World Alzheimer’s Day क्यों मनाया जाता है, अल्जाइमर होने पर सिर्फ भूलने की बीमारी ही नहीं दिखते हैं ये भी लक्षण, जानें इसके कारण और बचाव के उपाय

World Alzheimer’s Day 2023: विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है. इसके 60-70 प्रतिशत मामलों में इसका योगदान होता है. मेडिकल टर्म में अल्जाइमर रोग, एक प्रोग्रेसिव ब्रेन डिसऑर्डर है, जो मेमोरी, सोच और बिहेवियर को प्रभावित करता है.

World Alzheimer's Day 2023
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:35 AM IST
  • हर साल 21 सितंबर को मनाया जाता है विश्व अल्जाइमर दिवस
  • अल्जाइमर होने पर यादाश्त धीरे-धीरे होने लगती है कम 

History of Alzheimer's Day: दुनियाभर में हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह खास दिन लोगों के बीच अल्जाइमर रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें यादाश्त धीरे-धीरे कम होने लगती है. इस बीमारी में दिमाग के वे सेल नष्ट होने लगते हैं, जो याद रखने, सोचने और समझने के लिए जिम्मेदार होते हैं.

अल्जाइमर दिवस का इतिहास
अल्जाइमर दिवस का इतिहास 21 सितंबर 1994 से शुरू होता है, जब इसे पहली बार एडिनबर्ग में अल्जाइमर रोग इंटरनेशनल (एडीआई) की 10वीं वर्षगांठ मनाने के लिए पेश किया गया था. अल्जाइमर रोग इंटरनेशनल (एडीआई) की स्थापना 1984 में दुनिया भर में अल्जाइमर रोगियों का समर्थन करने और उन्हें आवश्यक उपचार प्रदान करने के लिए की गई थी. एडीआई के दुनिया भर में 100 से अधिक अल्जाइमर संगठन हैं, जो अल्जाइमर रोगियों और उनके परिवारों की समस्याओं की देखभाल करते हैं.

क्या है इस साल की थीम
इस साल अल्जाइमर्स डे की थीम है 'नेवर टू अर्ली, नेवर टू लेट'. यह थीम डिमेंशिया से बचाव के लिए जल्द से जल्द अल्जाइमर के लक्षणों को पहचानने और उससे बचने के तरीकों को अपनाने पर जोर दे रही है. साथ ही यह इस बात पर भी जोर दे रही है कि जिन लोगों को यह बीमारी हो चुकी है, उनके लिए भी देर नहीं हुई है और वे अब भी इसे और बढ़ने से रोक सकते हैं. 

क्या है अल्जाइमर रोग
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है और इसके 60-70 प्रतिशत मामलों में इसका योगदान होता है. मेडिकल टर्म में अल्जाइमर रोग, एक प्रोग्रेसिव ब्रेन डिसऑर्डर है जो मेमोरी, सोच और बिहेवियर को प्रभावित करता है. इसमें दिमाग की कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं और धीरे-धीरे मरीज की याद्दाश्त कम होने लगती है. इस वजह से इंसान का दिमाग ठीक से काम नहीं कर पाता है. ये लक्षण समय के साथ बदतर होते जाते हैं. आमतौर पर 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को ये प्रभावित करता है.

कब देना चाहिए ध्यान 
उम्र बढ़ने के साथ-साथ यादाश्त कमजोर होना बहुत आम बात है. कुछ लोग इसे अल्जाइमर समझ कर परेशान हो जाते हैं जबकि ये तनाव या फिर अकेले रहने के डिप्रेशन से भी जुड़ा हो सकता है. जब आपको अपने डेली रूटीन के काम करने में दिक्कत हो जो आप पहले बड़ी आसानी से कर लेते थे या फिर आप बोलना चाह रहे हों लेकिन लाख कोशिश के बाद भी आपकी जुबान पर शब्द नहीं आ रहे हों, आपको रोजमर्रा के चीजें याद ना रहती हों तो आपको डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है.

अल्जाइमर के लक्षण 
1. अल्जाइमर के पहले लक्षणों में बातें भूलने लगना या बार-बार एक ही बात को पूछना शामिल है.
2. रोज के काम खुद से नहीं कर पाना. चीजें ऑर्गेनाइज करने में दिक्कत होना.
3. रंगों की पहचान करने में, दूरी का अंदाजा लगाने में परेशानी होना.
4. चीजें रख कर भूल जाना या उसे वापस नहीं ढूंढ पाना.
5. सोशल एक्टिविटीज में हिस्सा नहीं लेना या उनसे दूर भागना.
6. अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में दिक्कत महसूस होना दिन, तारीख, महीना और साल तक भूल जाना.

चीजों को याद रखने में दिक्कत: चाबी रखकर भूल जाना या फिर किसी खास इवेंट को भूल जाना बहुत ही आम समस्या है. लेकिन जब ये समस्या ज्यादा लंबे समय तक परेशान करती है. जैसे कि नाम भूल जाना, खास तारीख भूल जाना या फिर बात-बात करते हुए भूल जाना कि क्या बात कर रहे थे और एक ही बात को बार- बार रिपीट करना. ये संकेत है कि व्यक्ति अल्जाइमर की समस्या से पीड़ित है.

अचानक से मूड बदलना: किसी सौम्य स्वभाव वाले इंसान का उम्र के साथ उग्र हो जाना या फिर अचानक से मूड चेंज होना अल्जाइमर के लक्षण हैं. भीड़भाड़ वाली जगह को पसंद ना करना, एकांत में बैठे रहना, या फिर बुजुर्ग व्यक्ति के लिए फिजिकल एक्टीविटी को करना मुश्किल लगने लगे तो ये भी अल्जाइमर के ही संकेत हैं.

छोटे-मोटे काम करने में भी दिक्कत आना: उम्र बढ़ने के साथ अगर रोजमर्रा के कामों को करने में भी दिक्कत आ रही है तो ये अल्जाइमर के संकेत हैं. जैसे की घर का रास्ता भूल जाना, मार्केट जाने का रास्ता भूल जाना, मोबाइल, ओवन या किसी चीज को इस्तेमाल करने का तरीका भूल जाना, दरवाजा बंद करना भूल जाना.

बोलने में परेशानी: अल्जाइमर की समस्या होने पर सबसे ज्यादा परेशानी बोलने में आती है. सामान्य भाषा में समझें तो अगर कोई इंसान किसी खास ऑब्जेक्ट का नाम भूल जाता है जैसे कि टेलीफोन को किसी और नाम से बुलाए या फिर लिखना या पढ़ना भूल जाए तो ये अल्जाइमर बीमारी के शुरुआती संकेत हैं.

अल्जाइमर रोग के कारण 
सेल्स का डैमेज होना: अल्जाइमर रोग के शुरुआत किन कारणों से होती है, इसका सटीक पता लगाना तो मुश्किल है, लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो दो प्रोटीन नर्व सेल्स को डैमेज कर देती हैं, ऐसे में अल्जाइमर जन्म लेता है. ये दो नाम बीटा-एमिलॉइड और ताऊ हैं. बीटा-एमिलॉइड प्रोटीन के टुकड़े बनते हैं, जिन्हें प्लाक कहा जाता है. वहीं ताऊ के मुड़े हुए रेशों को टैंगल्स कहते हैं. अल्जाइमर रोगियों के मस्तिष्क में उलझी संरचनाओं में ताऊ प्रोटीन के रूप में पाया जाता है. यह संवाद करने के लिए जिम्मेदार न्यूरोंस की क्षमता में रुकावट डालता है.

पारिवारिक इतिहास: अल्जाइमर की समस्या हमें अपने परिवार से भी मिल सकती है. यदि आपके परिवार में पहले कोई अल्जाइमर से पीड़ित रहा है तो यह संभव है कि आपको भी इसका सामना करना पड़े. इसमें आपके जीन या आनुवंशिकी की बहत अहम भूमिका निभाते हैं.

सिर में चोट लगना: पर्यावरणीय कारक भी अल्जाइमर रोग को बढ़ावा दे सकते हैं. इन कारकों में सिर में चोट लगना, डायबिटीज, हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल, स्मोकिंग, गतिहीन जीवनशैली, शिक्षा में कमी आदि चीजें शामिल हैं.

खराब नींद: मस्तिष्‍क को स्‍वस्‍थ रखने में  नींद महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है. नींद की कमी या खराब गुणवत्‍ता वाली नींद कॉगनेटिव डिक्‍लाइन और अल्‍जाइमर रोग के जोखिम को बढ़ाती है. खराब नींद की वजह से दिमाग पर अधिक प्रेशर पड़ता है जिससे मांसपेशियों पर भी प्रभाव पड़ता है और इंसान धीरे धीरे चीजें भूलने लगता है.

खराब लाइफस्‍टाइल: आज के समय में खराब लाइफस्‍टाइल कई परेशानियों को जन्म देती है. इन्हीं में से एक है अल्‍जाइमर. खराब लाइफस्‍टाइल और शारीरिक गतिविधि की कमी अल्‍जाइमर को बढ़ावा देती है. मस्तिष्‍क में ब्‍लड फ्लो में सुधार, नई मस्तिष्‍क कोशिकाओं के विकास के लिए नियमित शारीरिक गतिविधि में पार्टीसिपेट करना बेहद जरूरी होता है.

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