एक महीने में बढ़े सीजनल फ्लू के मामले, मौसम की करवट कहीं आपको भी न कर दे बीमार, डॉक्टर से जानें बचाव के तरीके

बदलते मौसम का असर लोगों की सेहत पर भी देखने को मिल रहा है. पिछले एक महीने से इन्फ्लूएंजा के मामले बढ़े हैं. अधिकांश मरीजों वायरल बुखार, खांसी और सर्दी जैसे लक्षण के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं.

viral fever
अपूर्वा राय
  • नई दिल्ली,
  • 04 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 12:10 PM IST
  • मौसम का असर लोगों की सेहत पर
  • एक महीने में बढ़े सीजनल फ्लू के मामले

सर्दियां खत्म होने की कगार पर हैं. मार्च की शुरुआत हो चुकी है. बदलते मौसम का असर लोगों की सेहत पर भी देखने को मिल रहा है. पिछले एक महीने से इन्फ्लूएंजा के मामले बढ़े हैं. अधिकांश मरीज वायरल बुखार, खांसी और सर्दी जैसे लक्षण के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं. पहले वायरल बुखार जहां तीन से पांच दिनों में ठीक हो जाता था, लेकिन अब खांसी और बुखार लंबे समय तक बना रहता है. मौसम बदलने के साथ हमारे शरीर की जरूरतें भी बदलती हैं, इसलिए  इस मौसम में सेहत का खास ख्याल रखने की जरूरत पड़ती है.

सेहत से जुड़ी इस खबर में डॉ. मोहसिन वली से जानेंगे कि मौसम बदलने पर किन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है? अगर आपको वायरल हो गया है तो क्या सावधानियां बरत सकते हैं, कब डॉक्टर के पास जाना जरूरी है और खानपान में क्या बदलाव किए जाने चाहिए... 

सवाल 1. मौसम बदलने पर किन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है?
जवाब- मौसम बदलने पर मौसम बदलने पर वायरल इन्फेक्शन जैसे सर्दी, खांसी और फ्लू का खतरा बढ़ जाता है. आजकल लोगों को अजीब किस्म की खांसी हो रही है. लोग खांसी के लिए तमाम तरह के एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं, सिरप ले रहे हैं लेकिन खांसी 15 दिनों तक बनी रहती है. ये रेस्पिरेटरी वायरस का वेरिएंट है जो इंफ्लूएंजा की तरह लक्षण पैदा कर रहा है. इसमें लोगों को फीवर कम और खांसी ज्यादा आ रही है. लोगों को सीने में दर्द की शिकायत भी है. थकान भी हो रही है. ऐसी स्थिति में आराम करने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा देसी दवाएं जैसे काढा ज्यादा नहीं पीना चाहिए. इससे गैस्ट्राइटिस का खतरा बढ़ जाता है.

सवाल 2.  कैसे पता चलेगा कि बुखार वायरल है या बैक्टीरियल?
जवाब- वायरल और बैक्टीरियल दोनों में जाड़ा लगकर बुखार आता है. लेकिन वायरल फीवर में जाड़ा कम समय के लिए लगता है. अगर ब्लड काउंट बढ़े हुए हैं तो इसका मतलब है बैक्टीरियल इंफेक्शन है. लेकिन वायरल में ब्लड काउंट 4 हजार से कम हो जाता है. बैक्टीरियल में धीरे-धीरे बुखार बढ़ता है लेकिन वायरल में बुखार तुरंत बढ़ता है. वायरल फीवर में पेशेंट पहले से हेल्दी होते हैं. जबकि बैक्टीरियल उन्हें होता है जो पहले से किसी बीमारी से पीड़ित हैं. 

सवाल 3. वायरल होने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? 
जवाब- वायरल या किसी भी तरह का फीवर होने पर खाने में कैलोरी की मात्रा बढ़ानी चाहिए क्योंकि मेटाबॉलिज्म तेज होने की वजह से कैलोरी बहुत ज्यादा बर्न होती हैं. शरीर से एनर्जी कम होने लगती है...फ्रूट जूस, अच्छा खाना जैसे प्रोटीन, अंडे, फिश आदि खाना चाहिए.

सवाल 4. वायरल से बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
जवाब- संक्रमित लोगों से दूरी बनाकर रखें. इसके अलावा वायरल से बचने के लिए मास्क लगाना बहुत जरूरी है. मास्क न लगाने की वजह से हर किसी को सांस लेने में तकलीफ और खांसी की दिक्कत हो रही है. अगर हम मास्क लगाएं तो 70 प्रतिशत लोग वायरल से बच सकेंगे, क्योंकि सांस के जरिए ही बैक्टीरिया शरीर के अंदर प्रवेश करता है. खासकर बदलते मौसम के दौरान हाइड्रेटेड रहें और नियमित रूप से व्यायाम करें, इससे इन लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है.

सवाल 5. इस मौसम में खानपान की आदतों में क्या बदलाव करने की जरूरत है?
जवाब- बी कॉम्प्रेलेक्स, विटामिट सी युक्त फल खाएं और दवाएं लें और इम्यूनिटी ठीक रखें. एक्सरसाइज जरूर करें. सादा खाना खाएं. बाहर के खाने से बचना चाहिए. तला-भुना खाने से भी परहेज करें. इस मौसम में बच्चों को फास्ट फूड से एकदम दूर रखें. घर में बना हुआ खाना खाएं. बुखार आने पर डॉक्टर को तुरंत दिखाएं. टाइफाइड का टेस्ट जरूर कराएं.

वायरल इन्फेक्शन से बचने के लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे कि हाथों को नियमित रूप से धोना, मास्क पहनना, और खांसी-जुकाम होने पर खुद को आइसोलेट करना. इसके अलावा, इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए विटामिन सी युक्त फलों और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए. जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनानी चाहिए.

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