रणधीर कपूर ने नकारी डिमेंशिया से पीड़ित होने की बात, आखिर क्या है यह बीमारी, नाम सुनते ही घबरा जाते हैं लोग

रणबीर कपूर ने ने हाल ही में कहा था कि उनके अंकल रणधीर कपूर डिमेंशिया (Dementia) के शुरुआती स्टेज पर हैं. हालांकि, रणधीर ने इस बात से खुद इंकार करते हुए कहा है कि वह बिल्कुल ठीक हैं.

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निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 12 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 9:47 AM IST
  • मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली बीमारियों का लक्षण है डिमेंशिया
  • पूरी दुनिया में करीब 5 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित

हाल ही में, अभिनेता रणबीर कपूर ने एक मीडिया इंटरव्यू में बताया था कि उनके अंकल रणधीर कपूर में डिमेंशिया के शुरूआती लक्षण देखने को मिल रहे हैं. हालांकि, रणधीर कपूर ने इस बात से साफ इंकार किया है. उनका कहना है कि वह बिल्कुल ठीक हैं. 

खैर, रणधीर कपूर को यह बीमारी हो या न हो, लेकिन इसके बारे में जानना हम सबके लिए जरूरी है. क्योंकि डिमेंशिया किसी के लिए भी खतरनाक है. अगर यह ज्यादा बढ़ जाए तो इसका इलाज संभव नहीं है. इसलिए आज हम बता रहे हैं कि आखिर डिमेंशिया क्या है, और इसके क्या लक्षण हैं. 

डिमेंशिया है क्या?

डिमेंशिया को मनोभ्रंश भी कहते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक यह कोई एक बीमारी नहीं है बल्कि बीमारियों का लक्षण है. ऐसी बीमारियां जो दिमाग को प्रभावित करती हैं. ऐसी बीमारियों जिनसे मस्तिष्क के कुछ काम जैसे याददाश्त, किसी की बात समझना, सोचना, बोलना, आदि क्षमताएं खत्म होती जाती हैं.

एक समय के बाद आदमी का दिमाग काम करना बंद कर देता है या सामान्य से बहुत कम काम करता है. इस मानसिक क्षीणता की गति धीमी या तेज भी हो सकती है.

डिमेंशिया के लक्षण

डिमेंशिया के मरीजों में दिखने वाले प्रमुख लक्षण हैं:

- याददाश्त कमजोर होना, ज़रूरी बातें भूल जाना.
- सोचने में मुश्किल होना
- छोटी-छोटी परेशानी हल न कर पाना
- व्यक्तित्व में बदलाव
- नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत, गिनती करने में दिक्कत
- रोजमर्रा के काम न कर पाना 

यहां तक कि डिमेंशिया से पीड़ित लोग अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होते हैं. यानी मूड या व्यवहार का बदलना.

क्यों खतरनाक है यह बीमारी

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक पूरी दुनिया में करीब 5 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं. हर साल डिमेंशिया के करीब 1 करोड़ नए मामले सामने आते हैं. आने वाले समय में डिमेंशिया से ग्रस्त लोगों की संख्या में तीन गुना इजाफा होने की आशंका भी जता दी गई है.

पर अभी भी इसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है. कई न्यूरोलॉजिस्ट और मनोरोग विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर मरीज इलाज के लिए तब आते हैं, जब समस्या बहुत गंभीर हो जाती है. और डिमेंशिया 30-40 की उम्र में भी शुरू हो सकता है. इसलिए जागरूकता बहुत जरूरी है. 

इलाज है संभव लेकिन....

डिमेंशिया का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि किस प्रकार का डिमेंशिया हुआ है. यह दो तरह का होता है- एक ट्रीटेबल (Treatable) डिमेंशिया और दूसरा इर्रिवरसिबल (Irreversible) डिमेंशिया. इर्रिवरसिबल डिमेंशिया में मस्तिष्क के न्यूरॉन्स धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं. यह ठीक नहीं होता. 

हालांकि अब कई दवाइयां मौजूद हैं, जिससे स्थिति सामान्य बनाई जा सकती है. पर इसके लिए समय पर इलाज कराना जरूरी है.

अन्य तरह के डिमेंशिया में यह पता करना जरूरी होता है कि डिमेंशिया का कारण क्या है. डिमेंशिया कई कारणों से हो सकता है जैसे अल्जाइमर, वेस्कुलर डिमेंशिया, ल्यू बॉडी डिमेंशिया, फ्रंटोटेंपरल डिमेंशिया, किसी विटामिन की कमी, थायरॉयड, सिर पर चोट आदि. 

ऐसे में अगर डिमेंशिया का कारण स्पष्ट हो जाए तो कई मामलों में इलाज संभव है. जैसे अगर डिमेंशिया का कारण विटामिन बी 12 की कमी है, तो इसका इंजेक्शन देकर इलाज किया जा सकता है. कारण अगर थायरॉयड है या सिर पर लगी चोट है, तो इनका इलाज किया जा सकता है.

(डिसक्लेमर: यह लेख पहले से उपलब्ध जानकारी के आधार पर लिखा गया है. अगर आप इस बारे में आधिक जानकारी चाहते हैं तो किसी न्यूरोलॉजिस्ट या मनोरोग विशेषज्ञ से संपर्क करें)

 

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