मिर्गी (Epilepsy) मस्तिष्क की एक गैर-संक्रामक बीमारी है जो दुनिया भर में लगभग 50 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है. इससे पीड़ित लोगों को कभी भी दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है. दौरे पड़ने से इंसान का शरीर पर नियंत्रण नहीं रह जाता है. कई बार व्यक्ति इसमें बेहोश हो जाता है और कई बार ब्लडर फंक्शन (टॉयलेट आदि) पर भी कंट्रोल नहीं रहता है. मस्तिष्क या ब्रेन की सेल्स में ज्यादा इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज होने के कारण दौरे पड़ते हैं. ये डिस्चार्ज ब्रेन में अलग-अलग जगह पर हो सकते हैं.
दौरे थोड़े समय से लेकर या मांसपेशियों में झटके से लेकर गंभीर और लंबे समय तक चलने वाली शारीरिक ऐंठन तक हो सकते हैं. दौरे पड़ने की फ्रीक्वेंसी भी अलग-अलग हो सकती है. किसी को साल में एक बार दौरा पड़ता है तो किसी को हर दिन भी दौरे आ सकते हैं. मिर्गी से पीड़ित लोगों में शारीरिक समस्याएं (जैसे फ्रैक्चर और दौरे से संबंधित चोटों से चोट लगना) होने की संभावना हो सकती हैं, साथ ही चिंता और अवसाद जैसी मनोवैज्ञानिक स्थितियों की दर भी ज्यादा होती है.
इसी तरह, मिर्गी से पीड़ित लोगों में समय से पहले मौत का रिस्क सामान्य आबादी की तुलना में तीन गुना ज्यादा होता है. आपको बता दें कि कम और मध्यम आय वाले देशों और ग्रामीण क्षेत्रों में मिर्गी से पीड़ित लोगों की समय से पहले मृत्यु की दर सबसे ज्यादा है.
मिर्गी के कारण
विश्व स्तर पर, हर साल लगभग 50 लाख लोगों में मिर्गी का निदान किया जाता है. हाई-इनकम देशों में, अनुमान है कि हर साल प्रति 100,000 लोगों में 49 लोग मिर्गी से पीड़ित होते हैं. निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, यह आंकड़ा प्रति 100,000 पर 139 तक हो सकता है. हालांकि, आपको बता दों कि मिर्गी संक्रामक नहीं है और इसके होने के कई कारण हो सकते हैं. ग्लोबल लेवल पर लगभग 50% मामलों में बीमारी का कारण नहीं पता चल पाता है.
मिर्गी के कारणों को अलग-अलग केटेगरी में बांटा गया है- स्ट्रक्चरल, जेनेटिक (आनुवंशिक), इंफेक्शन, मेटाबॉलिज्म से संबंधित, इम्यून और अज्ञात. जैसे प्रीनटल (डीलिवरी स पहले) या प्रेग्नेंसी के दौरान किसी कारण बस हुई मस्तिष्क क्षति (उदाहरण के लिए जन्म के दौरान ऑक्सीजन की हानि या आघात, जन्म के समय कम वजन); जन्मजात असामान्यताएं या संबंधित मस्तिष्क विकृतियों के साथ आनुवंशिक स्थितियां; सिर पर गंभीर चोट; स्ट्रोक जो मस्तिष्क में ऑक्सीजन की मात्रा को सीमित कर देता है; मस्तिष्क का संक्रमण जैसे मेनिनजाइटिस, एन्सेफलाइटिस या न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस, कुछ आनुवंशिक सिंड्रोम; और एक ब्रेन ट्यूमर आदि कारण हो सकते हैं.
हालांकि, मिर्गी के दौरों को नियंत्रित किया जा सकता है. मिर्गी से पीड़ित 70% लोग दवाओं के सही उपयोग से दौरे से मुक्त हो सकते हैं. लेकिन इसके लिए आपको किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह करनी होगी, अपनी दवाओं का कोर्स पूरा करना होगा और अगर इसके बाद आपको दो साल तक दौरे नहीं पड़ते हैं तो डॉक्टर की सलाह पर आप दवाइयां लेना बंद कर सकते हैं. लेकिन हर हाल में अच्छे डॉक्टर के संपर्क में रहें.
मिर्गी के बारे में गलत धारणाएं:
1. मिर्गी दुर्लभ है और यह बहुत कम लोगों को होता है.
कनाडा में मिर्गी से पीड़ित लोगों की संख्या सेरेब्रल पाल्सी (55,000), मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (28,000), मल्टीपल स्केलेरोसिस (39,000) और सिस्टिक फाइब्रोसिस (3,400) से पीड़ित लोगों की कुल संख्या से दोगुनी से भी ज्यादा है. मिर्गी एक ही स्थिति के रूप में हो सकती है, या मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली किसी दूसरी स्थिति के साथ भी हो सकती है, जैसे सेरेब्रल पाल्सी, मेंटल इंपेयरमेंट, ऑटिज्म, अल्जाइमर और दर्दनाक मस्तिष्क की चोट
2. मिर्गी संक्रामक है?
मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति से आपको मिर्गी नहीं हो सकती. जी हां, यह सिर्फ एक गलत धारणा है.
3. सिर्फ बच्चों को होती है मिर्गी?
मिर्गी किसी भी उम्र में हो सकती है, हालांकि, मिर्गी का कारण व्यक्ति की उम्र के आधार पर बदल सकता है.
4. मिर्गी बुरी आत्मा के कारण होती है?
मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो मस्तिष्क में असामान्य फोकस के कारण होता है जिसके कारण मस्तिष्क के बार/छेद से हाइपर सिंक्रोनस डिस्चार्ज होता है और प्रभावित क्षेत्र में कुछ क्षण का डिस्फंक्शन हो सकता है.
5. क्या आपको किसी को दौरे पड़ने से रोकना चाहिए?
अगर किसी को दौरा आ रहा है तो उस समय आप उसे नहीं रोक सकते हैं. हालांकि, सही दवाओं के उपयोग से दौरे पड़ना कम हो सकता है.
6. मिर्गी से पीड़ित लोग अक्षम होते हैं और काम नहीं कर सकते?
इस स्थिति वाले लोगों में हम सबकी तरह योग्यताएं और बुद्धिमत्ता होती है. कुछ ही लोग होते हैं जिन्हें गंभीर दौरे पड़ते हैं और वे काम नहीं कर पाते. अन्यथा लोग सही ट्रीटमेंट के साथ इसे कम करके सामान्य जीवन जी सकते हैं.
7.क्या आपको दौरा पड़ने वाले किसी व्यक्ति के मुंह में जबरदस्ती कुछ डालना चाहिए?
कभी भी नहीं. इससे पीड़ित व्यक्ति के दांत टूटने, मसूड़ों में चोट आने या जबड़ा टूटने का डर हो सकता है. सबसे सही है फर्स्ट एड. बस व्यक्ति को धीरे से एक करवट पर कर दें और उसे घायल होने से बचाने के लिए उसके सिर के नीचे कोई नरम चीज रखें.