भारत में सुंदरता का पैमाना अक्सर गोरा होने से या गोरी त्वचा देखकर तय किया जाता है. वहीं मीडिया, विज्ञापनों और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री ने गोरी त्वचा को आकर्षण और सफलता के प्रतीक के रूप में चित्रित करते हुए इस प्राथमिकता को कायम रखा है. उनके उपयोग से जुड़े संभावित शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों के बावजूद, इस जुनून ने त्वचा को गोरा करने वाले उत्पादों के लिए एक व्यापक बाजार तैयार किया है. अगर आपने हाल ही में मेड इन हेवन सीजन 2 (Made in Heaven 2) देखा है तो आपने पहले एपिसोड में 'ग्लूटाथियोन' ट्रीटमेंट का नाम सुना होगा. इसके एपिसोड 1 में नायिका यानि सरिना अपनी त्वचा के रंग को हल्का करने के लिए ये ट्रीटमेंट कराती है. बड़े-बड़े घराने और चमकती दमकती शादियों की तस्वीर दिखाती सीरीज के इस एपिसोड ने अधिकांश भारतीयों को 'अपनी त्वचा के रंग के कारण पर्याप्त सुंदर महसूस नहीं करने' की भावनाओं से जोड़ा है.
मेड इन हेवेन ने ब्राइट स्किन के प्रति भारतीयों के जुनून पर कुछ प्रकाश डालने की कोशिश की है. बिना किसी स्पॉइलर के आइए आपको बताते हैं कि इसमें क्या है?
ग्लूटाथियोन क्या है?
ग्लूटाथियोन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो तीन अमीनो एसिड-ग्लाइसिन, ग्लूटामेट और सिस्टीन से बना है. इस बारे में हमने बात की मुंबई बेस्ड डर्मेटोलॉजिस्ट, डॉ पल्लवी सुले से जिन्होंने हमें बताया, "ग्लूटाथियोन बैक्टीरिया, फंगी और कुछ पौधों में मौजूद एक नेचुरल एंटी-ऑक्सीडेंट है. यह सेलुलर डैमेज को रोकता है और एक शक्तिशाली एंटी-एजिंग प्रोडक्ट है. यह हमारी त्वचा की रक्षा करता है और एक डिटॉक्सिफायर के रूप में कार्य करते हुए हमारी स्किन को पर्यावरण में मौजूद अन्य रिएक्टर से बचाता है जिससे काले धब्बे, फाइन लाइन्स, सनस्पॉट, लालिमा जैसी चीजों से बचाता है.
डॉ. पल्लवी ने बताया कि पहले ग्लूटाथियोन का इस्तेमाल कैंसर मरीजों के इलाज के लिए किया जाता था. इन रोगियों में, ग्लूटाथियोन को एंटीऑक्सीडेंट के रूप में इस्तेमाल किया गया था और यह देखा गया कि उनकी स्किन का कलर हल्का (skin pH) हो जाता है."
किस लिए किया जाता है इस्तेमाल?
वह बताती हैं कि त्वचा को गोरा करने के लिए ग्लूटाथियोन के प्रभाव को उजागर किया गया और कुछ लोगों ने इसे त्वचा को गोरा करने वाले एजेंट के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. अब, इसका इस्तेमाल विभिन्न रूपों में किया जा सकता है. लेकिन जिन दो रूपों में बेहतर परिणाम पाए गए हैं, वे हैं जब इसका उपयोग या तो सबलिंगुअल रूप से किया जाता है यानी गोलियों के रूप में जो मुंह में घुल जाती हैं या जब इसे नसों में इजेक्ट किया जाता है (जैसे IV ड्रिप या इंजेक्शन) के तौर पर. हालांकि डॉक्टर ने कहा कि वो किसी को भी ग्लूटाथियोन लेने की सलाह नहीं देती है.
ग्लूटाथियोन मेलेनिन उत्पादन को कम करने वाले एंजाइम टायरोसिनेस को दबाकर आपकी स्किन को स्मूथ और समान टेक्सचर वाला बनाता है. इसका मतलब है कि ग्लूटाथियोन हाइपरपिग्मेंटेशन, मुंहासे के निशान, दाग-धब्बे और उम्र बढ़ने के संकेतों से लड़ने का एक प्रभावी तरीका है. इसका मतलब ये हुआ कि अगर आप कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण मुंहासे से पीड़ित हैं, तो ग्लूटाथियोन आपके चेहरे पर अचानक दाने निकलने से रोकने में मदद कर सकता है.
ग्लूटाथियोन को काम करने में कितना समय लगता है?
यह कोई जादू की छड़ी नहीं है. हां, लेकिन इसका परिणाम देखने के लिए आपको महीनों तक इंतज़ार करने की जरूरत भी नहीं है. डॉ. पल्लवी ने कहा, "सभी प्रकार की त्वचा वाले लोग इसका उपयोग कर सकते हैं. ट्रीटमेंट देने से पहले हम व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री भी देखते हैं कि उसे स्किन से संबंधित कोई खास इन्फेक्शन तो नहीं है? या फिर उसकी स्किन बहुत ही ज्यादा सेंसिटिव तो नहीं है. आमतौर पर, प्रारंभिक परिणाम देखने में 4-6 सप्ताह लगते हैं. यदि यह ओरल थेरेपी है तो किसी को रोजाना के तौर पर 1000-2000 मिलीग्राम लेने की आवश्यकता होती है और यदि आप इसे IV थेरेपी के तौर पर ले रहे हैं तो यह शरीर के वजन, उम्र और व्यक्ति की ओवरऑल हेल्थ के आधार पर सप्ताह में 2-3 बार ले सकते हैं." डॉक्टर ने बताया कि ग्लूटाथियोन के साथ वो विटमिन 6, विटमिन बी12 जैसे कई तरह के सप्लीमेंट्स भी देती हैं जो स्किन को हेल्दी करने में मदद करते हैं.
क्या इससे एलर्जी हो सकती है?
कुछ मामलों में, व्यक्तियों को ग्लूटाथियोन की खुराक से एलर्जी या सेंसटिवनेस का अनुभव हो सकता है. अगर किसी को इसे लेने के बाद कोई असामान्य लक्षण दिखाई देता है, तो उन्हें इसका उपयोग बंद कर देना चाहिए और डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि अस्थमा जैसी कुछ स्वास्थ्य स्थितियों वाले व्यक्तियों को ग्लूटाथियोन सप्लीमेंटेशन के साथ सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि यह कुछ मामलों में लक्षणों को बढ़ा सकता है. हालांकि ग्लूटाथियोन का ऐसा कोई खास दुष्प्रभाव नहीं है, क्योंकि हर व्यक्ति की त्वचा अलग होती है. लेकिन फिर भी किसी चीज को अपनाने से पहले स्वास्थ्य विशेषज्ञ का उचित परामर्श लेना जरूरी है.