जानिए क्या होता है Glass Child Syndrome, किन बच्चों को यह हो सकता है, पैरेंट्स कैसे करें इससे डील

आज हम आपको बता रहे हैं Glass Child Syndrome के बारे में. जानिए किस तरह के बच्चे जूझते हैं इस परिस्थिति से और माता-पिता क्या कर सकते हैं.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 25 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:44 AM IST

अगर आपके भाई-बहन हैं, तो आप जानते होंगे कि ये रिश्ते कभी-कभी मुश्किल हो सकते हैं. लेकिन अगर आपके भाई-बहन को कोई बीमारी या विकलांगता है, जिसकी वजह से माता-पिता को उनकी ज्यादा देखभाल करनी पड़ती है, तो ये और भी ज्यादा मुश्किल हो सकता है. ऐसी परिस्थितियां आपके स्वभाव और सोच पर गहरा असर डाल सकती हैं. जो बच्चे अपने खास ज़रूरतों वाले भाई-बहन के साथ बड़े होते हैं, वे "ग्लास चाइल्ड सिंड्रोम" का सामना कर सकते हैं. आइए जानते है क्या होता है "ग्लास चाइल्ड सिंड्रोम" इसके लक्षण और माता-पिता इसमें क्या कर सकते है.

ग्लास चाइल्ड सिंड्रोम क्या है?
ग्लास चाइल्ड सिंड्रोम उन बच्चों से जुड़ी एक स्थिति है, जिनके भाई-बहन किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे होते हैं या उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होते हैं. इन बच्चों को 'ग्लास चाइल्ड' कहा जाता है क्योंकि वे ऐसे महसूस करते हैं जैसे लोग उन्हें 'देखकर भी अनदेखा' कर देते हैं. ये तब होता है जब परिवार का ज्यादातर ध्यान बीमार या ज्यादा जरूरत वाले बच्चे पर रहता है, तो बाकी बच्चे अपनी इमोशन और जरूरतों को छिपा लेते हैं. वो खुद को मजबूत दिखाने की कोशिश करते हैं ताकि परिवार पर और बोझ न पड़े.

ग्लास चाइल्ड सिंड्रोम के लक्षण
ग्लास चाइल्ड सिंड्रोम का कोई निर्धारित लक्षण नहीं है, लेकिन कुछ संकेत बताते हैं कि बच्चा खुद को अनदेखा महसूस कर रहा है. जैसे
  

  • जल्दी मैच्योर होना और उम्र से ज्यादा गंभीर दिखना.
  • परिवार की जिम्मेदारियों को संभालना, जो उनके विकास के लिए सूटेबल नहीं हैं.
  • जरूरत से ज्यादा मेहनत करना और लोगों को खुश करने की कोशिश करना.
  • अपने इमोशन को दबाना और मदद न मांगना.
  • खुद को दोषी महसूस करना जब ध्यान या मदद की ज़रूरत हो.  
  • समय के साथ, इन बच्चों में तनाव, चिंता या डिप्रेशन जैसी मेंटल प्रॉब्लम बढ़ने लगती हैं.

यह किन चीज़ों पर निर्भर करता है?

  • ग्लास चाइल्ड सिंड्रोम का प्रभाव कई फैक्टर पर निर्भर करता है-
  • भाई-बहन की स्थिति कब शुरू हुई- जन्म से, या किसी बीमारी या दुर्घटना के बाद.
  • बच्चों की उम्र- उम्र का अंतर और माता-पिता का ध्यान.
  • पारिवारिक माहौल- माता-पिता और बच्चे के रिश्ते का स्वरूप.
  • अनदेखी की डिग्री- क्या सिर्फ छोटी बातें छूट रही हैं, या बड़े इवेंट भी.
  • समाज- समाज आपसे क्या उम्मीदें लगा कर बैठा है.

ग्लास चाइल्ड के लिए मदद
अगर आपको लगता है कि आप या आपका बच्चा ग्लास चाइल्ड सिंड्रोम का सामना कर रहे हैं, तो यह कदम मददगार हो सकते हैं:  

1. बात करें-
बच्चे के साथ खुलकर बातचीत करें. उनके इमोशन को सुनें और समझने की कोशिश करें.  

2. सपोर्ट सिस्टम का सहारा लें-
बच्चे को परिवार, स्कूल काउंसलर या किसी विश्वास वाले व्यक्ति के साथ अपनी इमोशन शेयर करने दें.  

3. मदद मांगें-
अपने दोस्तों, परिवार या पड़ोसियों से मदद लें.  

4. हर बच्चे पर ध्यान दें-
चाहे थोड़ा समय ही क्यों न हो, हर बच्चे के साथ समय बिताएं. 

5. बच्चे को शामिल करें-
उन्हें उनके भाई-बहन की देखभाल से जुड़े छोटे फैसलों में शामिल करें, जैसे मीटिंग्स में भाग लेना या योजनाएं बनाना.  

6. रिसोर्स का इस्तेमाल करें-
स्थानीय और ऑनलाइन ग्रुप्स से जानकारी और सहायता ले . 

माता-पिता के लिए सुझाव

  • खुद को दोषी महसूस न करें.
  • लिमिटेड टाइम और रिसोर्स में जो हो सके वो करें.
  • आपके परिवार को किस चीज की जरूरत है वो पहले समझे और उन पर ध्यान दें.  
  • डॉक्टरों के मुताबिक हर माता-पिता परफेक्ट बनने की कोशिश नहीं कर सकते. उनका लक्ष्य बस ये होना चाहिए की वो अपना बेस्ट दे.

(यह आर्टिकल निशांत सिंह ने लिखा है. निशांत Gnttv.com के साथ बतौर इंटर्न काम कर रहे हैं.)

 

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