अगर आप भी होटल या रेस्टोरेंट में स्वाद लेकर "पनीर बटर मसाला" या "शाही पनीर" खाते हैं, तो जरा सावधान हो जाइए! हो सकता है कि जो कुछ आप चटकारे लेकर खा रहे हैं, वो असली दूध से बना पनीर नहीं, बल्कि 'एनालॉग पनीर' हो! जी हां, सरकार अब इस बड़े फर्जीवाड़े पर सख्त कदम उठाने की तैयारी में है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही होटलों और रेस्टोरेंट्स के लिए यह अनिवार्य किया जाएगा कि अगर वे 'एनालॉग पनीर' का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो ग्राहकों को साफ-साफ जानकारी दी जाए.
लेकिन सवाल उठता है- आखिर ये एनालॉग पनीर है क्या बला? और क्यों सरकार को कूदना पड़ा इस खेल में?
क्या है एनालॉग पनीर? (What is Analogue Paneer?)
सीधा सा जवाब है- नकली पनीर! एनालॉग पनीर ऐसा प्रोडक्ट है जो दिखने में बिल्कुल असली दूध से बने पनीर जैसा लगता है, स्वाद भी लगभग वैसा ही होता है, लेकिन असल में इसमें दूध नहीं होता या फिर दूध के तत्वों को आंशिक रूप से सब्जी तेल (vegetable oil), स्टार्च और इमल्सिफायर्स जैसी चीजों से बदल दिया जाता है.
यानि जो आपको मलाईदार पनीर समझ आ रहा है, वो दरअसल एक केमिकल और तेल का घोल हो सकता है!
FSSAI के मुताबिक, ऐसा पनीर जिसमें दूध के घटकों को पूरी तरह या आंशिक रूप से नॉन-डेयरी सामग्रियों से बदला गया हो, उसे एनालॉग पनीर कहा जाता है.
क्यों हो रहा है एनालॉग पनीर का इतना इस्तेमाल?
अब सवाल उठता है कि होटल और रेस्टोरेंट एनालॉग पनीर का सहारा क्यों ले रहे हैं? जवाब है - सस्ता माल, मोटा मुनाफा! असली दूध से बना पनीर महंगा पड़ता है. एनालॉग पनीर उसकी तुलना में लगभग आधी कीमत में तैयार हो जाता है. स्वाद और बनावट में मामूली फर्क होने के बावजूद ग्राहकों को इसका पता ही नहीं चलता.
नतीजा- होटल मालिक जेब भरते हैं, और ग्राहक धोखा खाते हैं!
सरकार ने क्यों उठाया कदम?
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने पीटीआई से बातचीत में साफ कहा,"एनालॉग पनीर दिखता और स्वाद में पनीर जैसा है, लेकिन यह पनीर नहीं है. अगर होटल-रेस्टोरेंट इसे इस्तेमाल कर रहे हैं तो ग्राहकों को इसकी पूरी जानकारी देना अनिवार्य होना चाहिए."
सरकार की चिंता ये है कि रेस्टोरेंट्स असली पनीर के नाम पर नकली एनालॉग पनीर बेचकर ग्राहकों को ठग रहे हैं. न सिर्फ आर्थिक धोखा, बल्कि इससे स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि घटिया क्वालिटी के वेजिटेबल ऑयल और एडिटिव्स से बनी चीजें लंबे समय में शरीर के लिए खतरनाक हो सकती हैं.
FSSAI ने पहले से ही कंपनियों के लिए 'एनालॉग पनीर' पर 'नॉन-डेयरी' का लेबल लगाना अनिवार्य कर रखा है, लेकिन होटल और रेस्टोरेंट इस दायरे में नहीं आते. अब सरकार इस खाली जगह को भरने की तैयारी कर रही है.
बता दें, घटिया तेल और एडिटिव्स से बनी चीजें हृदय रोग, मोटापा और पेट की बीमारियां बढ़ा सकती हैं. साथ ही, असली पनीर समझकर ग्राहक ज्यादा कीमत चुका रहा है.
अब जब आप अगली बार "पनीर टिक्का" या "मटर पनीर" ऑर्डर करें तो जरा पूछिएगा- "भाई साहब, ये असली पनीर है या एनालॉग?" वरना स्वाद के चक्कर में सेहत का कबाड़ा हो सकता है!