Padma Shree Awardee: सालों से कर रही हैं Hemophilia के मरीजों की सेवा, अब मिला पद्मश्री

हाल ही में, केंद्र सरकार ने Padma Awardees की लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट मे Hemophilia के क्षेत्र में काम कर रहीं डॉ. नलिनी का नाम भी शामिल है.

Padma Awards
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 29 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:24 AM IST
  • बाल रोग विशेषज्ञ हैं डॉ. नलिनी
  • हीमोफिलियो एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है

पोंडिचेरी की डॉ. नलिनी पार्थसारथी को इस साल के पद्म अवॉर्डीज की लिस्ट में जगह मिली है. डॉ. नलिनी का पद्मश्री पुरस्कार दिया जा रहा है और इसकी वजह है हीमोफिलिया से पीड़ित व्यक्तियों के प्रति उनका समर्पण और प्रतिबद्धता. 

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नलिनी ने न केवल पोंडिचेरी में हीमोफिलिया सोसाइटी की स्थापना की, बल्कि 30 सालों से ज्यादा समय से पोंडिचेरी और तमिलनाडु के पड़ोसी जिलों में मरीजों की सेवा भी कर रही हैं. उनका कहना है कि हीमोफिलिया के लिए सेवाओं के लिए देश में पहला पद्म श्री पुरस्कार है. जिसे वह देश के सभी हीमोफिलिया प्रभावित लोगों और हीमोफिलिया सोसाइटीज को समर्पित कर रही हैं.

बाल रोग विशेषज्ञ हैं डॉ. नलिनी
नलिनी का हीमोफिलिया लोगों के लिए काम तब शुरू हुआ जब वह जिपमर में प्रोफेसर के रूप में और बाद में एचओडी ऑफ पीडियाट्रिक्स के रूप में काम कर रही थीं. जिपमर में 10 साल तक सेवा करने के बाद, उन्होंने केवल हीमोफिलिया के रोगियों पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया और जिपमर से वॉलंटरी रिटायरमेंट ले ली. 

उन्होंने हीमोफिलिया सोसाइटी की स्थापना की. उन्हें मुख्यमंत्री ने जमीन दी और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने भवन निर्माण में मदद की. इससे उन्होंने थट्टानचावडी में हीमोफिलिया स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की. अब सोसायटी केंद्र में हीमोफीलिया के करीब 300 मरीजों की देखभाल कर रही हैं. वह खुद अपनी कमाई से उनकी जरूरतों को पूरा करने में योगदान दे रही हैं. 

क्या है हीमोफिलिया 
आपको बता दें कि हीमोफिलियो एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है. इसमें अग इंसान को चोट लग जाए तो उसका खून बहना बंद नहीं होता है. इसलिए यह बहुत ही खतरनाक है और दुख की बात है कि आज तक इस बिमारी का कोई कारगर इलाज नहीं मिला है. हर साल 17 अप्रैल को World Hemophilia Day मनाया जाता है. 

हीमोफिलिया से पीड़ित लोगों का दवा बहुत महंगी आती हैं. हर एक दवा की कीमत लगभग 10,000 रुपये है, क्योंकि इन्हें इंपोर्ट करना पड़ता है. ज्यादातक लोग इन्हें खरीद नहीं सकते हैं. लेकिन नलिनी का कहना है कि वे भारत की हेमोफिलिया सोसाइटी के माध्यम से दवाएं खरीद रहे हैं और उन्हें जिपमेर और इंदिरा गांधी सरकारी सामान्य अस्पताल सहित कई अस्पतालों में रोगियों को मुफ्त प्रदान कर रहे हैं. 

 

Read more!

RECOMMENDED