World Brain Tumor Day 2023: खुदा न करे किसी को हो ब्रेन ट्यूमर... जानें इस गंभीर बीमारी के लक्षण, प्रकार और बचाव के उपाय

वैश्विक स्तर पर बढ़ रहे ब्रेन ट्यूमर के बारे में लोगों को जागरूक करने और बचाव के उपायों को लेकर शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 8 जून को वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे मनाया जाता है.आइए आज इस बीमारी के लक्षण, प्रकार और बचाव के बारे में जानते हैं.

Brain Tumor(symbolic photo)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2023,
  • अपडेटेड 6:28 PM IST
  • हर साल 8 जून को मनाया जाता है वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे 
  • ब्रेन ट्यूमर एक बेहद खतरनाक और जानलेवा बीमारी है

ब्रेन ट्यूमर नाम सुनते ही लोग शॉक हो जाते हैं. यह एक बहुत ही गंभीर बीमारी है. खुदा न करे कोई इस बीमारी से पीड़ित हो. ब्रेन ट्यूमर के बारे में विश्व स्तर पर लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 8 जून को वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे मनाया जाता है. वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे मनाने की शुरुआत वर्ष 2000 में जर्मन ब्रेन ट्यूमर एसोसिएशन की ओर से की गई थी. हर साल एक थीम के तहत इस दिवस को मनाया जाता है. इस वर्ष की थीम बेहतर सुरक्षा देकर ट्यूमर से छुटकारा पाया जा सकता है (What is Better Safe Than Tumour) है. आइए आज इस बीमारी के लक्षण, प्रकार और बचाव के बारे में जानते हैं.

मस्तिष्क में बन जाती है गांठ
मस्तिष्क की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि होने से जो गांठ बन जाती है, उसे ही ब्रेन ट्यूमर कहते हैं. ब्रेन ट्यूमर कैंसर का एक स्वरूप है. हालांकि सभी ब्रेन ट्यूमर कैंसर नहीं होते हैं. मस्तिष्क स्थित जो ट्यूमर कैंसर रहित होते हैं, उन्हें बिनाइन ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है और जिन ट्यूमर्स में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि से गांठ पड़ जाती है, उन्हें मैलिग्नेंट या कैंसरस ब्रेन ट्यूमर कहते हैं. 

टिश्यूज असामान्य रूप से तेजी से बढ़ते हैं
ब्रेन ट्यूमर में मस्तिष्क के टिश्यूज असामान्य रूप से तेजी से बढ़ते हैं, जिसके कारण मस्तिष्क के आंतरिक भाग में दबाव बढ़ता है. इसके कारण सिरदर्द सहित कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं. वैसे ब्रेन ट्यूमर जो मस्तिष्क में उत्पन्न होते हैं, उन्हें प्राइमरी बेन ट्यूमर कहते हैं, वही जो ट्यूमर शरीर के अन्य भागों जैसे किडनी, लिवर, फेफड़ों आदि के जरिए मस्तिष्क तक पहुंचते हैं, उन्हें सेकेंडरी या  मेटास्टैटिक ट्यूमर कहते हैं.

क्या है कारण
ब्रेन ट्यूमर होने का काई निश्चित कारण अभी तक खोजा नहीं जा सका है. डॉक्टरों के अनुसार  तनावपूर्ण जीवनशैली, प्रदूषण, खानपान पर ध्यान नहीं देना आदि इस बीमारी के होने के कारण हो सकते हैं. व्यक्ति के जीन्स संबंधित गड़बड़ियों के कारण ज्यादातर ट्यूमर उत्पन्न होते हैं. गैसों के रेडिएशन आदि से भी ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा रहता है.

प्रमुख लक्षण
1. ब्रेन ट्यूमर में सबसे आम लक्षण हमेशा सिरदर्द रहना है.
2. रात में नींद नहीं आती है.
3. चक्कर या उलटी आना.
4. आंखों की रोशनी कम होने लगती है.
5. याददाश्त कमजोर होना.
6. चेहरे, हाथों और पैरों में कमजोरी और इनमें सनसनी होना.
7. स्वाद व सूंघने की शक्ति का कमजोर होना.
8. दौरा पड़ना.

ऐसे की जाती है जांच
सीटी स्कैन की सहायता से मस्तिष्क के आंतरिक भागों की फोटो देखकर इस बीमारी की स्थिति का पता लगाया जाता है. एमआरआई करके भी डॉक्टर ब्रेन ट्यूमर का पता लगाते हैं. अभी के समय में फंक्शनल एमआरआई के जरिए इस बीमारी की जांच अधिक की जा रही है. जेनेटिक मैपिंग के माध्यम से यह देखा जाता है मस्तिष्क में मौजूद ट्यूमर में कौन सी कीमोथेरेपी काम करेगी. 

समय रहते कराएं उपचार
लक्षणों के स्पष्ट होने के बाद सीटी स्कैन या एमआरआई से ब्रेन ट्यूमर होने की पुष्टि होती है.यदि ब्रेन ट्यूमर के मामले में कैंसर का जोखिम नहीं है, तो उसे ऑपरेशन के जरिए निकाला जा सकता है और मरीज की जिंदगी को बचाया जा सकता है. यदि इसके 100 मरीज आते हैं, तो उनमें से करीब 25 से 30 प्रतिशत को कैंसर होता है. अगर ब्रेन ट्यूमर का मामला शुरू में ही पकड़ में आ गया, तो आधुनिक उपचार से उसे सही किया जा सकता है. 

कुछ देशों में स्क्रीनिंग की व्यवस्था तैयार हुई है यानी सिरदर्द हुआ, तो तुरंत एमआरआई किया जाता है. इससे ब्रेन ट्यूमर को पहली स्टेज में पकड़ लेते हैं. अगर मरीज का ट्यूमर बहुत छोटा है, तो उसे दवा देकर फॉलोअप के लिए कहा जाता है. ट्यूमर का आकार बढ़ गया है, तो सर्जरी ही करानी होती है. सर्जरी के बाद बायोप्सी की रिपोर्ट आने के बाद कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की जाती है. आप धूम्रपान और रेडिएशन जैसे जोखिमों से बचकर ब्रेन ट्यूमर के जोखिमों को कम कर सकते हैं. यदि आपके परिवार में किसी को ब्रेन ट्यूमर रह चुका है तो अपने जोखिमों के बारे में जानने के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 


 

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