नोएडा में डॉक्टरों ने गंभीर माइट्रल रेगुर्गिटेशन (mitral regurgitation) से पीड़ित 66 वर्षीय मरीज पर MitraClip प्रक्रिया का इस्तेमाल किया. व्यक्ति के दिल में माइट्रल वाल्व के लीफलेट्स ठीक से बंद नहीं हो रहे थे, जिससे फेफड़ों में रक्त का प्रवाह पीछे की ओर हो गया था. MitraClip एक छोटा उपकरण है जो लीकेज को कम करने के लिए माइट्रल वाल्व में लगाया जाता है.
तीन घंटे में हुआ ऑपरेशन
फोर्टिस अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अजय कौल के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने तीन घंटे में प्रक्रिया पूरी की और 15 दिनों के भीतर मरीज को छुट्टी दे दी. मरीज ने 12 साल पहले कोरोनरी धमनी रोग (coronary artery disease), जिसमें सीने में दर्द और सांस फूलना जैसे लक्षण शामिल थे, के लिए डॉ. अजय कौल से परामर्श लिया था. उस समय उनका दिल केवल 20-25% ही काम कर रहा था. उनकी कोरोनरी रीवास्कुलराइजेशन प्रक्रिया की गई, जिससे उनकी कोरोनरी धमनी में रुकावट दूर हो गई और उनकी स्थिति में सुधार हुआ.
मरीज पिछले 12 साल से दवाई खा रहा था और रिकवर हो रहा था. हालांकि, कुछ महीने पहले, उसका स्वास्थ्य फिर से बिगड़ गया और उसे क्रोनिक किडनी रोग, फेफड़ों की जटिलताओं और लो ब्लड प्रेशर जैसी दिक्कतें होने लगीं. उसे दिल्ली के कई अस्पतालों में भर्ती कराया गया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ. उसका मूत्र उत्पादन कम हो गया जबकि क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ गया था.
कहां लगाया जाता है वॉल्व
फोर्टिस नोएडा में, मरीज की इकोकार्डियोग्राफी, एंजियोग्राफी और एमआरआई की गई. जिसमें पता चला कि उसे ग्रेड 4 माइट्रल रेगुर्गिटेशन है. डॉक्टरों ने कहा कि उसकी स्वास्थ्य स्थिति जटिल सर्जरी की अनुमति नहीं देती, लेकिन इसे किसी और तरीके से सही किया जाना जरूरी है. इसलिए, उन्होंने MitraClip करने की सलाह दी. डॉ. कौल ने कहा, “भर्ती के समय, मरीज तेज दवा ले रहा था, और यह उसके कोलैस्प होने से कुछ समय पहले की बात है. ऐसे मरीज टर्मिनल हार्ट फेलियर स्टेज में होते हैं. यह एक ऐसी स्थिति जिसमें उपचार के बिना कुछ महीनों से अधिक जीवित रहना असंभव है. इसलिए, हमने MitraClip प्रक्रिया को चुना क्योंकि इसके सफल परिणाम हैं और कोई दीर्घकालिक जटिलताएं नहीं हैं. किसी भी रिसाव को नियंत्रित करने के लिए क्लिप को माइट्रल वाल्व में लगाया जाता है.''
क्या है Mitraclip?
क्लिनिकल प्रैक्टिस में माइट्रल वाल्व रिगर्जिटेशन (एक तरह की वाल्व लीकिंग) एक आम हृदय रोग है. इस स्थिति में बाएं हृदय कक्ष के बीच का वाल्व पूरी तरह से बंद नहीं होता है और यह रक्त को पीछे की ओर रिसने देता है जिसकी वजह से सांस लेने में कठिनाई होती है और हृदय रुक जाता है.
क्या हैं इसके मुख्य कारण
माइट्रल वाल्व रिगर्जिटेशन के सामान्य कारण रूमेटिक हृदय रोग (Rheumatic heart disease), माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स, कोरोनरी धमनी रोग और हृदय वाल्व में संक्रमण आदि हैं.
कैसे लगा सकते हैं पता
माइट्रल रेगुर्गिटेशन की गंभीरता की पुष्टि इकोकार्डियोग्राम से की जा सकती है. इस बीमारी के लिए पारंपरिक उपचार विकल्प ओपन हार्ट सर्जरी था जिसमें क्षतिग्रस्त वाल्व को मेटल या टीशु वाल्व से बदल दिया जाता है. लेकिन अधिक उम्र और अन्य गंभीर बीमारियों वाले मरीजों के लिए सर्जरी को उच्च जोखिम माना जाता है. गंभीर वाल्व रिसाव और हृार्ट फेलियर वाले हजारों बुजुर्ग रोगियों के लिए MitraClip की शुरूआत एक बड़ी आशा है जो ओपन हार्ट सर्जरी कराने में असमर्थ हैं.
सर्जरी की नहीं पड़ती जरूरत
MitraClip छाती या हृदय को खोले बिना क्षतिग्रस्त माइट्रल वाल्व को ठीक कर देता है. इस प्रक्रिया में एक छोटी धातु क्लिप को पैर में एक नस के माध्यम से एक पिन छेद के जरिए माइट्रल वाल्व से जोड़ा जाता है. क्लिप स्थायी रूप से वहां रहती है और वाल्व को फिर से ठीक से काम करने में मदद करती है.पहले यह उपचार केवल विकसित देशों में ही उपलब्ध था और इसे हाल ही में भारत में लाया गया है. मेट्रोमेड इंटरनेशनल कार्डियक सेंटर (एमआईसीसी) ने केरल में पहली सफल मेट्रा क्लिपिंग प्रक्रिया की है. केरल में विभिन्न हृदय रोगों के लिए उन्नत उपचार शुरू करने में एमआईसीसी हमेशा आगे रहता है. इसकी सक्सेस रेट 98% से ऊपर है और किसी भी तरह की कोई जटिलता नहीं है इसलिए इसे भविष्य में आगे भी अपनाया जा सकता है.