एक मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में, नौ में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कैंसर होने की संभावना है. और हम सब जानते हैं कि कैंसर का इलाज इतना आसान नहीं है. इसमें न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक और आर्थिक रूप से भी लोगों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. लोगों की इन्हीं परेशानियों को समझते हुए दिल्ली एनसीआर की संस्था, Win Over Cancer लोगों की मदद कर रही है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस फाउंडेशन की शुरुआत एक कैंसर सर्वाइवर ने ही की थी.
इस संस्था के फाउंडर, अरुण गुप्ता की एक चार्टर्ड एकाउंटेंट थे, जिन्होंने अपने कैंसर के इलाज के दौरान ही Win Over Cancer की स्थापना की. साल 2020 में अरुण के इस दुनिया से जाने के बाद उनकी पत्नी, कविता गुप्ता पिछले कई सालों से इस संस्था के जरिए कैंसर मरीजों और उनके परिवारों की मदद कर रही हैं. कविता ने ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर्स के लिए कम लागत की प्रोस्थेटिक ब्रा भी डिजाइन की हैं.
खुद कैंसर से लड़ते हुए दूसरों के लिए शुरू किया काम
साल 2011 में अरुण को अपनी कैंसर की बीमारी का पता चला. इस बीमारी ने सिर्फ उन्हें नहीं उनके पूरे परिवार को प्रभावित किया था. उनके लिए यह समय आसान नहीं था क्योंकि अरुण को जो कैंसर था वह काफी दुर्लभ था और इसके साथ ही, एक और अन्य तरह की बीमारी होने के कारण यह ज्यादा जानलेवा हो गया था. लेकिन अरुण ने हिम्मत नहीं हारी.
साल 2016 में अरुण का ट्रीटमेंट शुरु हुआ और तब से अरुण व कविता का ज्यादातर समय अस्पताल में गया. इस दौरान उन्होंने करीब से देखा और खुद महसूस किया कि कैंसर जैसी बीमारी सिर्फ मरीज को नहीं पूरे परिवार को प्रभावित करती है. पहली बात जो एक कैंसर रोगी को प्रभावित करती है वह है अपनी नौकरी खोना, अरुण के साथ भी यही हुआ. इसके बाद, दवाओं, परीक्षणों और कीमो की लागत ने उनकी सारी बचत को खत्म कर दिया. अरुण और कविता ने सोचा कि इलाज की लागत को कैसे कम किया जाए.
इस बारे में शोध करते हुए अरुण और कविता ने बहुत से तरीके निकाले जिससे उन्हें कम लागत पर दवाएं मिलें. साथ ही, कैंसर सर्वाइवर्स के लिए रोजगार के अवसरों के बारे में विचार-विमर्श किए. इस तरह से एक आइडिया शुरू हुआ और इस आइडिया को हकीकत बनाने के लिए उन्होंने विन ओवर कैंसर की शुरुआत की.
कैसे काम कर रहा है यह संगठन
विन ओवर कैंसर बहुत छोटी चीजों के साथ शुरू हुआ जैसे कि रोगियों को यह जानने में मदद करना कि बीमारी का इलाज संभव है या वास्तव में किसी विशेष प्रकार के उपचार के लिए कहां जाना चाहिए. अरुण ने जो भी अनुभव और ज्ञान हासिल किया, उसके साथ ब्लॉग लिखना भी शुरू कर दिया.
अरुण का यह विश्वास था कि कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो पूरे परिवार को प्रभावित करती है और इसलिए, उनके मन में था कि विन ओवर कैंसर के जरिए न केवल कैंसर प्रभावित रोगी, बल्कि पूरे परिवार को सपोर्ट किया जाना चाहिए. इसलिए उनकी संस्था का उद्देश्य था कि कैंसर मरीजों को इमोशनल सपोर्ट और प्रोफेशनल हेल्प मिलनी चाहिए.
साथ ही, कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना, ट्रीटमेंट की लागत कम करना, दुर्गम क्षेत्रों के लिए उपचार उपलब्ध कराना और कैंसर सर्वाइवर्स या जिन लोगों ने कैंसर में जान गंवा दी उनके परिवारों के लिए रोजगार के अवसर उपल्बध कराना- ये सब उनके एजेंडे का हिस्सा है. उन्होंने इन सभी मोर्चों पर काम करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे अपने एनजीओ के लिए लोगों से उन्हें सपोर्ट मिलने लगा.
सेव, सपोर्ट और सर्वाइव
विन औवर कैंसर संस्था, ‘सेव’ के तहत कैंसर जागरूकता अभियान चलाती है. कैंसर का जल्द पता लगाने के लिए स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित करके और मुफ्त परामर्श देकर कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद करते हैं. ‘सपोर्ट’ के तहत, गरीब परिवारों को कैंसर के इलाज में मदद की जाती है, यह क्राउड फंडिंग, रियायती दवाओं और स्तन कैंसर सर्वाइवर्स के लिए कम लागत वाली प्रोस्थेटिक ब्रा (पोस्ट मास्टेक्टॉमी ब्रा) फ्री में दी जाती है.
‘सर्वाइव’ के तहत, कैंसर से बचे लोगों या कैंसर प्रभावित परिवारों के सदस्यों को मुफ्त कौशल विकास प्रशिक्षण देते हैं और उन्हें नौकरी खोजने में मदद करते है ताकि वे आर्थिक रूप से स्थिर और सम्मानित जीवन जी सकें. कविता ने खुद ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर्स के लिए प्रोस्थेटिक ब्रा डिजाइन की और अब तक आठ हजार से ज्यादा ब्रा बांट चुकी हैं. विन ओवर संस्था के जरिए 50 से ज्यादा कैंसर पीड़ितों का मुफ्त में इलाज कराया गया और अब तक 15,000 से ज्यादा लोगों को अलग-अलग तरह से यह संस्था मदद कर चुकी है.