Heat Index: हीट इंडेक्स क्या है, उमस भरी गर्मी कितनी खतरनाक हो सकती है, सबसे ज्यादा खतरा किसे?

मौसम विभाग ने दिल्ली-एनसीआर में 1 जुलाई से मानसून की बारिश का पुर्वानुमान लगाया था लेकिन हर दिन बारिश की भविष्यवाणी गलत सबित होती रही. दिल्ली में लोग इस वक्त उमस भरी गर्मी झेलने को मजबूर हैं. उच्च आर्द्रता मानव शरीर पर कई प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है.

दिल्ली में पड़ रही उमस भरी गर्मी
अपूर्वा राय
  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 2:10 PM IST
  • हीट इंडेक्स अधिकतम तापमान और नमी की स्थिति को मिलकर बनता है.
  • लोगों को दोपहर के बजाए शाम के वक्त ज्यादा बेचैनी होती है.

आषाढ़ का महीना आधा बीत चुका है और दिल्ली-एनसीआर के लोग अभी भी दो बूंद बारिश के लिए तरस रहे हैं. दिल्ली में मानसून ने 30 जून को दस्तक दी थी. इसके बाद करीब 10 दिन तक लोग गर्मी और उमस से बेहाल रहे. 12 जुलाई को कुछ इलाकों में हल्की बारिश तो हुई लेकिन कोई बड़ी राहत नहीं मिली. इसके चलते लोगों को उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ा. इस समय दिल्ली के लोग जिस गर्मी और उमस का सामना कर रहे हैं उसकी बड़ी वजह हीट इंडेक्स है.

क्या है हीट इंडेक्स

हीट इंडेक्स या ऊष्मा सूचकांक वह तापमान है जो मानव शरीर को तब महसूस होता है जब सापेक्ष आर्द्रता को हवा के तापमान के साथ जोड़ा जाता है. हवा के तापमान के साथ आर्द्रता (ह्यूमिडिटी) को जोड़कर हीट इंडेक्स (ताप सूचकांक) का तापमान निकाला जाता है.गर्मी की वजह से बारिश, नदी-नालों, समुद्र या झील का पानी भाप बनकर उड़ता है और हवा में फैल जाता है. जब ये भाप वाली हवा शरीर में लगती है तो लोगों को उमस का अहसास होता है. मान लीजिए किसी दिन अधिकतम तापमान 35 डिग्री है और नमी का स्तर 70 फीसदी है तो उस दिन आपको 50 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी का अहसास होता है. हवा का कम दबाव, भारी उमस और बारिश न होने से दिल्ली में यह स्थिति बन रही है.

उमस भरी गर्मी कितनी खतरनाक

उच्च आर्द्रता मानव शरीर पर कई प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है. उमस भरी गर्मी कई बार जानलेवा भी साबित हो सकती है. कई बार इसकी वजह से लोगों को स्ट्रोक भी आ सकता है. उमस भरी गर्मी फिट लोगों का काम करना भी मुश्किल बन सकती है. कई बार शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं. दरअसल शुष्क मौसम में शरीर अपने आप को ठंडा करने की प्रक्रिया खुद करता है. आमतौर पर 98.6°F नॉर्मल बॉडी टेम्परेचर माना जाता है. जब तापमान बढ़ जाता है तो हमारे शरीर से पसीना निकलकर भाप बनते हुए अपने साथ गर्मी भी लेकर उड़ जाता है. लेकिन उमस वाली जगहों पर ये प्रक्रिया ठीक ढंग से काम नहीं करती है. क्योंकि हवा में पहले से इतनी नमी होती है कि वह इस प्रक्रिया में पसीने को भाप के रूप में उठा नहीं पाती है. 

सबसे ज्यादा खतरा किसे?

ऐसे मौसम में लोगों को दोपहर के बजाए शाम के वक्त ज्यादा बेचैनी होती है. खुले में मजदूरी करने वाले, खेतों में काम करने वाले लोगों, रेहड़ी पटरी पर सामान बेचने वाले लोग इस खतरे की जद में ज्यादा आते हैं. ऐसे मौसम में बाहर निकलने से बचना चाहिए, ज्यादा से ज्यादा पानी पीकर आप इस खतरे को कम कर सकते हैं. दिल्ली में लोगों को 35 डिग्री सेल्सियस के सामान्य तापमान में आर्द्रता और गर्म हवाओं के चलते 50 डिग्री सेल्सियस के बराबर गर्मी महसूस हो रही है.

 

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