क्या लंबे शब्दों को देखकर घबरा जाते हैं आप? बोलने में होती है मुश्किल? कहीं आपको ये फोबिया तो नहीं... जानिए लक्षण, कारण और इलाज

पढ़ाई से घबराने की वजह कहीं लंबे शब्दों से डर तो नहीं? जी हां, अगर आप लंबे शब्दों को बोलने में घबराते हैं तो कहीं आपको इनका फोबिया तो नहीं. जी हां, लंबे शब्दों से डर को Hippopotomonstrosesquippedaliophobia कहते हैं.

What is Hippopotomonstrosesquippedaliophobia
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 11:34 AM IST

दुनिया में हर किसी के अपने डर होते हैं किसी को अंधेरे से डर लगता है, किसी को ऊंचाई तो किसी को गहरे पानी से. लेकिन आप शायद ही सुना हो कि किसी को लंबे शब्दों से भी डर लगता है. जी हां, दुनिया में ऐसे भी लोग होते हैं जिन्हे लंबे शब्दों का फोबिया होता है. इस फोबिया को Hippopotomonstrosesquippedaliophobia (हिप्पोपोटोमोनस्ट्रोसेसक्विपेडालियोफोबिया) कहते हैं.

क्या है Hippopotomonstrosesquippedaliophobia 
Hippopotomonstrosesquippedaliophobia लंबे शब्दों का डर होता है. इसे sesquipedalophobia (सेसक्विपेडालियोफोबिया) के नाम से भी जाना जाता है. यह फोबिया लैटिन शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है 'लंबा शब्द'. लगभग हर कोई अपने लाइफ में कभी न कभी लंबे शब्द को बोलने या उच्चारण करने में परेशान तो होता ही है. इस फोबिया को सोशल फोबिया माना जाता है. यह एक बहुत ही कॉमन प्रॉब्लम है. इसमें लोगों के सामने जोर से पढ़ना या लंबे शब्दों के उच्चारण करने में परेशानी होती है. लगभग 15 मिलियन अमेरिकी इस सोशल फोबिया के साथ जी रहे हैं.

क्या हैं इस फोबिया के लक्षण 
Hippopotomonstrosesquippedaliophobia के लक्षण तब दिखते हैं, जब कोई व्यक्ति लंबे शब्द को देखता है. इस फोबिया के कारण उस व्यक्ति को भय और चिंता महसूस होने लगती है. कभी-कभी लोग पढ़ने से भी बचते हैं, ताकि उन्हें लंबे शब्दों को पढ़ना न पड़े. और किसी के सामने शर्मिंदगी न होना पड़े.

लंबे शब्दों का डर है Hippopotomonstrosesquippedaliophobia

इसके अन्य लक्षणों की बात करें तो:

  • लोगों के बीच जाने से बचना
  • पब्लिक स्पिकिंग से डरना
  • लोगों के जजमेंट से घबराना
  • ज्यादा लोगों से बात करने में पसीना छूटना
  • कभी-कभी बोलते वक्त कांपना
  • घबराहट फील होना
  • बेहोशी
  • सांस लेने में कठिनाई

सोशल फोबिया के कारण

  1. सोशल फोबिया जेनेटिक कारणों से भी हो सकता है. अगर माता-पिता या परिवार के किसी अन्य सदस्य को ये समस्या है तो बच्चों में भी सोशल फोबिया हो सकता है.
  2. बचपन का कोई दर्दनाक हादसा या घटनाएं भी सोशल फोबिया का कारण हो सकता है.
  3. माता-पिता का अपने बच्चों को हद से ज्यादा कंट्रोल करना भी इस बीमारी का कारण हो सकता है.
  4. कई बार बचपन  में घर का माहौल जैसा होता है, बच्चे भी वही सीखते है. अगर घर के कोई बड़े कठिन या लंबे शब्दों को बोलने से डरते हैं, तो बच्चे भी यही करने लगते हैं.
  5. ब्रेन में न्यूरोट्रांसमीटर के इंबैलेंस होने के कारण भी सोशल फोबिया हो सकता है.

सोशल फोबिया का इलाज
सोशल फोबिया से पीड़ित ज्यादातर लोगों को डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ती है. इसके इलाज का एक तरीका है, लंबे शब्दों को बोलने की प्रैक्टिस करना. हां, अगर इसके बावजूद भी सोशल फोबिया ठीक नहीं हो रहा है तब आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं. इसमें ज्यादातर कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी दी जाती है. जिसमें आपके सोचने के तरीके पर काम किया जाता है.

इसके अलावा अपने लाइफ स्टाइल में बदलाव लाकर भी आप सोशल फोबिया को कम कर सकते हैं: 

  • शराब, कॉफी, निकोटीन और चीनी से जितना हो सके परहेज करें. ये आपकी चिंता को ओर बढ़ा देता है.
  • नींद की कमी कई बीमारियों का कारण होता है. रोजाना रात को 7-8 घंटे का नींद ले.
  • अपने तरह के लोगों से जुड़ने के लिए हेल्प ग्रुप्स में शामिल हो सकते है.
  • इसके अलावा एक्सरसाइज, योग या मेडिटेशन किया करें, जो सोशल फोबिया दूर करने में काफी मददगार होता है. 
  • सोशल फोबिया दूर करने के लिए अपने किसी दोस्त या करीबी से बात करें.
लंबे शब्दों को ब्रेक करके प्रैक्टिस करें

जब भी आपको लंबे शब्द को बोलना हो तो आप इन उपायों को कर सकते हैं:

शब्दों को छोटे-छोटे भागों में तोड़े: जब आपको कोई लंबा या कठिन शब्द मिले तो उसे छोटे-छोटे भागों में तोड़ कर पढ़े. उदाहरण के लिए, hippo poto mon stro ses quip peda lio pho bia में तोड़ा जा सकता है.

सब्स्टीट्यूट (शब्दों को बदल दें): हालांकि, यह तरीका लंबे समय में काम नहीं आएगा. लेकिन कभी-कभी बड़े शब्दों की जगह उसका सब्स्टीट्यूट शब्द बोल सकते हैं जैसे- रेफ्रिजरेटर के लिए फ्रिज, लैबोरेट्री के लिए लैब.

जल्दबाजी न करें: अगर आप को किसी शब्द को पढ़ने में स्ट्रेस हो रहा है. तो जल्दबाजी करने के बजाय थोड़ा रुकें, गहरी सांस लें, फिर धीरे-धीरे शब्द को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर पढ़े.

टेक्नोलॉजी की मदद लें: अपनी प्रोनाउंसिएशन को ठीक करने के लिए डिजिटल तकनीकों का सहारा लें. इसके लिए स्पेलचेक, ऑटोकरेक्ट की मदद ले सकते हैं.

 

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