इलाज कर रहे डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार या गाली गलौज की तो इलाज नहीं मिल पाएगा. मरीज या उसके परिजनों की ओर से असंतुष्ट लोगों का डॉक्टर के साथ हिंसक व्यवहार अब भारी पड़ सकता है. ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग एनएमसी ने कड़े नियम बनाने की तैयारी शुरू कर दी है.
गाली गलौच की तो इलाज के लिए इंकार कर सकता है डॉक्टर
डॉक्टरों के साथ मारपीट, हिंसक वारदात या बदतमीजी करने की स्थिति में डॉक्टर संबंधित मरीज के इलाज से इंकार कर सकता है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग प्रैक्टिशनर डॉक्टर को ऐसी अनुमति देने के लिए पंजीकृत मेडिकल चिकित्सक पेशेवर आचार संहिता 2022 के मसौदे में यह प्रस्ताव शामिल करने जा रहा है. आयोग के एथिक्स और मेडिकल पंजीकरण बोर्ड ने इस मसौदे को आम जनता के लिए सार्वजनिक कर दिया है. इस बाबत सभी पक्षकारों और हित धारकों से सुझाव व टिप्पणियां मांगी गई हैं.
दरअसल, देशभर में अस्पतालों और क्षेत्रीय स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के साथ आए दिन दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आने से चिंतित आयोग चाहता है कि लोग ऐसा करने से पहले 10 बार सोचें.
शुल्क अदा नहीं करने पर इलाज के लिए मना कर सकेंगे
बताते चलें, एनएमसी में आए प्रस्ताव के मुताबिक शुल्क अदा नहीं किए जाने पर भी चिकित्सक इलाज करने से मना कर सकता है. हालांकि यह नियम सरकारी सेवा और आपात सेवा में लगे डॉक्टरों पर लागू नहीं होगा. मसौदा नियमन के सिलसिले में यह भी साफ किया गया है कि डॉक्टर यह सुनिश्चित करेंगे कि इलाज के बिना मरीजों को न लौटाया जाए. इसके अलावा एनएमसी कानून 2019 के तहत आधुनिक चिकित्सा के पदों के लिए उनके नाम के पहले मेडिकल डॉक्टर जोड़ने का प्रस्ताव भी है.
डॉक्टरों के लिए भी होंगे कुछ नियम
एनएमसी सूत्रों के मुताबिक अपनी परामर्श पर्ची पर बोर्ड की ओर से दी गई विशिष्ट पंजीकरण आईडी भी डॉक्टरों को प्रकाशित करनी होगी. मसौदे में यह प्रस्ताव भी किया गया है कि किसी मरीज या उसके तीमारदार की ओर से संबंधित डॉक्टर से मेडिकल रिकॉर्ड मांगे जाने पर साथ कार्य दिवस में यह दस्तावेज उपलब्ध कराए जा सकेंगे.
बता दें, वर्तमान में दस्तावेज 72 घंटे के भीतर मुहैया कराने का प्रावधान है हालांकि चिकित्सा आपात स्थिति में मेडिकल रिकॉर्ड उसी दिन उपलब्ध कराना होगा.