क्या आप चाबी रखकर भूल जाते हैं? कहीं आपको Pseudo-Dementia तो नहीं, जानिए डिटेल्स

आप किसी बात को हम कितने समय तक याद रखते हैं ये इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी मेमोरी कैसी है. लेकिन कई कारण ऐसे भी होते हैं जिनसे हमारी याददाश्त कमजोर होने लगती है. ऐसा जरूरी नहीं है कि भूलने की समस्या केवल अल्जाइमर की बीमारी की कारण ही हो.

Pseudo-dementia
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:30 PM IST

क्या आप भी अक्सर उन लोगों के नाम भूल जाते हैं जिन्हें आप अच्छी तरह से जानते हैं. या फिर आप घर से निकल रहे हों, कार की चाबियां हाथ में हों और अचानक भूल जाएं कि आपने अपनी कार की चाबियां कहाँ रखी थीं? जबकि कई लोग इस भूलने की बीमारी को डिमेंशिया की पहली स्टेज मानते हैं, डॉक्टर इस स्थिति को 'pseudo-dimentia'का नाम दिया हैं. ये खासतौर पर युवाओं को प्रभावित कर रहा है.  मुख्य रूप से अत्यधिक तनाव, मल्टीटास्किंग और बहुत ज्यादा वर्कलोड की वजह से ये डिप्रेशन का कारण बन सकता है.

डॉक्टरों के अनुसार, इस स्थिति में डिप्रेशन या अत्यधिक तनाव सोचने और समझने की शक्ति का कारण बनता है जो डिमेंशिया के रूप में सामने आता है. हालांकि, डिमेंशिया के विपरीत, स्यूडोडिमेंशिया प्रोग्रेसिव नहीं है. इसके रोगियों को अक्सर एकाग्रता में कठिनाई, याददाश्त कमजोर होना और अवसाद या अधिक सोचने के लक्षण दिखाई देते हैं.

क्या होता है स्यूडोडिमेंशिया?
भूलने की समस्या या कमजोर याददाश्त को लोग अकसर अल्जाइमर की बीमारी समझा जाता हैं, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि भूलने की समस्या केवल अल्जाइमर की बीमारी की कारण ही हो. डिप्रेशन या चिंता की वजह से भी इंसान की याददाश्त कमजोर हो सकती है. इसे स्यूडोडिमेंशिया की समस्या कहते हैं. ये बीमारी होने पर इंसान की सोचने की क्षमता प्रभावित होने लगी है, मेमोरी घटने लगती है और उसकी स्किल्स बहुत ही गंभीर तरीके से प्रभावित हो जाती हैं. डिमेंशिया होने पर मरीज अपने रोजमर्रा के काम भी सही तरीके से नहीं कर पाता है.

किस तरह कर सकते हैं कंट्रोल
डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें एक महीने में लगभग 5-10 मामले ऐसे मिलते हैं जहां 50 साल से कम उम्र के मरीज ऐसी स्थितियों के लिए मदद मांगते हैं. करियर से संबंधित अत्यधिक तनाव, अधिक काम का बोझ और सामाजिक स्थिति के बारे में चिंता जैसे कारक मस्तिष्क पर दबाव डालते हैं, जो जानकारी को पूरी तरह से संसाधित करने में बाधा डालता है, जिसके कारण यह स्थायी स्मृति तक नहीं पहुंच पाता है. इसके अलावा, एक ही समय में बहुत अधिक जानकारी प्रोसेंसिंग करने, दूसरे शब्दों में कहें तो मल्टीटास्किंग की वजह से भी फोकस में कमी आ रही है.

मेमोरी तीन भागों में काम करती है - किसी चीज पर ध्यान देना, उसे प्राप्त करना और फिर उसे बनाए रखना. प्रत्येक कदम के लिए मस्तिष्क से कुछ प्रयास की आवश्यकता होती है, लेकिन उच्च स्तर का तनाव इसके कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.

अगर लोगों को एक इसके पीछे के कारणों के बारे में पता चल जाए, तो वे थोड़ा प्रयास करके इसे नियंत्रण में रख सकते हैं. सचेत रूप से ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करने या अवसाद के इलाज के लिए कदम उठाने से स्थिति में सुधार हो सकता है और चिंता कम हो सकती है.

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