शादी के बाद कपल्स का बिस्तर शेयर करना बहुत ही आम है. ऐसा माना जाता है कि हसबैंड-वाइफ के साथ सोने से वे हेल्दी फिजिकल रिलेशनशिप डेवलप कर पाते हैं. लेकिन कभी-कभी कुछ परिस्थितियों के कारण कपल्स को अलग-अलग सोना पड़ ही जाता है. ऐसा तब होता है जब आपका साथी जोर-जोर से खर्राटे लेकर सो रहा हो या वह बहुत देर तक लाइट ऑन करके जाग रहा हो. ऐसी स्थिति में कपल्स अलग-अलग सोना ही पसंद करते हैं.
आजकल Sleep Divorce का चलन काफ़ी बढ़ रहा है. ख़ासकर शहरी जीवन की भागदौड़ मे यह आम हो चला है. अमेरिकन एकेडमी ऑफ़ स्लीप मेडिसिन की ओर से हाल ही मे किए गए सर्वे की माने तो अमेरिका मे एक तिहाई से ज्यादा लोग स्लीप डाइवोर्स को अपना रहे हैं.
क्या है ये स्लीप डाइवोर्स?
अच्छी नींद के लिए जब कपल अलग-अलग कमरे, अलग-अलग बिस्तर या अलग-अलग समय पर सोते है तो इसे स्लीप डाइवोर्स कहा जाता है. कई बार लोग आवाज़ के प्रति इतना संवेदनशील होते है की जब साथी खर्राटे ले रहा हो तो उन्हें नींद नहीं आती. अगर एक साथी को नींद की समस्या हो रही है तो इसका असर दूसरे साथी की नींद पर भी पढ़ सकता है. AC के तापमान, पंखे की गति या गद्दे को लेकर भी पार्टनर के बीच बहस हो सकती है. इसके के लिए अलग सोना प्रभावी समाधान है.
क्या वास्तव में हमने स्लीप डिवोर्स की जरूरत है?
शायद हां, हम सभी जानते हैं कि स्वस्थ जीवनशैली के लिए अच्छी नींद लेना बहुत ज्यादा जरूरी है. लेकिन एक पार्टनर की सोने की कुछ आदतें दूसरे पार्टनर की नींद की क्वालिटी को खराब कर सकती हैं. ऐसे में, अगर आप अपने पार्टनर की नींद की आदतों के कारण अपनी नींद से समझौता कर रहे हैं, तो स्लीप डायवोर्स के बारे में सोचना गलत नहीं है.
इससे दोनों लोगो की स्लीप क्वालिटी में सुधार होगा जो हर तरह से सेहत के लिए जरूरी है. आप कमरे की तापमान से लेकर गद्दे, रोशनी के स्तर तक को अपनी जरूरत के अनुरूप ढाल सकते हैं ताकि आपको अच्छी नींद आए.
(मनीषा लाढ़ा की रिपोर्ट)