आजकल हर किसी को धूप और टैनिंग से बचने के लिए सनस्क्रीन लगाने की सलाह दी जाती है. इसका कारण है कि कई रिसर्च कहती हैं कि हर दिन सनस्क्रीन के उपयोग से मेलेनोमा जैसे संभावित घातक स्किन कैंसर का खतरा कम किया जा सकता है. साथ ही इससे हमारी स्किन भी फ्रेश और जंवा नजर आती है. अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी के अनुसार भी हर किसी को हर दिन बाहर जाने पर सनस्क्रीन लगाना चाहिए.
लेकिन हाल के सालों में सनस्क्रीन का विरोध बढ़ रहा है. मुख्य रूप से कई पॉपुलर सनस्क्रीन में केमिकल से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में खबरें सामने आने से ये चिंता और भी बढ़ गई है.
सनस्क्रीन को लेकर बात चल रही है?
सनस्क्रीन के दो मुख्य प्रकार हैं- केमिकल और मिनरल फॉर्मूला. ये नुकसान पहुंचाने वाली यूवी किरणों को अब्सॉर्ब करने के लिए एक तरह का कार्बनिक फिल्टर है. इनमें से लगभग एक दर्जन फिल्टर आमतौर पर अमेरिका में उपयोग किए जाते हैं, जिनमें ऑक्सीबेनजोन, ऑक्टिनॉक्सेट, एवोबेनजोन, होमोसैलेट और ऑक्टोक्रिलीन शामिल हैं. इस बीच, मिनरल फॉर्मूला एक फिजिकल बेरियर बनाकर टाइटेनियम डाइऑक्साइड जैसे अकार्बनिक फिल्टर का उपयोग करके सूर्य की किरणों को रोकता है. सनस्क्रीन में अब ज्यादा चिंता केमिकल फॉर्मूला को लेकर की जा रही है.
साल 2019 में उठा था मुद्दा
टाइम मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 में, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने सनस्क्रीन निर्माताओं से इसको थोड़ा और सुरक्षित बनाने की मांग की थी. उस समय, एजेंसी ने कहा था कि जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड को आम तौर पर सुरक्षित और प्रभावी माना जाना चाहिए, जबकि पीएबीए और ट्रॉलामाइन सैलिसिलेट, दो कम उपयोग किए जाने वाले केमिकल फिल्टर को सनस्क्रीन में शामिल नहीं किया जाना चाहिए. एजेंसी ने कहा था कि उसके पास यह निर्धारित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि क्या दूसरे केमिकल फिल्टर को सुरक्षित और प्रभावी माना जा सकता है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा था कि इसका मतलब यह नहीं है कि इन केमिकल फिल्टर को आप असुरक्षित मानें.
सनस्क्रीन स्किन के माध्यम से ब्लडस्ट्रीम में प्रवेश कर सकती है
फिर, 2019 और 2020 में, FDA शोधकर्ताओं ने दो स्टडीज जारी की. जिसमें कहा गया कि ऑक्सीबेनजोन सहित सामान्य सनस्क्रीन केमिकल, स्किन के माध्यम से ब्लडस्ट्रीम में जा सकते हैं. इसके बाद से ग्राहकों के बीच और भी चिंता पैदा हो गई. 2021 में एक लैब ने कई सनकेयर प्रोडक्ट्स में कार्सिनोजेन बेंजीन पाया, और कॉपरटोन सहित बड़े ब्रांडों ने रिकॉल जारी किया. उसी साल, कई जगहों पर इसकी बिक्री पर प्रतिबंध भी लागू किया गया.
क्या सनस्क्रीन के बारे में चिंता करने की जरूरत है?
शोधकर्ताओं ने पाया है कि बार-बार सनस्क्रीन का उपयोग हमारे पेशाब में हाई ऑक्सीबेनजोन लेवल से जुड़ा हुआ है. लेकिन अध्ययनों ने ठोस रूप से साबित नहीं किया है कि यूवी फिल्टर का अवशोषण मनुष्यों के लिए खतरनाक है. कई स्टडी बताती हैं कि सनस्क्रीन केमिकल जैसे ऑक्सीबेनजोन का संबंध हार्मोन, किडनी और रिप्रोडक्टिव फंक्शन में होने वाले बदलावों से पाया गया है. जानवरों पर हुई कई स्टडी में भी ऑक्सीबेनजोन को कैंसर के खतरे से जोड़कर देखा गया है.
क्या अब भी सनस्क्रीन लगानी चाहिए?
एफडीए, यू.एस. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, और कई मेडिकल एसोसिएशन सभी सनस्क्रीन का उपयोग करने की सलाह देते हैं. अनुमान है कि अमेरिका में हर पांच में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल के दौरान स्किन कैंसर हो जाएगा, और अमेरिका में हर साल 7,000 से अधिक लोग मेलेनोमा से मर जाते हैं, सनस्क्रीन उन परिणामों को रोकने में मदद कर सकता है. इसलिए एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सनस्क्रीन लगाने से परहेज करने के बजाय, उससे होने वाले फायदों पर फोकस करते हुए उसे लगाना चाहिए. इसलिए सनस्क्रीन की तुलना में दूसरे ब्यूटी प्रोडक्ट्स को छोड़ देना ज्यादा फायदेमंद है.
क्या कर सकते हैं उपाय ?
टाइम की रिपोर्ट के मुताबिक, सनस्क्रीन पर काम करने वाले ईडब्ल्यूजी के वरिष्ठ वैज्ञानिकों में से एक डेविड एंड्रयूज का कहना है कि लोगों को सनस्क्रीन लगाना बंद नहीं करना चाहिए, लेकिन सुरक्षा की झूठी भावना भी अपने अंदर नहीं रखनी चाहिए. केवल सनस्क्रीन पर निर्भर रहने के बजाय, लोगों को सुरक्षात्मक कपड़े पहनने चाहिए, छांव में रहना चाहिए और धूप में कम समय बिताना चाहिए.