Targeted Cancer Drugs: क्या होती है टार्गेटेड कैंसर दवा? लाखों में होती है एक-एक डोज की कीमत, अब हो गई हैं सस्ती 

भारत में कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं. 2022 में अनुमानित 14.6 लाख नए कैंसर के मामले सामने आए थे. साथ ही इसका इलाज भी काफी महंगा होता है. दवाओं के सस्ता होने से मरीजों को काफी राहत पहुंच सकती है.

Cancer Drug (Representative Image/Unsplash)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 12:57 PM IST
  • लाखों में होती है एक-एक डोज की कीमत
  • अब हो गई हैं सस्ती 

कैंसर की दवा सबसे महंगी दवाइयों में से एक है. इसी से राहत देने के लिए बजट 2024-25 भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी दवा सस्ती करने की घोषणा की है. इससे भारत में कई कैंसर रोगियों के लिए आशा जगी है. वित्त मंत्री ने तीन कैंसर दवाओं (targeted cancer drugs)- ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन, ओसिमर्टिनिब और ड्यूरवालुमैब पर कस्टम ड्यूटी (customs duty) में छूट की घोषणा की है. 

पहले, इन दवाओं पर लगभग 10% सीमा शुल्क लगता था, जिससे ये रोगी के लिए काफी महंगी हो जाती थीं. इस कदम से ये दवाएं ज्यादा सुलभ और किफायती बनेंगी, जिससे भारतीय रोगियों के लिए कैंसर ट्रीटमेंट थोड़ा कम महंगा होगा.

टार्गेटेड कैंसर दवाएं क्या हैं? 
टार्गेटेड कैंसर दवाएं वो दवा हैं जो केवल कैंसर सेल्स पर हमला करने के लिए डिजाइन की गई हैं. इनसे नॉर्मल सेल्स प्रभावित नहीं होती हैं. इनसे कीमोथेरेपी की तुलना में कम साइड इफेक्ट के साथ बेहतर ट्रीटमेंट होता है. ये दवाएं अक्सर कैंसर सेल्स में होने वाले स्पेसिफिक जेनेटिक बदलावों पर फोकस करके काम करती हैं. इससे कैंसर सेल्स बढ़ती नहीं हैं.

हाल के सालों में, इम्यूनोथेरेपी जैसी नई टार्गेटेड थेरेपी सामने आई हैं. कैंसर सेल्स पर सीधे हमला करने के बजाय, इम्यूनोथेरेपी रोगी के इम्यून सिस्टम को कैंसर सेल्स को पहचानने और नष्ट करने के लिए ट्रेन्ड करती है.

तीन दवाओं पर होगी छूट  

1. ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन

ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन एक एंटीबॉडी-ड्रग कोंजूगेट है जो एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को कीमोथेरेपी दवा के साथ जोड़ता है. यह कैंसर सेल्स को सटीक रूप से टारगेट करती है. इस दवा का उपयोग तब किया जाता है जब शुरुआती ट्रीटमेंट विफल हो जाते हैं. इसे 2019 में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए और 2021 में कुछ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर के इलाज के लिए मंजूरी दी गई थी. इस दवा की कीमत लगभग 1.6 लाख रुपये प्रति शीशी है.

2. ओसिमर्टिनिब

ओसिमर्टिनिब भारत में तीन छूट वाली दवाओं में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसका उपयोग एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर्स (EGFR) के साथ फेफड़ों के कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है. ओसिमर्टिनिब इन रिसेप्टर्स को रोकने का काम करती है. इसे सर्जरी के बाद या कैंसर के मेटास्टेसिस होने पर फर्स्ट लाइन ट्रीटमेंट के रूप में निर्धारित किया जा सकता है. हालांकि, यह काफी महंगी, दस गोलियों की प्रति स्ट्रिप की कीमत 1.5 लाख रुपये है और इसे रोजाना लेना पड़ता है.

3. ड्यूरवालुमैब 

ड्यूरवालुमैब एक इम्यूनोथेरेपी ट्रीटमेंट है जिसे इम्फिन्जी के नाम से जाना जाता है. इसका उपयोग फेफड़े, बिलियरी ट्रैक्ट, ब्लेडर और लिवर कैंसर के लिए किया जाता है. यह दवा कैंसर सेल्स की सतह पर पीडी-एल1 प्रोटीन को टारगेट करती है. ड्यूरवैलुमैब की कीमत प्रत्येक 10 मिलीलीटर शीशी के लिए लगभग 1.5 लाख रुपये है.

सीमा शुल्क छूट का प्रभाव
इन दवाओं पर सीमा शुल्क में छूट से कैंसर रोगियों और उनके परिवारों पर वित्तीय बोझ काफी कम होने की उम्मीद है. यहां तक ​​कि 12,000 रुपये तक की कटौती भी हो सकती है. 

गौरतलब है कि भारत में कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं. राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार, 2022 में अनुमानित 14.6 लाख नए कैंसर के मामले सामने आए, जो 2021 में 14.2 लाख और 2020 में 13.9 लाख थे. कैंसर से संबंधित मौतों की संख्या भी बढ़ी है. 2021 में 7.9 लाख  की तुलना में 2022 में 8.08 लाख मौतें हुईं. 

 

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