Seasonal Affective Disorder क्या है, मौसम में बदलाव होने से बढ़ जाते हैं इसके केस, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय

सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर की कई वजहें होती हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि धूप की कमी इसका सबसे बड़ा कारण है. सर्दियों में कई दिनों तक धूप नहीं निकलती, जिसके चलते शरीर में नेचुरल विटामिन डी नहीं पहुंचता. यह लोगों को चिड़चिड़ा बना देता है.

सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर महिलाओं में अधिक होता है (प्रतीकात्मक फोटो)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 6:25 PM IST
  • SAD के शिकार होने पर निराशा और उदासी लेती है घेर 
  • लोग डिप्रेशन के हो जाते हैं शिकार

हम अक्सर सुनते हैं कि कोई परेशानी और प्रेशर की वजह से लोग तनाव और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं लेकिन क्या आपने यह सुना कि मौसम में बदलाव की वजह से लोगों को डिप्रेशन हो सकता है. जी हां, यह सही है, ऐसा हो सकता है. डिप्रेशन के कई सारे कारकों में मौसम भी एक अहम कारक है. मौसम की वजह से होने वाले इस विकार को सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर कहा जाता है. इसे विंटर डिप्रेशन के नाम से भी जाना जाता है. 

कहीं आपके व्यवहार में तो नहीं आ रहा बदलाव
सर्दी शुरू होते ही सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर के केस बढ़ने लगते हैं. अक्टूबर का महीना शुरू हो चुका है. सर्दी धीरे-धीरे आ रही है. यदि आप भी इन दिनों अपने व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य में कुछ बदलाव देख रहे हैं, तो हो सकता है कि आप सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर  यानी SAD के शिकार हो रहे हैं. इसमें निराशा और उदासी घेर लेती. आइए इस डिसऑर्डर के बारे में सबकुछ जानते हैं.

क्या होता है सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर
सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर एक ऐसा मनोविकार है, जो मौसमजनित परिस्थितियो पर निर्भर करता है. कई बार सीजनल पैटर्न चेंज होने पर कुछ लोगों को दुख घेर लेता है, शरीर में कमजोरी और उदासी उन्हें परेशान करती है. गुस्सा, चिड़चिड़ापन और तनाव भी होने लगता है. ये कई बार डिप्रेशन की वजह भी बनता है. उसे ही सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर कहते हैं. 

खासकर बारिश से ठंड आने पर जब तापमान में गिरावट शुरू होती है, तब ये लक्षण नजर आते हैं. फिर सर्दियों में उनमें ये जारी रहता है. इसके बाद गर्मी का मौसम आते ही वो फिर से सामान्य हो जाते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसके लक्षण ज्यादा देखने को मिलते हैं.

सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर के लक्षण 
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के मुताबिक सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर (एसएडी) एक अलग विकार नहीं है, बल्कि यह एक डिप्रेशन का ही एक प्रकार है, जो मौसम में बदलाव की वजह से लोगों में देखने को मिलता है और हर साल लगभग 4 से 5 महीने तक रहता है. इसलिए एसएडी के लक्षण काफी हद तक गंभीर डिप्रेशन के लक्षण से मिलते-जुलते होते हैं. हालांकि सर्दी और गर्मी के लक्षण लोगों में अलग-अलग नजर आ सकते हैं. गंभीर डिप्रेशन के लक्षणों में निम्न शामिल हैं.

1. एनर्जी कम होना.
2. सुस्ती महसूस होना.
3. सोने में दिक्कत होना.
4. भूख या वजन में बदलाव का होना.
5. बार-बार आत्महत्या के विचार आना.
6. अक्सर पूरे दिन उदास महसूस करना.
7. निराशाजनक या बेकार महसूस करना.
8. उन गतिविधियों में रुचि खोना, जो आपको पसंद है.
9. लोगों से अलग-थलग रहना.
10. बेचैनी और व्याकुलता.
11. चिंता
12. आक्रामक व्यवहार

जोखिम को बढ़ाते हैं ये कारक
सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के मामले पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखने को मिलते हैं। साथ ही यह वृद्धों की तुलना में युवाओं में ज्यादा बार होता है. इसके जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में निम्न शामिल हैं.

1. पारिवारिक इतिहास: जिन लोगों के परिवार में डिप्रेशन या किसी अन्य प्रकार का अवसाद होने की संभावना अधिक हो सकती है.
2. गंभीर डिप्रेशन या बायपोलर डिसऑर्डर होना: यदि आप इनमें से किसी भी एक स्थिति का शिकार है, तो डिप्रेशन के लक्षण मौसम के अनुसार खराब हो सकते हैं.
3. इक्वेटर से दूर रहना: यह डिसऑर्डर उन लोगों में ज्यादा आम है, जो भूमध्य रेखा यानी इक्वेटर से दूर उत्तर या दक्षिण में रहते हैं. ऐसा सर्दियों के दौरान सूरज की रोशनी में कमी और गर्मियों के महीनों के दौरान लंबे दिनों के कारण हो सकता है.
4. विटामिन डी की कमी: सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने से शरीर में विटामिन डी की पूर्ति होती है. विटामिन डी सेरोटोनिन गतिविधि को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है. ऐसे में कम धूप या फूड आइटम्स आदि से पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिलने से शरीर में विटामिन डी का स्तर कम हो सकता है, जिससे इसके लक्षण बढ़ सकते हैं.

ऐसे होता है ट्रीटमेंट
सीजनल पैटर्न एसेसमेंट क्वेश्चनेयर के जरिए इस डिसऑर्डर का पता लगाया जाता है. इसमें सवालों के जवाब के जरिए मनोवैज्ञानिक पता लगाते हैं कि ये डिसऑर्डर किस लेवल पर है. इसमें माइल्ड यानी कम, मॉडरेट यानी औसत, मार्क्स यानी चिह्नित लक्षण का लेवल होने पर उसी तरह ट्रीटमेंट होता है. इस डिसऑर्डर के टिपिकल ट्रीटमेंट की बात करें तो एंटी डिप्रेसेंट दवाओं के अलावा, लाइट थेरेपी, विटामिन डी और काउंसिलिंग के जरिए इसे ट्रीट किया जाता है.

कैसे करें इस डिसऑर्डर से बचाव
इस समस्या से बचाव के बारे में कोई सही जानकारी नहीं है. लेकिन कुछ तरीकों से इसके लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है, जो समय के साथ बदतर हो सकते हैं. यदि सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर के लक्षणों को शुरुआत में ही पहचान लिया जाता है, तो लक्षणों के बदतर होने से पहले ही इसका उपचार हो सकता है. हेल्दी लाइफस्टाइल से भी इस समस्या से बचा जा सकता है. इसके लिए सही आहार का सेवन करें, एक्टिव रहें, कुछ समय सनलाइट में जरूर बैठें, अपने वजन को सही बनाए रखें, अल्कोहल और धूम्रपान से बचें. इसके साथ ही अपने परिवार, दोस्तों और प्रियजनों के साथ समय बिताने से भी आप इस समस्या से बच सकते हैं.

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