Dead Butt Syndrome: देर तक बैठे रहने से 'मर जाएंगे' आपके हिप्स! जानिए क्या है यह बीमारी और कैसे कर सकते हैं इससे बचाव

Dead Butt Syndrome: ऑफिस में घंटों तक बैठकर काम करना, स्टडी टेबल तक घंटों बैठकर पढ़ना या सोफे पर बैठकर दिन-दिन भर टीवी देखते रहना. ये वो आदतें हैं जो जिन्दगी के अलग-अलग चरणों में आपको घेर सकती हैं. कहीं इन आदतों ने आपको डेड बट सिंड्रोम का शिकार तो नहीं बना दिया? पढ़िए.

dead butt syndrome
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:29 PM IST

ऑफिस में अपने वर्कस्टेशन पर घंटों बैठे रहना या स्टडी टेबल पर बैठकर किसी टॉपिक को बार-बार पढ़ते रहना हम में से कइयों की आदत होती है. अनुशासन सफलता की चाबी तो जरूर है लेकिन यह 'हार्डवर्क' आपके लिए चिंता का कारण बन सकता है. लंबे समय तक एक ही जगह बैठे रहने से आपको डेड बट सिंड्रोम (Dead Butt Syndrome) की समस्या हो सकती है. 

मेडिकल भाषा में इसे ग्लूटल अम्नेशिया भी कहते हैं. आसान भाषा में कहें तो यह परेशानी तब होती है जब लंबे समय तक बैठे रहने के कारण आपके नितंब (Glutes) यह भूल जाते हैं कि उन्हें कैसे काम करना है. इससे व्यक्ति के नितंब (ग्लूट्स) की मांसपेशियां कमजोर होने के साथ कमर दर्द जैसी तकलीफे भी होने लगती है.

क्या है डेड बट सिंड्रोम? 
यह एक ऐसी समस्या है जिसमें व्यक्ति की 'ग्लूटस मीडियस मांसपेशियां' यानी ग्लूट्स का ऊपरी भाग काम करना बंद कर देता है. शुरुआत के कुछ दिनों में इसके लक्षण बिल्कुल समझ नहीं आते, लेकिन धीरे-धीरे ये समस्या और भी गंभीर हो जाती हैं. पीठ के निचले हिस्से, हिप्स और  पैरों में दर्द, कमजोरी के साथ खिंचाव जैसी समस्याओं के कारण चलने-फिरने में परेशनियां बढ़ सकती हैं.

जब ये मांसपेशियां काम करना कम कर देती हैं तो शरीर की अन्य मांसपेशियों पर प्रभाव ज्यादा पड़ता है. इसके कारण से शरीर असंतुलित होने लगता है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में मेयो क्लिनिक में फिजिकल मेडिसिन और रिहैब विशेषज्ञ जेन कोनिडिस कहती हैं,, "इसका नाम थोड़ा अजीब लगता है लेकिन इसके दुष्प्रभाव गंभीर हैं." 

कैसे जानें डेड बट सिंड्रोम है या नहीं?
डेड बट सिंड्रोम का पता लगाने के लिए पहला टेस्ट 30 सेकंड का है. आपको 30 सेकंड तक एक पैर पर खड़ा होना है. अगर जरूरी हो तो गिरने से बचने के लिए किसी चीज का सपोर्ट भी ले सकते हैं. अध्ययनों के अनुसार, अगर आपके हिप्स उस तरफ झुकते हैं जहां वजन कम है तो यह ग्लूटस की मांसपेशियों में कमजोरी का संकेत है.

डॉ. कोनिडिस ने द न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ एक और टेस्ट साझा किया. इस टेस्ट में आपको पीठ के बल लेकर 'ग्लूट ब्रिज' बनाना है. इसके बाद आपको 10-15 बार अपने ग्लूट्स को हवा में उठाना है. अगर आपको ग्लूट्स में हल्की जलन महसूस होती है तो इसका मतलब है कि आपके ग्लूट्स फिट हैं. लेकिन अगर आपको मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होता है तो आपको डॉक्टर से मिलने की जरूरत है. 

इस समस्या का क्या है समाधान?
आप खुद को डेड बट सिंड्रोम से बचाने के लिए कई एक्सरसाइज कर सकते हैं और कई एहतियात भी बरत सकते हैं. वर्कआउट करते वक्त आप जंप स्क्वॉट्स, रेजिस्टेंस बैंड के साथ साइड स्टेप्स (Side Steps with Resistance Band) और साइड लंजेस (Side Lunges) कर सकते हैं. इससे आपको कमर और हिप्स दोनों के दर्द से आराम मिलेगा. 

दूसरा, आप ऑफिस या घर पर एक जगह बैठे रहने से बच सकते हैं. कोशिश करें कि हर आधे घंटे के ब्रेक में आप पांच मिनट की स्ट्रेचिंग या वॉकिंग कर सकें. साथ ही अपने बैठने के तरीके को बदलें और सही आसन में बिना झुके और घुटनों को हमेशा 90 डिग्री एंगल पर ही रख कर बैठें. अपने ग्लूट्स और कमर की मांसपेशियों को मजबूत और एक्टिव रखने के लिए आप खेल-कूद, डांस या स्विमिंग को अपने जीवन का हिस्सा बना सकते हैं. 

ज्यादा देर बैठने से होती हैं ये बीमारियां?
डेड बट सिंड्रोम के अलावा और भी कई गंभीर बीमारियां है जो ज्यादा देर तक बैठने से होती हैं. दिल से जुड़ी बीमारियां, मोटापा और डायबिटीज इनमें से कुछ हैं.

ध्यान रहे, सिर्फ ऑफिस में ही घंटों एक जगह बैठने के नुकसान नहीं होते हैं बल्कि घर पर कंप्यूटर या लैपटॉप या टीवी के सामने भी देर तक बैठने से जोड़ और मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं. नसों में डीवीटी यानी डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep Vein Thrombosis) का खतरा भी बढ़ जाता है. 

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