Study on Indian People Health: बहुत से भारतीयों के लिए अहम है 53 की उम्र, जानिए क्यों

हाल ही में, मुंबई के International Institute of Population Sciences (IIPS) के कुछ रिसर्चर्स ने सात गंभीर बीमारियों की शुरुआती उम्र के बारे में बताया है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 07 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 4:13 PM IST

भारत में लगभग आधे लोगों गठिया, कैंसर, कार्डियोवसकुलर बीमारी और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स जैसी सात गंभीर बिमारियों में से कोई एक 53 वर्ष की आयु तक हो जाती है. एक स्टडी में पता चला है कि 53वां साल ऐसी बीमारी की शुरुआत का साल होता है. स्टडी रिजल्ट्स से पता चलता है कि कामकाजी उम्र के लोग जिन्हें 40 या 50 वर्ष की आयु के दौरान लाइफटाइम डिसऑर्डर्स होते हैं, वे भारत में क्रॉनिक हेल्थ डिसऑर्डर्स के बोझ को बढ़ाते हैं. 

IIPS मुंबई ने की है स्टडी
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज (IIPS), मुंबई के शोधकर्ताओं ने स्टडी की है कि गठिया के लिए औसत आयु 56 वर्ष, कैंसर के लिए 51 वर्ष, दिल से संबंधित बीमारी के लिए 59 वर्ष, डायबिटीज के लिए 54 वर्ष, हाई ब्लड प्रेशर के लिए 55 वर्ष, फेफड़ों की बीमारी के लिए 55 वर्ष और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के लिए 54 वर्ष है. 

गठिया रोग की शुरुआत की औसत आयु 56 वर्ष है, जिससे पता चलता है कि गठिया से प्रभावित आधे भारतीयों में 56 वर्ष की आयु से पहले ही यह बीमारी विकसित हो जाती है. IIPS रिसर्चर्स ने अपने अध्ययन को एक रिसर्च जर्नल, साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया है. 

65,200 लोगों पर हुई स्टडी 
IIPS में बायोस्टैटिस्टिक्स और डेमोग्राफी रिसर्च स्कॉलर, रश्मि ने कहा कि इन गंभीर बीमारियों की इतनी जल्दी शुरुआत लोगों के हेल्दी सालों को कम कर देगी और इससे घरों और स्वास्थ्य देखभाल की मांग प्रभावित होगी. पिछले दो दशकों में कई पहली स्टडीज में 50 वर्ष से कम उम्र के भारतीयों में हाई बीपी, डायबिटीज, दिल की बीमारी और स्ट्रोक का ज्यादा प्रसार देखा गया था. लेकिन ऐसी सभी स्टडीज ने इस प्रसार के अनुमान, कारणों और परिणामों पर ध्यान केंद्रित किया था.

IIPS में पॉपुलेशन हेल्थ के प्रोफेसर और रश्मी के सुपरवाइजर, संजय मोहंती ने कहा कि इन सात बीमारियों की शुरुआत की उम्र और हायर रिस्क से जुड़े एज बैंड क्लियर नहीं थे. लेकिन शुरुआती उम्र महत्वपूर्ण है क्योंकि वे न केवल लाइफ क्वालिटी बल्कि प्रोडक्टिविटी और इकोनॉमी पर भी प्रभाव डालते हैं. 

रश्मि और मोहंती ने भारत के लॉन्गिट्यूडनल एजिंग स्टडी के हिस्से के रूप में सभी राज्यों के 65,200 से ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया, जिनमें 45 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोग शामिल थे. 

 

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