केवल 500 रुपये का ये टेस्ट बताएगा हार्ट अटैक का खतरा है या नहीं, प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट में मिल सकती है मदद

लंदन स्कूल ऑफ हाईजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन की स्टडी के मुताबिक ट्रोपोनिन नाम के टेस्ट से दिल की बीमारियों का समय से पहले पता लगाया जा सकता है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 2:51 PM IST
  • प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट में मिल सकती है मदद
  • ट्रोपोनिन कैसे पहचान सकता है "साइलेंट" डैमेज

भारत समेत दुनिया में दिल की बीमारी से हर साल करोड़ों लोगों की मौत हो रही है. बीते साल ही दुनियाभर में हार्ट अटैक से 1 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान गई. हालांकि अब ट्रोपोनिन नाम के टेस्ट से दिल की बीमारियों का समय से पहले पता लगाया जा सकता है, इससे जल्दी इलाज में मदद मिलेगी.

केवल 500 रुपये का ये टेस्ट
इस साधारण ब्लड टेस्ट से हजारों हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामलों को रोका जा सकता है. यह रिसर्च लंदन स्कूल ऑफ हाईजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन ने की है. रिसर्च के अनुसार, केवल £5 (करीब 500 रुपये) के इस ब्लड टेस्ट के जरिए मरीजों के ट्रोपोनिन स्तर की जांच करके डॉक्टर भविष्य में होने वाले हार्ट संबंधी जोखिमों का अनुमान कहीं ज्यादा सटीकता से लगा सकते हैं.

ट्रोपोनिन कैसे पहचान सकता है "साइलेंट" डैमेज
ट्रोपोनिन एक प्रोटीन है, जो दिल की मांसपेशियों में पाया जाता है और जब दिल को कोई नुकसान होता है तो यह ब्लड में रिलीज होता है. यह टेस्ट पहले से ही अस्पतालों में हार्ट अटैक का पता लगाने के लिए इस्तेमाल होता है, लेकिन नई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि यह टेस्ट दिल को हो रहे "साइलेंट" डैमेज को भी पहचान सकता है.

प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट में मिल सकती है मदद
इस टेस्ट को सामान्य कोलेस्ट्रॉल जांच के साथ जीपी क्लिनिक में किया जा सकता है. इससे डॉक्टर पहले ही पहचान सकते हैं कि कौन-से मरीजों को प्रिवेंटिव इलाज (जैसे स्टैटिन दवाएं) की जरूरत है, जिससे हजारों हार्ट अटैक और स्ट्रोक को रोका जा सकता है.

रिसर्च के लीड, डॉ. अनुप शाह ने कहा, “ट्रोपोनिन का लेवल भले ही सामान्य हो, दिल को हो रहे छिपे नुकसान का एक शक्तिशाली संकेत है. यह टेस्ट हमें जोखिम का आकलन करने में अतिरिक्त जानकारी देता है, जिससे हम ज्यादा से ज्यादा हाई-रिस्क लोगों को पहचान सकते हैं.”

62,000 से लोगों पर हुई रिसर्च
इस स्टडी में यूरोप और अमेरिका के 62,000 से ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य डेटा विश्लेषित किया गया. इसमें न केवल ट्रोपोनिन का स्तर, बल्कि उम्र, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, स्मोकिंग और कोलेस्ट्रॉल जैसे जोखिम कारकों को भी देखा गया. इन सभी प्रतिभागियों को 10 सालों तक ट्रैक किया गया ताकि यह देखा जा सके कि उन्हें हार्ट अटैक या स्ट्रोक हुआ या नहीं.

कैसे की गई रिसर्च
रिसर्च में पाया गया कि जो लोग इंटरमीडिएट रिस्क (मध्यम जोखिम) कैटेगरी में आते हैं, उनके लिए ट्रोपोनिन टेस्ट खासतौर पर सबसे कारगर साबित हो सकता है. हर 500 लोगों में ट्रोपोनिन टेस्ट से एक हार्ट अटैक या स्ट्रोक रोका जा सकता है. वहीं, जिन लोगों को पहले इंटरमीडिएट रिस्क में रखा गया था, उनमें से 8% लोगों को अब हाई-रिस्क श्रेणी में रखा जा सकता है, जिससे उन्हें समय पर इलाज मिल सकेगा.

रिस्क प्रिडिक्शन के नए तरीके बेहद जरूरी
प्रो. ब्रायन विलियम्स ने कहा, “हर साल यूके में लगभग 1 लाख लोग हार्ट अटैक की वजह से अस्पताल में भर्ती होते हैं. ऐसे में रिस्क प्रिडिक्शन के नए तरीके बेहद जरूरी हैं. ट्रोपोनिन टेस्ट को मौजूदा मॉडल में शामिल करके ज्यादा हाई-रिस्क मरीजों की पहचान की जा सकती है और उन्हें समय रहते इलाज दिया जा सकता है.”

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