Gujarat के सरकारी अस्पताल में गेट के पास रखा गया झूला ताकि नवजात बच्चों की बच सके जिंदगी

गुजरात के अहमदाबाद में सिविल अस्पताल (Ahmedabad Civil Hospital) ने एक खास पहल शुरू की. इस पहल का उद्देश्य उन बच्चों की जिंदगी बचाना है जिन्हें अक्सर माता-पिता जन्म लेते ही छोड़ देते हैं.

Swing kept near the civil hospital
gnttv.com
  • अहमदाबाद,
  • 08 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 3:36 PM IST

अक्सर हम खबरों में पढ़ते हैं कि कोई नवजात शिशु कुड़ेदान में या किसी जंगल में फेंका हुआ मिला. इन बच्चों को उनक माता-पिता जन्म तो देते हैं लेकिन किसी मजबूरी के कारण जन्म देते ही छोड़ देते हैं. माता-पिता द्वारा इस तरह की असुरक्षित जगहों पर छोड़े गए बहुत से बच्चों की मृत्यू जन्म के चंद दिनों बाद ही हो जाती है या उनक साथ कोई अप्रत्याशित घटना घटती है. 

इसे देखते हुए गुजरात के अहमदाबाद में एक बहुत ही अच्छी पहल की गई है. गुजरात के अहमदाबाद में स्थित सिविल अस्पताल (Ahmedabad Civil Hospital) में जिला बाल संरक्षण के दिशानिर्देशों के तहत नवजात शिशुओं के लिए इमरजेंसी विभाग के प्रवेश द्वार के पास एक झूला रखा गया है. ये झूला उन नवजात शिशुओं के लिए रखा गया है, जिनका जन्म किसी मुश्किल परिस्थिति में होने पर उनके माता-पिता उन्हें छोड़ देते हैं. 

इस झूले में छोड़ सकते हैं बच्चे को 
नवजात शिशु का जन्म किसी कठिन परिस्थितियों में होने के कारण कई बार मजबूरीवश जन्मदाता नवजात शिशु को कूड़ेदान, झाड़ी या खुली जगह पर छोड़ देते हैं. इन परिस्थितियों में नवजात शिशु की जान मुश्किल में पड़ जाती है. ऐसी स्थिति में शिशुओं को नवजीवन देने के हेतु अहमदाबाद की सिविल अस्पताल में झूला रखा गया है. जो जन्मदाता अपने नवजात बच्चे को हमेशा के लिए त्यागना चाहते हैं, वे उन्हें सिविल अस्पताल के बाहर झूलें में रख सकते है. नवजात को झुलें में रखने के बाद वहां रखी घंटी दबानी होगी. ऐसा करने वालों की पहचान उजागर नहीं की जाएगी.

अहमदाबाद सिविल अस्पताल के सुप्रिंटेंडेंट डॉक्टर राकेश जोशी ने कहा, सिविल अस्पताल की इस ओपीडी में हर महीने 10,000 लोग आते है. बहुत बार ऐसी भी खबरें मिलती हैं कि बच्चे को जन्म के बाद त्याग दिया गया. इसलिए सिविल अस्पताल ने इन बच्चों की जिंदगी को संवारने की पहल की है. इन बच्चों के जीवन को सुरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा. ऐसे बच्चों को अस्पताल द्वारा सुरक्षित कर जिला बाल संरक्षण गृह को सौंप दिया जाएगा और सरकार इन बच्चे की जिम्मेदारी लेकर उनका पालन-पोषण करेगी. 

(अतुल तिवारी की रिपोर्ट)

 

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