World Hemophilia Day 2025: मामूली चोट लगने पर भी बह जाता है ज्यादा खून? डॉक्टर से जानें कब करवाएं हीमोफीलिया की टेस्टिंग और इससे कैसे बचें?

अगर आपके घर में किसी को बार-बार खून बहने की शिकायत हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें. हीमोफीलिया कोई सजा नहीं है. यह एक मेडिकल कंडीशन है, जिसे सही जानकारी, वक्त पर इलाज और जागरूकता से पूरी तरह मैनेज किया जा सकता है.

Hemophilia Symptoms and treatment (Representative Image)
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 17 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 12:48 PM IST
  • कोई भी बीमारी का शिकार हो सकता है
  • डॉक्टर से जानें बचाव

17 अप्रैल… यह तारीख शायद आपके लिए किसी आम दिन जैसी हो, लेकिन लाखों लोगों के लिए यह जिंदगी और मौत के बीच की एक पतली सी लकीर को समझने का दिन है. विश्व हीमोफीलिया दिवस, एक ऐसा दिन है जब दुनिया इस “खामोश किलर” पर बात करती है  हीमोफीलिया.

सोचिए, अगर एक मामूली कट से खून बहना बंद न हो तो? अगर खेलने कूदने की उम्र में बच्चा दर्द से कराहे, क्योंकि उसके घुटनों में बार-बार खून जमा हो रहा है? यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है- उन हजारों परिवारों की जो इस दुर्लभ बीमारी से लड़ रहे हैं.

डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुसार, दुनिया में करीब 4 लाख लोग हीमोफीलिया से जूझ रहे हैं और भारत में भी हजारों केस मौजूद हैं.

क्या आपको या आपके बच्चे को बार-बार नाक से खून आता है?
जी हां, हीमोफीलिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर के खून में क्लॉटिंग फैक्टर की भारी कमी होती है. मतलब यह कि अगर एक बार खून बहना शुरू हुआ, तो रुकना नामुमकिन हो सकता है. और यहीं से शुरू होती है इस बीमारी की असली चुनौती मरीज के लिए भी और उसके परिवार के लिए भी.
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नोएडा के हेमेटोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट विभाग के निदेशक डॉ. सत्यरंजन दास कहते हैं, “हीमोफीलिया का समय पर डायग्नोस और सही मैनेजमेंट ही इसकी कुंजी है. जागरूकता की भारी कमी इस बीमारी को और घातक बना देती है.”

बच्चों में दिखते हैं ऐसे लक्षण, लेकिन माता-पिता करते हैं नजरअंदाज!
“बच्चा तो है ही शैतान, खेलते समय चोट लगना तो आम है…” अगर आप भी ऐसा सोचते हैं, तो सावधान हो जाइए. हो सकता है यह साधारण चोट नहीं, हीमोफीलिया का शुरुआती संकेत हो.

ध्यान देने लायक संकेत:

  1. मामूली चोट पर भी नीले-नीले निशान और सूजन
  2. बार-बार नाक से खून आना
  3. घुटनों, कोहनियों में दर्द, सूजन और जकड़न
  4.  टीकाकरण या दांत टूटने पर लंबे समय तक खून बहना
  5.  मल या मूत्र में खून आना

डॉ. दास कहते हैं, “अगर ऐसा कुछ भी दिखे तो तुरंत किसी हेमाटोलॉजिस्ट से मिलें. वक्त रहते पहचाना गया हीमोफीलिया, एक नार्मल ज़िंदगी की ओर पहला कदम हो सकता है.”

भ्रम: हर बार खून बहना = हीमोफीलिया? नहीं!  
लोग अक्सर सोचते हैं कि अगर किसी को बार-बार खून बहता है, तो वो हीमोफीलिया का मरीज है. लेकिन ऐसा नहीं है. डॉ. दास इस भ्रम को तोड़ते हुए कहते हैं, “ब्लीडिंग के कई और कारण हो सकते हैं – जैसे विटामिन K की कमी, प्लेटलेट डिसऑर्डर या दूसरे ब्लड डिसऑर्डर. लेकिन अगर खून बहुत देर तक न रुके, खासतौर पर मांसपेशियों या जोड़ों में खून जमा हो जाए, तो वह संकेत है हीमोफीलिया का.”

खतरे की घंटी! क्या आपका बच्चा जोखिम में है?
हीमोफीलिया एक जेनेटिक बीमारी है यानी यह माता-पिता से बच्चों में आती है. खास बात यह है कि पुरुषों में यह बीमारी ज्यादा होती है महिलाएं इसके वाहक (carrier) होती हैं, लेकिन गंभीर रूप से प्रभावित नहीं होतीं. तो अगर आपके परिवार में किसी को हीमोफीलिया है, तो आपके बच्चे में भी इसका खतरा हो सकता है. इसमें शरीर में एक खास प्रोटीन की कमी होती है, जिसे 'क्लॉटिंग फैक्टर' कहते हैं. इसी की मदद से खून जमता है और घाव भरता है. इस बीमारी में ये फैक्टर या तो कम होते हैं या बिल्कुल नहीं होते, इसलिए खून बहना बंद नहीं होता.

हीमोफीलिया के मरीजों को एक्स्ट्रा केयर की जरूरत होती है. एक मामूली सी गलती जानलेवा साबित हो सकती है.

क्या करें?

  • आयरन और कैल्शियम से भरपूर आहार (हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, दालें, फल)
  • स्विमिंग और हल्का योग- जोड़ों पर दबाव नहीं पड़ता
  • पर्याप्त पानी पीना- ब्लड फ्लो बेहतर रहता है
  • नियमित जांच- फैक्टर लेवल की मॉनिटरिंग जरूरी
  • धूम्रपान और शराब से परहेज- ये घाव भरने की प्रक्रिया को रोकते हैं

डॉ. दास चेतावनी देते हैं, “हीमोफीलिया के मरीजों को जीवनभर सतर्क रहना पड़ता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे सामान्य जीवन नहीं जी सकते.”

कौन-कौन से खेल हैं खतरनाक? 

असुरक्षित गतिविधियां:

  • फुटबॉल, बॉक्सिंग, हॉकी- इन खेलों में चोट लगना तय है
  • बाइक रेसिंग, स्केटिंग- गिरने से अंदरूनी खून बहने का खतरा

सुरक्षित और फायदेमंद एक्सरसाइज:

  • स्विमिंग- मांसपेशियों को मजबूत करता है, जोड़ों पर प्रभाव नहीं
  • योग- मानसिक तनाव भी घटता है, और शरीर में लचीलापन आता है
  • पैदल चलना- सबसे आसान और सुरक्षित व्यायाम

अब हीमोफीलिया से डरने की जरूरत नहीं!
पहले यह बीमारी जीवनभर की परेशानी बनकर रह जाती थी, लेकिन अब आधुनिक चिकित्सा में प्रोफिलैक्टिक ट्रीटमेंट ने मरीजों की जिंदगी बदल दी है. इसमें मरीज को समय-समय पर क्लॉटिंग फैक्टर इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिससे खून का थक्का जल्दी बनता है और मरीज को सामान्य जीवन जीने में मदद मिलती है.

अगर आपके घर में किसी को बार-बार खून बहने की शिकायत हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें. हीमोफीलिया कोई सजा नहीं है. यह एक मेडिकल कंडीशन है, जिसे सही जानकारी, वक्त पर इलाज और जागरूकता से पूरी तरह मैनेज किया जा सकता है.

 

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