मैन फ्लू (Man Flu) शब्द का उपयोग अक्सर उन पुरुषों के लिए किया जाता है जो नॉर्मल से जुकाम-बुखार को भी बढ़ा चढ़ाकर बताते हैं. इसका उपयोग मजाकिया ढंग से किया जाता है. लेकिन अब मैन फ्लू को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या ये आखिर में इतना ही सीरियस है या पुरुष अपनी बीमारी को बढ़ा चढ़ाकर बताते हैं?
मैन फ्लू और फ्लू के बीच क्या समानताएं हैं?
मैन फ्लू एक बोलचाल का शब्द है जो अलग-अलग सांस से जुड़े इन्फेक्शन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसमें सर्दी, फ्लू या यहां तक कि कोविड-19 के हल्के मामले भी शामिल हैं. हालांकि, "मैन फ्लू" और नॉर्मल फ्लू में कई समानताएं हैं-
-दोनों वायरस की वजह से होते हैं: फ्लू इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है, जबकि सर्दी या जिसे हम मैन फ्लू कह रहे हैं, अलग-अलग वायरस के कारण हो सकती है, जिसमें राइनोवायरस, एडेनोवायरस और नॉमर्ल कोल्ड कोरोना वायरस शामिल हैं.
-ट्रीटमेंट: ट्रीटमेंट के लिए अक्सर आराम करने, लिक्विड चीजें पीने, पेन किलर लेने, गले की दवा और सर्दी-खांसी की दवा जैसी ओवर-द-काउंटर दवाओं ली जाती हैं.
-समान लक्षण: दोनों में खांसी, गले में खराश, नाक बहना, नाक बंद होना और छींक आना जैसे लक्षण हो सकते हैं. हालांकि, फ्लू के लक्षण आमतौर पर ज्यादा गंभीर होते हैं और इसमें बुखार, शरीर में दर्द, कंपकंपी और सिरदर्द शामिल होते हैं.
मैन फ्लू और फ्लू में क्या अंतर हैं?
समानताओं के बावजूद, सर्दी (मैन फ्लू) और फ्लू के बीच काफी फर्क है-
-गंभीरता: फ्लू एक ज्यादा गंभीर और कभी-कभी घातक सांस से जुड़ा इन्फेक्शन है, जबकि सर्दी आमतौर पर हल्की होती है.
-शुरुआत: सर्दी धीरे-धीरे शुरू होती है, जबकि फ्लू अक्सर अचानक शुरू होता है.
-पहचान: फ्लू का पता लैब या होम टेटस से लगाया जा सकता है, लेकिन मैन फ्लू (या सर्दी) कोई तरीका नहीं है. इसका टेस्ट नहीं किया जा सकता.
-वैक्सीन ट्रीटमेंट: फ्लू के लक्षणों को वैक्सीन से रोका जा सकता है और टैमीफ्लू जैसी एंटीवायरल दवाओं से इलाज किया जा सकता है. जबकि सामान्य सर्दी के लिए कोई टीका या एंटीवायरल नहीं हैं.
क्या मैन फ्लू असली है?
यह समझने के लिए कि क्या मैन फ्लू असली है या नहीं इसको लेकर कई रिसर्च हुई हैं. शोध से पता चलता है कि पुरुषों और महिलाओं में सर्दी के लक्षणों का अनुभव करने के तरीके में काफी फर्क होता है.
एक रिसर्च में राइनोसिनुसाइटिस (नेजल पैसेज और साइनस की सूजन) के लक्षणों में अंतर पाया गया है. अध्ययन की शुरुआत में, पुरुषों और महिलाओं में समान लक्षण थे. हालांकि, पाँचवें और आठवें दिन तक, महिलाओं में कम गंभीर लक्षण दिखाई देने लगे, जिससे पता चलता है कि वे तेजी से ठीक हो गई हैं. दिलचस्प बात यह है कि शुरुआत में महिलाओं के लक्षणों ज्यादा थे लेकिन वे जल्द ही ठीक हो गईं. इससे पता चलता है कि पुरुष अपने लक्षणों को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बता रहे थे और वास्तव में वे धीरे-धीरे ठीक हो रहे थे.
दोनों के इम्यून सिस्टम में होता है फर्क
पुरुषों और महिलाओं के बीच इम्यून सिस्टम में फर्क होता है. महिलाओं का शरीर आमतौर पर ज्यादा एंटीबॉडी बनाता है, जिससे इन्फेक्शन जल्दी ठीक होता है. जबकि पुरुषों में ऐसा नहीं होता है.
इतना ही नहीं बल्कि कुछ संक्रामक बीमारियों, जैसे कि कोविड-19, से पुरुषों के मरने की संभावना ज्यादा है. पुरुषों को संक्रमण से उबरने में ज्यादा समय लग सकता है.