ट्रैफिक का शोर न सिर्फ परेशान करने वाला होता है, बल्कि यह आपके दिल के लिए भी ठीक नहीं है. अध्ययनों से पता चला है कि सड़कों पर चल रही गाड़ियों, ट्रेनों और प्लेन के शोर से दिल संबंधी बीमारियां जैसे स्ट्रोक, डायबिटीज का खतरा बढ़ता है. शहरों में होना वाला ट्रैफिक का शोर लोगों में हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है.
ट्रैफिक के शोर से नींद में खलल
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि traffic noise के कारण पश्चिमी यूरोप में हर साल 1.6 मिलियन से ज्यादा लोग अपनी हेल्दी लाइफ गवां देते हैं. खासतौर पर रात में ट्रैफिक का शोर हमारी नींद में खलल डालता है, तनाव हार्मोन को बढ़ाता है, और हमारी खून की नलियों और दिमाग पर ज्यादा तनाव पैदा करता है. इससे हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ता है. डेनमार्क, अमेरिका, स्विटजरलैंड और जर्मनी के वैज्ञानिकों ने मिलकर यह पता लगाया है कि ट्रैफिक का शोर हमारे दिल की सेहत को भी प्रभावित करता है.
यातायात शोर से दिल संबंधित बीमारियों का खतरा
American Heart Association, Circulation Research जर्नल में प्रकाशित रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया कि यातायात शोर के प्रत्येक 10 डेसिबल पर दिल संबंधित बीमारियों का खतरा 3.2% बढ़ जाता है. 55 डेसिबल से अधिक ध्वनि का स्तर शोर पैदा करता है और सेहत को नुकसान पहुंचाता है. सड़कों पर चलने वाले वाहनों से करीब 70 से 90 डेसिबल तक शोर होता है. वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया कि कैसे शोर हमारे जीन, हमारे इंटर्नल क्लॉक और हमारे मेटाबॉलिज्म के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं, जिससे हृदय संबंधी समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है.
सुनने की क्षमता होती है प्रभावित
रात के समय विमान के शोर के संपर्क को कार्डियोमायोपैथी से भी जोड़ा गया है, जिसे ताकोत्सुबो सिंड्रोम भी कहा जाता है. जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा हानिकारक यातायात शोर के संपर्क में है. इस शोर को कंट्रोल करना बेहद जरूरी है. रिसर्चर्स ने इस बात पर जोर दिया कि हमें शोर को कम करने और अपने दिल की सेहत को ठीक रखने के लिए रणनीतियां बनाने की आवश्यकता है. ट्रैफिक के शोर में लगातार रहने से हमारी सुनने की क्षमता भी प्रभावित होती है.