दिल्ली एम्स में अब बनेगा ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लिए एक स्पेशल क्लिनिक इस क्लिनिक को सेंटर आफ एक्सीलेंस नाम दिया जाएगा. यह एक ऐसी जगह होगी जहां पर ट्रांसजेंडर कम्युनिटी का हर तरीके से इलाज मौजूद होगा. सर्जरी से लेकर साइकेट्रिक ट्रीटमेंट इस क्लीनिक में मुहैया कराया जाएगा. दिल्ली एम्स के अलग-अलग डिपार्टमेंट के डॉक्टर मिलकर इस क्लीनिक में मरीजों का इलाज करेंगे.
ट्रांसजेंडर केयर के लिए शुरू हुआ है क्लिनिक
ट्रांसजेंडर केयर की सोच के साथ इस क्लीनिक की शुरुआत की जाएगी. इसका मकसद है कि बिना किसी झिझक के ट्रांसजेंडर चाहे वह बच्चे हों, बड़े हों या बुजुर्ग सभी यहां पर आकर अपनी परेशानी और अपनी बीमारी डॉक्टर को आसानी से बता सकें. उनका बिना किसी भेदभाव के साथ इलाज एक ही जगह पर किया जा सकेगा.
सेंटर फॉर एक्सीलेंस में अलग अलग देशों के वर्ल्ड हेल्थ प्रोफेशनल्स Wpath, IPath और मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस मिलकर दिल्ली एम्स के डॉक्टर्स के साथ काम करेगी. इसके बाद भारत के अन्य एम्स में ऐसी ही सुविधा वाले और क्लीनिक खोले जाएंगे. साथ ही ट्रांसजेंडर कम्युनिटी की हेल्थ, मेंटल हेल्थ और डायवर्सिटी को समझा जाएगा और इलाज किया जाएगा.
भारत में होती है सेक्स चेंज सर्जरी
हालांकि भारत में भी सेक्स चेंज ऑपरेशन जैसी जटिल सर्जरी बहुत से अस्पतालों में की जाती है. मगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एडवांस सर्जरी और एडवांस ट्रीटमेंट को समझने के लिए दिल्ली एम्स में वर्ल्ड हेल्थ प्रोफेशनल्स को बुलाया और 5 दिन की वर्कशॉप भी रखी गई. इन पांच दिनों में ट्रांस हेल्थ केयर फील्ड में एडवांस्ड ट्रीटमेंट, लाइव सर्जरी, हार्मोनल ट्रीटमेंट और दिल्ली एम्स के डॉक्टर्स के साथ वर्कशॉप भी की जाएगी. वर्ल्ड हेल्थ प्रोफेशनल से एडवांस ट्रीटमेंट नॉलेज एक्सचेंज किया जाएगा इसके बाद सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में एडवांस्ड तरीके से केयर दी जाएगी.
डॉ संजय शर्मा कहते हैं, “आज तक हमारे देश में कोई मां बाप अपने किसी ट्रांस बच्चे को डॉक्टर को दिखाने नहीं लेकर आते. इससे हमें समझ आता है कि कितनी जरूरत है एक ऐसी जगह की जहां पर ट्रांसजेंडर खुलकर अपनी परेशानी अपनी बीमारी की बात कर सकें. हमें सभी हेल्थ प्रोफेशनल्स को भी इसके लिए माहौल बनाना पड़ेगा ताकि ये हेल्थकेयर फैसिलिटी केवल महिला और पुरुष के लिए ही सीमित ना हो उसमें सभी लोग शामिल हों. 100 में से 2 से 8 प्रतिशत आज ट्रांसजेंडर हैं, हेल्थ फैसिलिटी नहीं ले पाते हैं, उनको केयर की जरूरत है. साथ ही उनकी मेंटल हेल्थ का भी ध्यान रखने को जरूरत है."
एक ही जगह पर मिलेगी फैसिलिटी
डॉक्टर मनीष सिंघल ने बताया कि सेंटर फॉर एक्सीलेंस का मतलब है कि हम हर फैसिलिटी उन्हें एक जगह पर दें. वर्ल्ड हेल्थ प्रोफेशनल्स या विदेशी डॉक्टर्स की क्या टेक्निक है हमें ये जानना चाहिए. ट्रांसजेंडर इलाज के लिए आगे नहीं आते हैं. इलाज तो बाद में होगा पहले उनका हॉस्पिटल तक आना जरूरी है. इसके लिए ये क्लीनिक बनाया जा रहा है, जिसमें किसी को अलग महसूस न हो और सबका इलाज आसनी से हो सके.