Explainer: मिथुन चक्रवर्ती को आया Ischemic Stroke, जानिए इसके बारे में

हाल ही में, बॉलीवुड एक्टर, मिथुन चक्रवर्ती को Ischemic Cerebrovascular Stroke आया और इस कारण उन्हें अस्पताल ले जाया गया. जानिए क्या है यह बीमारी, इसके कारण और रोकथाम के उपाय.

Mithun Chakraborty suffers a Ischemic stroke
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 12 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:44 PM IST

दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को हाल ही में, (Ischemic Cerebrovascular Stroke) इस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर स्ट्रोक के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके दाहिने ऊपरी और निचले अंगों में कमजोरी की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया. 73 वर्षीय चक्रवर्ती ने कथित तौर पर एक फिल्म की शूटिंग से घर लौटने पर बेचैनी व्यक्त की और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया.

रिपोर्ट्स के अनुसार, द कश्मीर फाइल्स अभिनेता को वर्तमान में जरूरी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है और वह डॉक्टर्स की निगरानी में है. अस्पताल के बयान के अनुसार: राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती (73) को दाहिने ऊपरी और निचले अंगों में कमजोरी की शिकायत के साथ सुबह 9.40 बजे अपोलो मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल, कोलकाता के आपातकालीन विभाग में लाया गया था. उनका MRI और रेडियोलॉजी टेस्ट किया गया. और पता चला कि उन्हें इस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर स्ट्रोक आया था. हालांकि, वह फिलहाल वह पूरी तरह से स्वस्थ महसूस कर रहे हैं. 

इस्केमिक स्ट्रोक क्या है? 
इस्केमिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क या ब्रेन तक जाने वाली धमनी या आर्टरी में ब्लड क्लोट हो जाता है, जिससे ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और मस्तिष्क के टिश्यूज या उत्तकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं. यह ब्लॉकेज थ्रोम्बस (एक थक्का जो आर्टरी में ही लोकली बना है) या एक एम्बोलस (एक थक्का जो शरीर में कहीं और से फैला है) के परिणामस्वरूप हो सकता है. 

इस्केमिक स्ट्रोक सबसे कॉमन टाइप हैं, जो स्ट्रोक के सभी मामलों में से लगभग 87% के लिए जिम्मेदार है. इस्केमिक स्ट्रोक के सूक्ष्म लक्षणों को नज़रअंदाज करना जीवन के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है. इस्केमिक स्ट्रोक के लक्षण आम तौर पर अचानक सामने आते हैं और इसमें अचानक शरीर के एक तरफ कमजोरी या सुन्नता हो सकती है, बोलने या सुनने- समझने में कठिनाई; भ्रम; दृष्टि संबंधी समस्याएं, जैसे धुंधली दृष्टि या एक या दोनों आंखों में नुकसान; चक्कर आना या संतुलन और समन्वय न हो पाना; बिना किसी ज्ञात कारण के गंभीर सिरदर्द; और चलने में कठिनाई होती है. ये लक्षण मस्तिष्क की धमनी या ब्लड वेसल्स में ब्लॉकेज की गंभीरता और जगह के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं. 

स्ट्रोक को ट्रिगर करने वाले रिस्क फैक्टर 
इस्केमिक स्ट्रोक के रिस्क फैक्टर्स में हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, धूम्रपान, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, अत्यधिक शराब का सेवन और स्ट्रोक या परिवार में कोई दिल संबंधित बीमारी शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, उम्र (विशेष रूप से 55 वर्ष से अधिक), लिंग (पुरुष ज्यादा रिस्क में हैं), नस्ल (अफ्रीकी अमेरिकियों में ज्यादा रिस्क है), और कुछ मेडिकल कंडीशन जैसे एट्रियल फाइब्रिलेशन, कैरोटिड धमनी रोग और पेरिफ्रल धमनी रोग संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं. 

अन्य कारक जैसे क्षणिक इस्केमिक अटैक (टीआईए) का इतिहास, जिसे "मिनी-स्ट्रोक" भी कहा जाता है, और नशीली दवाओं का दुरुपयोग (विशेष रूप से कोकीन और एम्फ़ैटेमिन) रिस्क को बढ़ाते हैं. जीवनशैली में बदलाव और दवा के माध्यम से इन फैक्टर्स को मैनेज करने से इस्केमिक स्ट्रोक का अनुभव होने की संभावना को कम करने में मदद मिल सकती है. 

रोकथाम है जरूरी महत्वपूर्ण 
इस्केमिक स्ट्रोक को रोकने में हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करना, आहार और व्यायाम के माध्यम से स्वस्थ वजन बनाए रखना, धूम्रपान छोड़ना, शराब का सेवन सीमित करना और एट्रियल फाइब्रिलेशन जैसी कंडीशन्स को मैनेज करना शामिल है. नियमित शारीरिक गतिविधि, फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर संतुलित आहार और रिस्क फैक्टर्स का जल्दी पता लगाने और मैनेजमेंट के लिए हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ नियमित टेस्टिंग जरूरी रोकथाम के उपाय हैं. 

 

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