ऑर्गन ट्रांसप्लांट करते हुए नहीं होगा ब्लड इंफेक्शन का खतरा, लखनऊ में लगाई गई एशिया की पहली पैथोजन रिडक्शन मशीन 

ऑर्गन ट्रांसप्लांट करते हुए सबसे ज्यादा खतरा ब्लड इंफेक्शन का होता है. हमेशा ये डर बना रहता है कि कहीं खून में संक्रमण न पहुंच जाए. हालांकि, अब ऐसा नहीं होगा. लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में एशिया की पहली पैथोजन रिडक्शन मशीन लगा दी गई है.

Organ Transplant (Representational Image)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 27 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 6:09 PM IST
  • ब्लड को दूषित होने से बचाने में करेगी ये मशीन मदद  
  • केवल शुद्ध ब्लड हो पहुंचेगा शरीर में 

राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में एशिया की पहली पैथोजन रिडक्शन मशीन का लोकार्पण किया गया. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसका लोकार्पण किया. इसके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस दौरान वैस्कुलर सर्जरी और थोरेसिक सर्जरी विभाग का भी लोकार्पण किया. वहीं इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ट्रांसफ्यूजन डिपार्टमेंट ने हमेशा से ही कई महामारी, वायरस की रोकथाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है. ऐसे में पैथोजन रिडक्शन मशीन लगने से ब्लड को संक्रमित होने से बचाया जा सकेगा. इससे जो गंभीर मरीज हैं जिनका ऑर्गन ट्रांसप्लांट होना है, उनको इससे लाभ होगा और वह दूषित ब्लड से संक्रमित होने से बच जाएंगे. 

ब्लड को दूषित होने से बचाने में करेगी ये मशीन मदद  

सीएम योगी ने अपने टि्वटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा कि लखनऊ के केजीएमयू में एशिया की पहली पैथोजन रिडक्शन मशीन का लोकार्पण किया गया. केजीएमयू ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉक्टर तूलिका चंद्रा ने बताया कि ब्लड में कई तरह के बैक्टीरिया वायरस मौजूद होते हैं, ऐसे में पूरी तरह से मरीजों को शुद्ध ब्लड उपलब्ध कराना बेहद जरूरी होता है, इन अशुद्धियों को दूर करने के लिए केजीएमयू के ब्लड बैंक में पैथाजन रिडक्शन मशीन लगाई गई है. प्रोफेसर चंदा ने बताया कि जब कोई डोनर किसी मरीज को ब्लड देता है तो उसको खुद पता नहीं होता है कि उसके ब्लड में कौन-कौन से वायरस बीमारी पनप रही है. 

केवल शुद्ध ब्लड हो पहुंचेगा शरीर में 

बता दें, चिकनगुनिया और स्वाइन फ्लू वायरस जैसी बीमारियों की जांच डोनर की ब्लड देने से पहले नहीं होती है. जब कोई व्यक्ति मरीज को ब्लड डोनेट करता है, तो ऐसे में ब्लड के अंदर मौजूद यह वायरस मरीज तक फैल जाते हैं और मरीजों की स्थिति खराब होने लगती है. उन्हें अन्य बीमारियों से भी लड़ना पड़ता है. ऐसे में प्लाज्मा और प्लेटलेट्स के अंदर मौजूद जो भी बीमारियां और वायरस हैं अब पैथोजन रिडक्शन मशीन उसे किल कर देगी और मरीज के शरीर के अंदर ब्लड संक्रमण नहीं हो सकेगा, सिर्फ और सिर्फ प्यूरीफाइड ब्लड पहुंचेगा. 

डॉक्टर तूलिका ने बताया कि ब्लड डोनेट करने से पहले डोनर की अभी तक एचआईवी, हेपेटाइटिस बी-सी और मलेरिया जैसी बीमारियों की जांच करते थे. जिसकी वजह से थोड़ा बहुत अशुद्ध ब्लड मरीजों में प्रवेश कर जाता था. लेकिन अब इस मशीन की लगने की वजह से मरीज के अंदर अशुद्ध खून नहीं जाएगा बल्कि शुद्ध खून पहुंचेगा और वह अन्य बीमारियों से सुरक्षित रहेगा. 

प्रोफेसर चंद्रा ने यह भी बताया कि पैथोजन का काम होता है कि जो भी ब्लड में बैक्टीरिया, वायरस और प्रोटोजा है, उसे वह आसक्रिय करता है. ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की एचओडी प्रो तूलिका चंद्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि पैथाजन रिडक्शन मशीन एशिया के किसी भी देश में पहली बार लगाई गई है, जिसकी कीमत करीब 50 लाख रुपए है.


 

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