कोरोना महामारी के दौरान एक समय ऐसा भी आया था जब भारत में हालात बेहद खराब हो गए थे. उस समय देश की आशा स्वयंसेवकों ने बढ़-चढ़कर काम किया और लोगों तक मदद पहुंचाई. यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत की 10 लाख महिला आशा स्वयंसेवकों को सम्मानित किया है.
आशा स्वयंसेवकों को यह सम्मान ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने और देश में कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ अभियान में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए दिया गया है. यह महिलाएं तब घरों से बाहर निकली थीं जब पूरा देश घरों के अंदर था.
आशा का मतलब ही है उम्मीद - WHO
भारत में कोरोना वायरस महामारी के चरम पर रहने के दौरान रोगियों का पता लगाने के लिए घर-घर जाकर जांच करने को लेकर आशा कार्यकर्ता विशेष तौर पर चर्चा में आईं. दरअसल, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयेसस ने रविवार को छह पुरस्कारों की घोषणा की.
ये पुरस्कार वैश्विक स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने, क्षेत्रीय स्वास्थ्य मुद्दों के लिए नेतृत्व और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करने के लिए दिए गए हैं. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि सम्मानित लोगों में आशा भी हैं जिसका हिंदी में अर्थ उम्मीद है. घेब्रेयेसस ने कहा कि जब दुनिया आसामानता, महामारी, संघर्ष, जलवायु संकट और खाद्य सुरक्षा से जूझ रही है ऐसे समय में ये पुरस्कार उनके सम्मान के लिए है.
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