मानसून अपने साथ संक्रमणों की बाढ़ लेकर आता है.अगर सावधानी न बरती जाए तो इसका स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है. इस दौरान पाचन संबंधी समस्याएं आम हैं क्योंकि इस मौसम में कीड़े-मकौड़े जल्दी पनपते हैं सूक्ष्मजीवों के विकास के लिए ये मौसम बहुत ही आदर्श माना जाता है. लेकिन आप जो खाते हैं वह आपको संक्रमण से बचाने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है. आयुर्वेद के अनुसार, सर्वोत्तम स्वास्थ्य के लिए इस मौसम में आपको आहार का चुनाव बहुत ही सावधानी पूर्वक करना चाहिए. आप जो खाना खाएं वह हल्का, ताजा, पचने में आसान और घर पर बना हुआ होना चाहिए. किसी को सड़क किनारे ठेला आदि से तले हुए स्नैक्स खाने से बचने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि पानी से संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है.
मानसून में संतुलित आहार खाने की सलाह दी जाती है लेकिन सभी सब्जियां वर्षा ऋतु के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं और कुछ पाचन अग्नि को भी बाधित कर सकती हैं. पत्तागोभी, फूलगोभी और पालक जैसी सब्जियां आपके पाचन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर सकती हैं और बरसात के मौसम में इनसे बचना चाहिए. अच्छे पाचन के लिए लौकी, तोरई और ऐसी अन्य हल्की सब्जियों का सेवन करना चाहिए.
इस मौसम में आपकी पाचन क्रिया मजबूत बनी रहे इसके लिए लाइफस्टाइल में भी कुछ बदलाव कर सकते हैं. इसके लिए शहद मिले गुनगुने पानी का सेवन करें, घर का बना ताजा खाना खाएं, आहार में अदरक शामिल करें, कच्चे सलाद, दही और बासी भोजन से बचना चाहिए. वायरल और बैक्टीरियल बीमारियों से बचाव के लिए अपने आस-पास के वातावरण को साफ-सुथरा रखना महत्वपूर्ण है.
डॉ. नितिका कोहली जो अक्सर आयुर्वेद और उसकी ताकत को लेकर कई सारे पोस्ट करती रहती हैं ने इंस्टाग्राम पर मौसमी सब्जियों को लेकर भी पोस्ट की है. नितिका ने पोस्ट किया, "हमारे शरीर और मौसमी सब्जियों के बीच एक सुंदर तालमेल है. मौसम का हमारे शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है, लेकिन अगर हम अपनी जीवनशैली को इसके अनुसार समायोजित करते हैं, तो यह आपके जीवन में आनंद लाएगा." इस पोस्ट में उन्होंने मानसून में खाने और बचने के लिए सब्जियों की एक लिस्ट भी शेयर की है.
मानसून के दौरान इन सब्जियों से करें परहेज
1. शिमला मिर्च
शिमला मिर्च का उपयोग कुरकुरे स्टार्टर, नूडल्स से लेकर स्टर-फ्राई और करी तक विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है. लेकिन डॉ. कोहली के अनुसार स्वादिष्ट सब्जियां वर्षा ऋतु के लिए उपयुक्त नहीं हैं क्योंकि उनकी कच्ची और 'शीतल' प्रकृति अग्नि (पाचन अग्नि) को डिस्टर्ब कर सकती है, जिससे अमलपित्त (एसिडिटी) हो सकती है और वात और पित्त दोष बढ़ सकता है. इसलिए, यदि आप मानसून में एसिडिटी और इनफ्लमेश की समस्या का सामना नहीं करना चाहते हैं, तो इस सब्जी से दूर रहें.
2. पालक
पालक पनीर, पालक का सूप या पालक की स्मूदी थोड़ी देर इंतजार कर सकती है क्योंकि आयुर्वेद विशेषज्ञ के अनुसार आयरन से भरपूर सब्जी को बरसात के मौसम में खाने से बचना चाहिए. डॉ. कोहली कहती हैं कि पालक से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण का खतरा हो सकता है. बारिश के मौसम में पालक खाने से परहेज करें क्योंकि यह वात और पित्त दोष को बढ़ाता है और शरीर में कफ दोष को कम करता है. यह हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकता है, जिससे गैस्ट्रो-इंटेंस्टाइनल संक्रमण और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, खासकर मानसून सीजन में.
3. फूलगोभी
जब मौसम बारिश का हो तो गोभी पराठे, गोभी पकोड़े आदि खाने का मन करने लगता है. लेकिन आयुर्वेद के अनुसार, वर्षा ऋतु के दौरान फूलगोभी खाने की सलाह नहीं दी जाती क्योंकि यह पाचन अग्नि को बाधित कर सकती है. इसकी शीतल और द्रव (पानी वाली) प्रकृति जठराग्नि (पाचन अग्नि) में बाधा उत्पन्न कर सकती है. यह वात दोष को बढ़ाता है और शरीर में कफ और पित्त दोष को कम करता है.
4. पत्ता गोभी
सलाद, फ्राइज़, नूडल्स से लेकर कई स्ट्रीट फूड तक, पत्तागोभी एक लोकप्रिय भारतीय सब्जी है और इसे कई प्रकार के व्यंजनों में शामिल किया जाता है. हालांकि, आप आयुर्वेद के अनुसार इसे मानसून में खाना छोड़ ही दें तो ही भला है. इसके शीतल (ठंडा करने वाले) और गुरु (भारी) गुण के कारण ये बरसात के मौसम में पाचन अग्नि को खराब कर सकती है.
5. टमाटर
करी उनके तीखे स्वाद के बिना अधूरी है. सलाद और सूप में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इस मानसून में टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये एसिडिटी का कारण बन सकते हैं. उनके गर्म और खट्टे गुण अम्लपित्त का कारण बन सकते हैं और त्रिदोष को बढ़ा सकते हैं.
मानसून के मौसम में खाने वाली सब्जियां
अब जब आप जानते हैं कि मानसून के मौसम में क्या नहीं खाना चाहिए, तो अब जान लीजिए क्या खाना चाहिए.
1. लौकी
आयुर्वेद के अनुसार लौकी प्रकृति में मीठी होती है और इसमें ठंडक देने वाले गुण होते हैं. लौकी स्टिर-फ्राई, लौकी चना दाल करी, लौकी कोफ्ते से लेकर लौकी का रायता तक, ऐसी कई स्वादिष्ट रेसिपी हैं जिन्हें आप लौकी से तैयार कर सकते हैं. लौकी को एपेटाइजर के तौर पर भी जाना जाता है. ये ताकत बढ़ाती है. पौष्टिक सब्जियां पित्त दोष को संतुलित करने और पाचन में सहायता करने में मदद करती हैं.
2. तोरई
मानसून के मौसम में इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करने वाली सब्जियों का नियमित सेवन करना चाहिए. तोरई कफ और पित्त नाशक है और भूख बढ़ाने वाली मानी जाती है. यह ताकत भी बढ़ाता है और पाचन को प्रेरित करता है. त्वचा रोगों, एनीमिया, सूजन वाले लोगों के लिए भी तोरई जानी जाती है.
3. टिंडा
टिंडा कफ-विरोधी और वात-विरोधी है. इसे हल्का और पचाने में आसान माना जाता है, जो इसे इस मौसम के लिए आदर्श बनाता है. यह बॉडी में हाइड्रेशन बनाए रखने में भी मदद करता है. टिंडा पाचन को बढ़ावा देता है, कठोरता को दूर करता है और एनोरेक्सिया और सूजन संबंधी विकारों को ठीक करता है.