Migraine in Women: पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होती है माइग्रेन होने की संभावना, जानें इसकी वजह और बचाव के उपाय

एक महिला जब रिप्रोडक्टिव वाले फेज से गुजर रही होती है उस दौरान माइग्रेन अक्सर चरम पर होता है और ज्यादा खतरनाक हो जाता है. माइग्रेन से पीड़ित लगभग 50% से 60% महिलाओं को मेंस्ट्रुअल माइग्रेन का अनुभव होता है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 10 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 1:51 PM IST
  • महिलाओं में ज्यादा होता है माइग्रेन 
  • माइग्रेन का हो सकता है ट्रीटमेंट

माइग्रेन केवल गंभीर सिरदर्द ही नहीं है बल्कि इससे भी ज्यादा  है. ये एक तरह का नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर है. जो लोग माइग्रेन से पीड़ित होते हैं, उन्हें अक्सर सिर के एक तरफ तेज दर्द होता है. दर्द के साथ-साथ मतली, उल्टी और हम लाइट और आवाज के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं. माइग्रेन कई घंटे या दिनों तक भी रह सकता है. 

महिलाओं में ज्यादा होता है माइग्रेन 

दुनिया भर में, लगभग 800 मिलियन लोग माइग्रेन सिरदर्द का अनुभव करते हैं. अकेले अमेरिका में, लगभग 39 मिलियन लोग, यानी जनसंख्या का लगभग 12%, नियमित रूप से इससे पीड़ित हैं. इनमें से ज्यादातर महिलाएं हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाएं तीन गुना से अधिक माइग्रेन का अनुभव करती हैं. विशेष रूप से 18 से 49 साल की महिलाओं में ये ज्यादा देखने को मिलता है. 

महिलाओं में माइग्रेन के मामले ज्यादा क्यों हैं?

माइग्रेन में महिला और पुरुष का ये अंतर होने के कई कारण हैं. जैसे हार्मोन, जेनेटिक्स, एपिजेनेटिक्स (जीन एक्टिवेशन या डीएक्टिवेशन) और पर्यावरण से जुड़े कारक. एस्ट्रोजन (estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (progesterone) जैसे हार्मोन माइग्रेन से जुड़े ब्रेन फंक्शन को रेगुलेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये हार्मोन ब्रेन के केमिकल को प्रभावित करते हैं और माइग्रेन से संबंधित ब्रेन रीजन में स्ट्रक्चरल और फंक्शनल डिस्टिंक्शन में योगदान कर सकते हैं.

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन ब्लड वेसल के आकार पर भी प्रभाव डालते हैं, जिससे संभावित रूप से माइग्रेन का दौरा पड़ सकता है. जैसे-जैसे लड़कियां युवावस्था में प्रवेश करती हैं, हार्मोन के लेवल में उतार-चढ़ाव, मुख्य रूप से एस्ट्रोजन, माइग्रेन के प्रति उनकी संवेदनशीलता को बढ़ाता है. 

इस माइग्रेन का कैसे हो सकता है ट्रीटमेंट 

एक महिला जब रिप्रोडक्टिव वाले फेज से गुजर रही होती है उस दौरान माइग्रेन अक्सर चरम पर होता है और ज्यादा खतरनाक हो जाता है. माइग्रेन से पीड़ित लगभग 50% से 60% महिलाओं को मेंस्ट्रुअल माइग्रेन का अनुभव होता है, जो एस्ट्रोजन के लेवल में गिरावट के कारण मासिक धर्म से पहले या उसके दौरान होता है. जबकि ट्रिप्टन और एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं इसमें मदद कर सकती हैं. हार्मोन के लेवल को स्थिर बनाए रखने के लिए बर्थ कंट्रोल मेथड भी प्रभावी साबित हो सकते हैं.

कब जरूरी होती है मेडिकल हेल्प?

लगभग 20% माइग्रेन पीड़ितों को औरा का अनुभव होता है. इसमें आपको विजुअल डिस्टर्बेंस, डार्क स्पॉट्स, जिग-जैग लाइन या फिर बोलने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है. हालांकि, औरा के लक्षण स्ट्रोक के समान हो सकते हैं, बस वे थोड़ा धीरे-धीरे विकसित होते हैं. 

गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान माइग्रेन विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है. इसमें महिलाएं अक्सर मॉर्निंग सिकनेस फील करती हैं. हालांकि गर्भावस्था के दौरान ये कम हो सकता हैं या गायब हो सकता है, लेकिन बच्चे के जन्म के बाद हार्मोनल उतार-चढ़ाव, तनाव और नींद की कमी के कारण ये फिर से उभर सकते हैं. 

वहीं अगर पुरुषों की बात करें, तो उन्हें अपने शुरुआती 20 के दशक में माइग्रेन महसूस हो सकता है. इसके बाद 50 साल की उम्र के आसपास एक और लेवल होता है जब आप माइग्रेन अनुभव कर सकते हैं. हालांकि इसका सटीक कारण स्पष्ट नहीं है. 


 

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