पर लैब में ऐसी स्टडी की जाती है. यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया की प्रोफेसर और स्ट्रोक रिहैबिलेशन एक्सपर्ट डॉ. जेनिस एंग कहती हैं, "हम लंबे समय से जानते हैं कि ज्यादा तेज वाली फिजिकल थेरेपी स्ट्रोक के मरीजों की चलने की क्षमता को बेहतर बनाती है, खासकर शुरुआती महीनों में. लेकिन इसे आमतौर पर लागू करना मुश्किल होता है. हमने 12 रिहैबिलेशन सेंटर में इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक लागू किया, जो एक बड़ी उपलब्धि है."

इस स्टडी के नतीजे अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन के इंटरनेशनल स्ट्रोक कॉन्फ्रेंस 2025 में पेश किए जाएंगे. हालांकि ये स्टडी अभी काफी शुरुआती लेवल पर है और इसपर अभी और शोध होना बाकी है. 


 

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