देश में हर दिन ओमिक्रॉन के मामले बढ़ रहे हैं. और इसी बीच बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सभी देशों के लिए चेतावनी जारी की है. WHO का कहना है कि डेल्टा और ओमिक्रॉन मामलों की ‘सुनामी’ स्वास्थ्य सिस्टम पर दबाव बना सकती है जो पहले ही अपने चरम पर काम कर रहा है.
WHO का कहना है कि डेल्टा और ओमिक्रॉन ‘ट्विन थ्रेट’ (दोहरा खतरा) हैं जिनकी वजह से मरीजों की संख्या बढ़ी और ज्यादा से ज्यादा लोगों को अस्पताल ले जाना पड़ा और अधिक मौतें हुई. ग्लोबल लेवल पर देखें तो संक्रमित लोगों की संख्या लगग 11 प्रतिशत बढ़ी है.
सुनामी की तरह फैल रहा ओमिक्रॉन:
WHO के प्रमुख टेड्रोस एड्हानोम गेहब्रेयसस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वह बहुत चिंतित हैं क्योंकि ओमिक्रॉन ज्यादा ट्रांसमिट होता है और डेल्टा के साथ यह भी तेजी से फ़ैल रहा है. जिसके कारण कोविड पॉजिटिव मामलों की सुनामी आ रही है.
इस वजह से हमारे स्वास्थ्य कर्मियों और सिस्टम पर दबाव बना रहेगा. हमारे स्वास्थ्य कर्मी पहले ही लगातार चल रही कोरोना लहर में थक चुके हैं और यह दबाव उन्हें और टूटने की कगार पर ला सकता है.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सिस्टम पर दबाव सिर्फ नए कोरोना मरीजों का नहीं है बल्कि बड़ी संख्या में स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी कोविड से बीमार पड़ रहे हैं.
वैक्सीन इक्विटी है जरुरी:
WHO ने 2021 में कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई पर विचार किया और उम्मीद की कि अगले साल महामारी के तीव्र चरण का अंत होगा. लेकिन चेतावनी दी कि यह वैक्सीन इक्विटी (निष्पक्षता) पर निर्भर करेगा. WHO चाहता था कि हर देश में 40 प्रतिशत आबादी को साल के अंत तक पूरी तरह से टीका लगाया जाए. और 2022 के मध्य तक 70 प्रतिशत कवरेज का लक्ष्य रखा गया है.
टेड्रोस ने घोषणा की कि WHO के 194 सदस्य देशों में से 92 देश इस 40 प्रतिशत लक्ष्य से चूकने वाले हैं. उनका कहना है कि इस स्थिति का मुख्य कारण है कि इस साल काफी समय तक कम आय वाले देशों को वैक्सीन की सीमित आपूर्ति हुई है.
इसके अलावा भेजी गई बहुत सी वैक्सीन एक्सपायर होने वाली हैं और कुछ के साथ कई महत्वपूर्ण चीजें जैसे टीके के लिए सीरिंज आदि उपलब्ध नहीं हैं. यह न सिर्फ नैतिक स्तर पर शर्म की बात है बल्कि इस लापरवाही ने लोगों की जान ली है.
वायरस को फैलने का अवसर दिया है. इसलिए आने वाले साल में उन्होंने सरकारों और उद्योगों से वैक्सीन इक्विटी लाने के लिए कहा है. 2021 बहुत मुश्किल साल रहा है. लेकिन 2022 में यह जरुरी है कि छह महीने में 70% टीकाकरण के अभियान को पूरा किया जाए.