उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज एक अनोखा मामला सामने आया है. अस्पताल में ढाई दिन की बच्ची का देहदान किया गया है. नवजात की मौत हृदय संबंधी रोग एसफिक्सिया के कारण हुई थी. दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ है कि ढाई दिन की बच्ची का देहदान किया गया है. 8 दिसंबर को बच्ची का जन्म हुआ था. जिससे पूरा परिवार खुश था. लेकिन ये खुशी चंद लम्हों की थी.
ढाई दिन की बच्ची का देहदान-
दून मेडिकल कॉलेज में 8 दिसंबर को एक बच्ची का जन्म हुआ. बच्ची का जन्म सिजेरियन प्रोसेस से हुआ. बच्ची का नाम सरस्वती रखा गया. बच्ची के जन्म से पूरा परिवार खुश था. लेकिन जब जांच हुई तो पता चला कि बच्ची को हृदय संबंधी बीमारी है और वो कम दिनों की मेहमान है. इससे पूरा परिवार टूट गया. 10 दिसंबर को बच्ची ने दम तोड़ दिया. इसके बाद फैमिली ने ढाई दिन की बच्ची की बॉडी को अस्पताल को दान कर दिया. फैमिली ने अस्पताल के एनाटॉमी डिपार्टमेंट को सरस्वती का देहदान किया.
चिकित्सा क्षेत्र के लिए बड़ा योगदान-
दून अस्पताल की प्राचार्य डॉ. गीता जैन ने बताया कि यह कदम न केवल चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक बड़ा योगदान है, बल्कि समाज में जागरूकता बढ़ाने का एक प्रेरणादायक उदाहरण भी है.
डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची को जन्मजात हृदय संबंधी समस्या थी. जिसके चलते उसका निधन हो गया. हरिद्वार के डॉक्टर राजेंद्र सैनी ने बच्ची के परिवार को देहदान के लिए प्रेरित किया. उनकी प्रेरणा से परिवार ने यह साहसिक कदम उठाया और बच्ची का शव चिकित्सा अनुसंधान के लिए दान कर दिया.
फैक्ट्री में काम करते हैं बच्ची के पिता-
बच्ची के पिता राम मिहर हरिद्वार में एक फैक्ट्री में काम करते हैं. ये फैमिली हरिद्वार के ज्वालापुर की रहने वाली है. यह बच्ची दो दिन के लिए दुनिया में आई थी. लेकिन जाते-जाते समाज के लिए बड़ा काम कर गई. इस बच्ची को हमेशा याद रखा जाएगा.
(देहरादून से अंकित शर्मा की रिपोर्ट)
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