देश के सभी डॉक्टरों के पास साल 2024 के अंत तक एक यूनिक आईडी होगी. इसके लिए नेशनल मेडिकल कमीशन एक नेशनल मेडिकल रजिस्टर बनाने पर काम कर रहा है, जिसमें भारत में प्रैक्टिस करने वाले सभी डॉक्टरों की जानकारी होगी. अगले 6 महीने में नेशनल मेडिकल रजिस्टर को लेकर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा.
हर डॉक्टर के लिए होगी यूनिक आईडी-
इस प्रोजेक्ट के तहत हर डॉक्टर को एक यूनिक आईडी दी जाएगी, जो एक तरह से उसकी पहचान के तौर पर काम करेगी. यह आईडी आयोग की एक आईटी प्लेटफॉर्म के साथ लिंक होगी, जिसपर डॉक्टरों के सभी दस्तावेज, कोर्स, ट्रेनिंग और लाइसेंस के बारे में जानकारी होगी.
6 महीने में लॉन्च होगा पायलट प्रोजेक्ट-
एनएमसी के एथिक्स एंड नेशनल मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड के सदस्य डॉ. योगेंद्र मलिक ने कहा कि नेशनल मेडिकल रजिस्ट्रर का एक पायलट प्रोजेक्ट अगले 6 महीने में लॉन्च किया जाएगा और यह साल 2024 के अंत तक तैयार हो जाएगा. एमएनआर इंडियन मेडिकल रजिस्टर की जगह लेगा. इसे जनता के लिए एनएमसी वेबसाइट पर उपलब्ध होगा.
दो बार जारी होगी आईडी-
डॉ. योगेंद्र मलिक ने बताया कि इस प्रक्रिया के तहत डॉक्टरों को दो बार आईडी जारी की जाएगी. पहली बार जब डॉक्टर एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लेगा तो उसे अस्थाई नंबर दिया जाएगा. जब उसकी पढ़ाई पूरी होगी तो उसे स्थाई नंबर दिया जाएगा. वहीं, दूसरी तरफ जो वर्तमान में प्रैक्टिस कर रहे हैं, उन्हें सीधे तौर पर स्थाई आईडी जारी की जाएगी.
देश में 14 लाख डॉक्टर रजिस्टर्ड-
मौजूदा समय में लाइसेंस लेते समय डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन भी हो जाता है. राज्य मेडिकल काउंसिल ये प्रोसेस को पूरा कर इसकी जानकारी राष्ट्रीय आयोग तक पहुंचाता है. एक डॉक्टर राज्य या राष्ट्रीय आयोग कहीं भी रजिस्ट्रेशन करा सकता है. ऐसे में कई बार एक ही नाम के दो या तीन से अधिक बार रजिस्ट्रेशन भी हो जाते हैं. इस समय देश में 14 लाख पंजीकृत डॉक्टर हैं. इसके अलावा देश में 700 से भी ज्यादा मेडिकल कॉलेजों में 1.08 लाख से अधिक एमबीबीएस सीटें हैं.
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