कंटेंट क्रिएटर और कैंसर सर्वाइवर सुसाना डेमोरे लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक कर रही हैं. सुसाना को 35 साल की उम्र में अपने कैंसर का पता चला. उस समय वह प्रेग्नेंट थीं. कैंसर के इलाज के दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी और आसपास के वातावरण को नए नज़रिए से देखना शुरू किया. उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा: "सच ये है कि इस बीमारी ने मेरी आंखें खोल दीं कि हम हर दिन कितनी ज़हरीली (toxic) चीज़ों के संपर्क में आते हैं. यही वजह है कि मैंने अपने और अपने परिवार के लिए ऐसे प्रोडक्ट्स को हटाना शुरू किया जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक थे. ये बदलाव छोटे हैं, लेकिन बहुत असरदार हैं."
उन्होंने बताया कि अगर आप वाकई सेहत को प्राथमिकता देना चाहते हैं, तो "छोटे लेकिन जरूरी बदलाव" करना ज़रूरी है. सुसाना डेमोरे ने एक लिस्ट शेयर की जिसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने क्या बदलाव किए हैं.
उन्होंने लिखा,
पारंपरिक डिओडरेंट: अब मैं ऐसा डिओडरेंट इस्तेमाल करती हूं जिसमें हार्मोन्स को इनबैलेंस करने वाले केमिकल्स नहीं होते हैं.
टॉक्सिक लॉन्ड्री डिटर्जेंट और क्लीनिंग प्रोडक्ट्स: ऐसे डिटर्जेंट हटाए जिनमें खतरनाक केमिकल्स होते हैं. अब मैं ऐसे प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करती हूं जिनके इंग्रीडिएंट्स आप ठीक से पढ़ और समझ सकते हैं, और जो शरीर के लिए सुरक्षित हैं.
फ्लोराइड वाला टूथपेस्ट: अब मैं ऐसा टूथपेस्ट इस्तेमाल करती हूं जिसमें फ्लोराइड, SLS, या पैराबेन्स नहीं हैं. इसमें हाइड्रॉक्सीएपेटाइट (जो हमारे दांतों की बाहरी परत बनाता है), प्रीबायोटिक्स, और CoQ10 (गम की सेहत के लिए) होते हैं.
टॉक्सिक शैम्पू: अब मैं ऐसा शैम्पू इस्तेमाल करती हूं जिसमें पैराबेन्स और कृत्रिम खुशबू (synthetic fragrance) नहीं होती.
स्किन केयर प्रोडक्ट्स जिनमें बहुत सारे केमिकल्स होते हैं: अब मैं सिर्फ ऐसे स्किन केयर प्रोडक्ट्स चुनती हूं जो यूरोपियन यूनियन के नियमों के अनुसार सुरक्षित हों.
सस्ते OTC सप्लीमेंट्स (बिना डॉक्टर के दवाई): अब मैं सिर्फ हाई-क्वालिटी सप्लीमेंट्स लेती हूं, जो शरीर में ठीक से एब्ज़ॉर्ब हो जाएं और जिनकी जांच की गई हो — जैसे कि उनमें कोई हानिकारक धातु, कीटनाशक, या नकली रंग न हों. ये ग्लूटन-फ्री, शुगर-फ्री और GMO-फ्री भी होते हैं।
आपको बता दें कि हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली चीजें जैसे डिओडरेंट, सफाई के प्रोडक्ट्स, टूथपेस्ट और शैम्पू, में ऐसे केमिकल्स होते हैं जो धीरे-धीरे हमारे शरीर पर बुरा असर डाल सकते हैं. सामान्य डिओडरेंट्स में एल्यूमिनियम और सिंथेटिक खुशबू होती है, जो हार्मोन्स को इनबैलेंस करती है और यह ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन सकता है.
लॉन्ड्री डिटर्जेंट और क्लीनिंग प्रोडक्ट्स में phthalates, VOCs और सिंथेटिक खुशबू होती हैं जो हवा में और कपड़ों पर रह सकती हैं और इससे सांस की परेशानी और दूसरी बीमारियां हो सकती हैं. वहीं, ज्यादा फ्लोराइड दांतों और शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. इसकी जगह हाइड्रॉक्सीएपेटाइट वाला टूथपेस्ट दांतों को मजबूती देता है और गम की सेहत भी सुधरती है. हमारी स्किन जो कुछ भी सोखती है, उसका असर हमारे शरीर पर होता है. इसीलिए ऐसे प्रोडक्ट्स से बचना ज़रूरी है जिनमें पैराबेन्स, phthalates और हानिकारक केमिकल्स होते हैं.
घर में बना सकते हैं नॉन-केमिकल चीजें
छोटे बदलावों से भी सेहत पर बड़ा असर पड़ सकता है. अगर हम अपने रोजमर्रा के प्रोडक्ट्स को सोच-समझकर चुनें, तो कैंसर जैसे गंभीर रोगों का खतरा भी कम हो सकता है. साथ ही, अगर हम केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कम से कम करेंगे तो प्रयावरण भी सुरक्षित होगा. केमिकल डिटर्जेंट या शैंपू वाला घरेलू पानी जब नालियों से बहकर किसी झील यी नदी-नाले में पहुंचता है तो यह उसे दूषित करता है. ऐसे में, कोशिश करें कि आप जैविक उत्पाद या घर में बनाए नॉन-केमिकल शैंपू, डिटर्जेंट या क्लीनिंग प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करें.
घर पर शैंपू और डिटर्जेंट बनाने के लिए आप रीठा का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह केमिकल-फ्री होगा. वहीं, क्लीनिंग प्रोडक्ट्स बनाने के लिए आप नींबू या संतरे के छिलकों से बायोएंजाइम बना सकते हैं. इन बायोएंजाइम को बनाकर आप लंबे समय तक इस्तेमाल कर सकते हैं. बहुत से लोग आज खुद अपने साबुन भी बनाते हैं ताकि ये केमिकल फ्री हों. इंस्टाग्राम पर बहुत से इंफ्लूएंसर हैं जो सस्टेनेबल लाइफस्टाइल फॉलो करते हैं और दूसरों को भी सिखाते हैं.