Burnout: हमेशा काम में बिजी रहना या ऑफिस में प्रोडक्टिविटी का प्रेशर दिमाग के लिए नहीं है अच्छा...जानिए क्यों होते हैं हम बर्नआउट

अगर आप हमेशा काम के प्रेशर में रहते हैं तो आपकी क्रिएटिविटी और काम करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है. जानिए क्या कारण है कि लगातार काम करते रहना हमें बर्नआउट कर देता है.

Work pressure is hurting your brain (Representational Image)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 01 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST

आजकल बहुत से लोग हर पल को ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्टिव बनाने की कोशिश में लगे रहते हैं. लेकिन क्या आपने सोचा है कि लगातार प्रोडक्टिव बनने के कारण हमारे दिमाग पर क्या असर होता है? एक स्टडी के मुताबिक लगातार तनाव और काम के दबाव में रहना हमारे दिमाग की क्रिएटिविटी और एफिशिएंसी को कम कर सकता है. एकतरफ जब इन्फोसिस (Infosys) के सह-संस्थापक(Co-Founder) नारायण मूर्ति और ओला ( Ola) के सीईओ (CEO) भाविश अग्रवाल जैसे लोग काम के घंटे को ज्यादा बढ़ाने की बात करते हैं, तब यह सवाल उठता है कि क्या ज्यादा काम करना सही में फायदेमंद है. 

न्यूरोसाइंस के मुताबिक, हमेशा काम में डूबे रहने से दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है. एक स्टडी के मुताबिक दिमाग में एक छोटा-सा हिस्सा होता है जिसे लॉकस कोर्यूलियस (locus coeruleus) कहा जाता है. यह भाग दिमाग के काम करने की स्पीड को कंट्रोल करता है जैसे कि कार में गियर लीवर, जो तय करता है कि हमारा दिमाग कितनी जल्दी या धीमी गति से काम करेगा.

क्या होता है लॉकस कोर्यूलियस?
लॉकस कोर्यूलियस दिमाग के ब्रेनस्टेम का एक छोटा सा हिस्सा है जो हमारे ध्यान, सतर्कता और मानसिक स्थिति (Mental State) को कंट्रोल करता है. इसे कार के गियर शिफ्ट की तरह समझ सकते हैं, जो हमारे दिमाग की काम करने की स्पीड को तय करता है. 

लॉकस कोर्यूलियस हमारे दिमाग का एक छोटा-सा हिस्सा है जो यह तय करता है कि हमारा दिमाग किस तरह से काम करेगा. इसे तीन "गियर" में बांटा जा सकता है. आइए इन तीन गियर को विस्तार से समझते हैं:

1. गियर 1 - आराम का मोड-
 इस गियर में हमारा दिमाग पूरी तरह से आराम की स्थिति में होता है. हम ज्यादा फोकस नहीं करते, बल्कि हमारा दिमाग धीरे-धीरे विचारों में बहता रहता है, जैसे हम सपने देख रहे हों या किसी हल्की सोच में डूबे हों. यह गियर हमारे दिमाग को पूरी तरह से आराम देने के लिए जरूरी है और इसे रिचार्ज करने में मदद करता है.

2. गियर 2 - फोकस और रचनात्मकता का मोड-
इस गियर में हमारा दिमाग फोकस और ध्यान केंद्रित करने की स्थिति में होता है, लेकिन बिना किसी तनाव के. इस गियर में हमारा दिमाग सबसे अच्छी तरह काम करता है – हम  क्रिएटिव होते हैं, समस्याओं का हल आसानी से ढूंढ पाते हैं, और दूर तक सोच सकते हैं. यह गियर वो स्थिति है जब हमारा दिमाग कुशलता से और एफिशिएंसी से काम करता है, जिससे हम अपने काम को अच्छे से और बिना थके पूरा कर पाते हैं.

3. गियर 3 - संकट का मोड-
इस गियर में हमारा दिमाग अलर्ट मोड (Alert Mode) में होता है, जैसे कि हम किसी खतरे का सामना कर रहे हों. इस गियर में हम बहुत सतर्क और चिंतित रहते हैं, जैसे अचानक किसी परेशानी या संकट का सामना करना हो. यह गियर काम तो तेजी से करवा सकता है, लेकिन सिर्फ कम समय के लिए ही फायदेमंद है. 
अगर हम लगातार गियर 3 में फंसे रहें, तो यह हमारे दिमाग पर बुरा असर डाल सकता है. हमारी क्रिएटिविटी कम हो जाती है, थकावट महसूस होती है, और तनाव बढ़ने लगता है.

लॉकस कोर्यूलियस का ‘बुरा गियर’ - गियर 3 (संकट मोड)
लॉकस कोर्यूलियस का गियर 3 जिसे ‘संकट मोड’ भी कहा जा सकता है, वह स्थिति है जिसमें हमारा दिमाग बेहद अलर्ट और तनाव में होता है. यह गियर आमतौर पर तब एक्टिव होता है जब हम किसी बड़ी चुनौती, संकट, या खतरनाक स्थिति का सामना कर रहे होते हैं. 

गियर 3 हमारे दिमाग को तुरंत और तेजी से काम करने के लिए तैयार करता है, जिससे हम किसी भी परेशानी का सामना तुरंत कर सकें. हालांकि, यह स्थिति कम समय के लिए ही फायदेमंद होती है, लेकिन जब दिमाग लंबे समय तक इसी मोड में फंसा रहता है, तो इसके बुरे  प्रभाव दिखाई देने लगते हैं. इसके बुरे प्रभाव कुछ इस प्रकार है-

1. क्रिएटिविटी और गहराई से सोचने की क्षमता में कमी-
गियर 3 में हमारा दिमाग संकट का सामना करने में इतनी जल्दी रिएक्शन देने की स्थिति में रहता है कि उसमें गहराई से सोचने और क्रिएटिविटी के लिए जगह ही नहीं होती. इस स्थिति में हमारा दिमाग तुरंत समाधान खोजने में व्यस्त हो जाता है और लंबे समय के लिए नई और क्रिएटिव सोच का विकास नहीं कर पाता. 

2. तनाव और चिंता में बढ़ोतरी-
गियर 3 मुख्य रूप से आपातकालीन (Emergency) स्थिति के लिए बना है. जब हम हमेशा इस मोड में रहते हैं, तो दिमाग तनाव और चिंता की स्थिति में फंसा रहता है, जैसे कि वह हर समय किसी खतरे का सामना कर रहा हो. इस कारण व्यक्ति का मेंटल हेल्थ प्रभावित होने लगता है और समय के साथ चिंता और तनाव होने लगता हैं.

3. मानसिक थकान (Menatal Fatigue)-
संकट मोड में लगातार रहने से दिमाग को अत्यधिक एनर्जी की आवश्यकता होती है, जिससे मानसिक थकान जल्दी हो जाती है. इस थकावट का प्रभाव हमारे रोज को कामों पर पड़ता है, और हम जल्दी ही थका हुआ महसूस करने लगते हैं. मानसिक थकान का स्तर बढ़ने पर, व्यक्ति में बर्नआउट की संभावना भी बढ़ जाती है.

4. काम की क्वालिटी में गिरावट-
गियर 3 में हमारा दिमाग सतर्कता और तुरंत देने वाले रिएक्शन पर ध्यान देता है, जिससे काम की क्वालिटी प्रभावित हो सकती है. लंबे समय तक इस गियर में रहने पर व्यक्ति का ध्यान बार-बार भटकता है, जिससे काम में गलतियां होती हैं और उसकी क्‍वालिटी घट जाती है.

5. लॉन्ग टर्म प्रोडक्टिविटी में कमी-
गियर 3 में बने रहने से तत्कालीन कार्य भले ही तेजी से हो जाए, लेकिन लंबे समय में यह प्रोडक्टिविटी को घटाता है. दिमाग की थकान और ध्यान की कमी के चलते व्यक्ति लॉन्ग टर्म गोल्स को हासिल करने में कठिनाई महसूस करता है.

लॉकस कोर्यूलियस का गियर 3 केवल आपातकालीन स्थिति के लिए अच्छा है. लेकिन अगर हम लगातार इस मोड में रहते हैं तो यह हमारे मानसिक(Mental) और शारीरिक(physical) स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इसीलिए, जरूरी है कि हम अपने दिमाग को समय-समय पर आराम दें और इसे गियर 1 और गियर 2 में काम करने का अवसर दे , ताकि ज्यादा दिन तक हम स्वस्थ और अधिक प्रोडक्टिव बने रह सकें.

(यह खबर निशांत सिंह ने लिखी है. निशांत GNTTV.Com के साथ बतौर इंटर्न काम कर रहे हैं.)

 

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