सर्दी के मौसम में घर के बुजुर्गों का इस तरह रखें ख्याल, जानें एक्सपर्ट की राय

सर्दियों में अक्सर लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. गर्भवतियों और बच्चों के अलावा बुजुर्गों को सर्दियों में खास ख्याल की जरूरत होती है. ऐसे में हमें उनका खास ख्याल रखना चाहिए.

बुजुर्गों
gnttv.com
  • पुणे,
  • 08 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:40 PM IST
  • कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को आमंत्रित करती है सर्दियां
  • ठंड में बढ़ जाती है आर्थराइटिस की समस्या

सर्दी के मौसम में जिस तरह बच्चे और गर्भवती महिलाओं को ख्याल रखना जरूरी है। उसी तरह घर के बुजुर्गों का भी विशेष देखभाल करना काफी जरूरी है. सर्दियों में इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होती हैं. जिसकी वजह से मौसमी बीमारियों और अन्य संक्रमण का खतरा बढ जाता है. वहीं ठंड के मौसम में हड्डियों और जोड़ों में होने वाला दर्द भी बुजुर्गों में बढता है. इसलिए सर्दी के मौसम में बुजुर्गों का ध्यान रखना काफी जरूरी है.

पुणे के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ विश्वजीत चव्हाण के अनुसार, ठंड के मौसम में तापमान में कमी के चलते जोड़ों की रक्तवाहिन्यां यानी ब्लड वेसल्स सिकुड़ती हैं और उस हिस्से में खून का तापमान कम हो जाता हैं. जिसके चलते जोड़ों में अकड़न होने के साथ दर्द महसूस होने लगता है. जोडों के दर्द की वजह से बुजुर्गों को चलना-फिरना तक मुश्किल हो जाता हैं. हर साल की तरह इस वर्ष भी सर्दी के मौसम में जोड़ों के दर्द के बुजुर्गे मरीजों की संख्या 50 फीसदी तक बढ़ गई है.

कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को आमंत्रित करती है सर्दियां
सर्दियों को अक्सर सुहावना माना जाता है लेकिन यह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को आमंत्रित कर सकती है. सर्दियों का मौसम आमतौर पर जोड़ों के दर्द के साथ-साथ घुटनों, कूल्हों, टखनों, हाथों और पैरों में दर्द हो सकता है. इसके अलावा बैरोमीटर के दबाव में गिरावट से मांसपेशियों और आसपास के ऊतकों का विस्तार और दर्द हो सकता है. ठंड का मौसम मांसपेशियों को तनावग्रस्त और तंग महसूस कराता है और व्यक्ति जोड़ों में दर्द का अनुभव कर सकता है. जोड़ों का दर्द आमतौर पर 60 से 85 वर्ष की आयु के वयस्कों में देखने को मिलता है.

ठंड में बढ़ जाती है आर्थराइटिस की समस्या
ठंड के मौसम में हमारे दिल के आसपास खून की गर्माहट बनाए रखना जरूरी होता है. इसके चलते शरीर के अन्य अंगों में खून की आपूर्ति कम हो जाती हैं. जब त्वचा ठंडी होती हैं तो दर्द का असर अधिक महसूस होता है. इस दर्द को आर्थराइटिस भी कहा जाता है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में आर्थराइटिस की समस्या अधिक दिखाई देते हैं. जो वरिष्ठ नागरिक पहले से ही गठिया से पीड़ित हैं, उन्हें ठंडे महीनों के दौरान अधिक सतर्क रहना चाहिए. विटामिन डी टेस्ट शरीर में विटामिन डी के स्तर के बारे में जानने में मदद करता है. अगर आपको जोड़ों में दर्द है तो विटामिन डी 3 टेस्ट की सलाह दी जाती हैं.

डाइट में शामिल करें ये जरूरी चीजें
सर्दियों में जोड़ों के दर्द से बचाव जरूरी है. इसलिए सब्जियों, अनाज, डेयरी उत्पादों, दालों और मौसमी फलों से युक्त पौष्टिक आहार का सेवन करें. पालक, गोभी, टमाटर और संतरे का चुनाव करना न भूलें जो आवश्यक विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं. रोजाना व्यायाम से जोड़ों के दर्द से निपटने में मदद मिल सकती है. लचीलेपन में सुधार और जोड़ों के दर्द को प्रबंधित करने के लिए साइकिल चलाने, चलने, एरोबिक्स और तैराकी जैसी अन्य गतिविधियों को भी करने की कोशिश करें. 

डॉक्टर को कब देखना जरूरी है?
यदि जोड़ों में असहनीय दर्द होना शुरू होता है तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह लें. आपको बहुत लंबे समय तक घरेलू नुस्खों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. डॉ चव्हाण यह भी बताते हैं कि एक व्यक्ति को तत्काल चिकित्सा सहायता चुननी चाहिए यदि-
• जोड़ों में विशेष रूप से सूजन दिखाई दे रही है
• जोड़ों के हिलने-डुलने में कठिनाई महसूस होना
• चलते समय लंगड़ाहट
• जोड़ के ऊपर कोई बढ़ा हुआ तापमान या लालिमा
• बुखार

(पुणे से दिपेश त्रिपाठी की रिपोर्ट)

 

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