डायबिटीज से बचने और खूबसूरत दिखने की चाह में लोग चीनी की जगह आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करने लगे हैं. लेकिन एक शोध में यह दावा किया गया है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर में मौजूद कैमिकल आपके DNA को भी डैमेज कर सकता है जो आगे चलकर कैंसर में बदल सकता है.
सुक्रालोज कैमिकल पहुंचा रहा नुकसान
जीरो कैलोरी वाले स्वीटनर Splenda में सुक्रालोज कैमिकल इस्तेमाल होता है जो चीनी की तुलना में 600 गुना ज्यादा मीठा होता है. और पके हुए सामान, पेय पदार्थ, च्युइंग गम, जिलेटिन और जमे हुए डेयरी डेसर्ट सहित हजारों उत्पादों में उपयोग किया जाता है. ये रिसर्च Journal of Toxicology and Environmental Health में प्रकाशित हुई है.
हजारों चीजों में इस्तेमाल किया जा रहा
स्टडी के प्रमुख लेखक Susan Schiffman ने कहा, सुक्रालोज (Sucralose) का इस्तेमाल दुनिया भर में हजारों खाद्य, पेय और दवा उत्पादों में किया जाता है. उदाहरण के लिए ये बेक्ड फूड, पेय पदार्थ, च्युइंग गम, जिलेटिन, जमे हुए डेयरी डेसर्ट और दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है.
DNA को नुकसान पहुंचा सकता है ये कैमिकल
शरीर में सुक्रालोज, सुक्रालोज-6-एसीटेट नामक कंपाउंड में टूट जाता है, जो आंत की परत को नुकसान पहुंचा सकता है. अन्य अध्ययनों में पाया गया है कि सुक्रालोज आंत के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है. सुक्रालोज़-6-एसीटेट का सूजन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और कैंसर से संबंध पाया गया. इन अध्ययनों में मानव ऊतकों का उपयोग किया गया है, इसलिए निष्कर्ष सीधे इंसानों के लिए प्रासंगिक हैं.
आर्टिफिशियल स्वीटनर क्या है?
आर्टिफिशियल स्वीटनर या कहें सुगर सब्सिट्यूट एक तरह का केमिकल है. कई शुगर या डायबिटीक पेशेंट्स चीनी की जगह आर्टिफिशियल शुगर इस्तेमाल करते हैं, ताकि उनके खाने में मिठास आ सके. लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि यह किसी मीठे जहर से कम नहीं है. आर्टिफिशियल स्वीटनर की एक छोटी सी गोली एक चम्मच या उससे भी ज्यादा मिठास दे सकती है. स्प्लेंडा देश में आर्टिफिशियल स्वीटनर का सबसे लोकप्रिय ब्रांड है. इसके 50 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं.