World Health Day: पल्स पोलियो से लेकर जन औषधि केंद्रों तक, स्वास्थ्य के मामले में गेमचेंजर रहे हैं भारत के ये हेल्थ प्रोग्राम

देश की आजादी को 75 साल हो गए हैं और इतने सालों में भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र को सुधारने के लिए कई तरह के बड़े अभियान चलाए गए हैं. और ये Health Programs भारत के लिए गेमचेंजर साबित हुए हैं.

World Health Day
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 06 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 2:45 PM IST
  • 7 अप्रैल को दुनियाभर में World Health Day मनाया जाता है
  • जनसंख्या के हिसाब से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है भारत

हर साल 7 अप्रैल को दुनियाभर में World Health Day मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के बारे में जागरूकता फैलाना है. आपक बता दें कि जनसंख्या के हिसाब से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश भारत विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से समग्र स्वास्थ्य और कल्याण की दिशा में काम कर रहा है. 

पिछले कुछ दशकों में भारत में स्वास्थ्य के मामले में बहुत से सुधार हुए हैं. बल्कि कई जगहों पर तो भारत में महारत हासिल की हैं. पोलियो उन्मूलन में भारत की सफलता किसी से छिपी नहीं है. इसी तरह, भारत ने खुद को चेचक से मुक्त घोषित किया है. और कोरोना के मामले में भारत ने किस तरह दुनियाभर में उदाहरण पेश किया है यह सब जानते हैं. आज हम आपको बता रहे हैं कि आजादी के 75 सालों में भारत के लिए कौन-से प्रोग्राम्स सबसे बड़े गेम चेंजर रहे. 

यूनिवर्सल टीकाकरण प्रोग्राम
भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने साल 1978 में टीकाकरण का विस्तारित कार्यक्रम (ईपीआई)  देश में शुरू किया था. 1985 में, इस कार्यक्रम को 'यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम' (यूआईपी) के रूप में संशोधित किया गया था, क्योंकि इसकी पहुंच शहरी क्षेत्रों से आगे तक फैली हुई थी. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूआईपी सालाना 2.67 करोड़ नवजात शिशुओं और 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं को लक्षित करने वाले सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है.

पब्लिक हेल्थ के मामले में यह काफी किफायती प्रोग्राम है और इसके प्रभाव से ही 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में बहुत कमी आई है. यूआईपी के तहत, 12 वैक्सीन से रोके जा सकने वाले रोगों के खिलाफ मुफ्त में टीकाकरण किया जाता है. 

पल्स पोलियो टीकाकरण प्रोग्राम
साल 1995 में, विश्व स्वास्थ्य सभा ने वैश्विक पोलियो उन्मूलन (1988) के लिए एक प्रस्ताव पारित किया और इसके प्रति प्रतिबद्ध भारत ने पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया. दो दशकों के भीतर, भारत को 27 मार्च, 2014 को विश्व स्वास्थ्य संगठन से 'पोलियो-मुक्त प्रमाणन' प्राप्त हुआ, जिसमें अंतिम पोलियो का मामला 13 जनवरी, 2011 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में दर्ज किया गया था. देश को पोलियो मुक्त रखने के प्रयास जारी हैं. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत हर साल पोलियो के लिए एक राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस और दो उप-राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (एसएनआईडी) आयोजित करता है ताकि जंगली पोलियोवायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा और अपनी पोलियो मुक्त स्थिति को बनाए रखा जा सके. 

स्कूलों में नेशनल मिड-डे मील प्रोग्राम या या पीएम पोषण स्कीम
साल 1995 में मिड-डे मील प्रोग्राम की शुरुआत की गई थी. जिसके तहत देश भर के 2,408 ब्लॉकों में प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1 से V) के छात्रों को प्रतिदिन दोपहर का खाना यानी एक मील उपलब्ध कराया जाता था. बाद में, सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद साल 2001 में सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को कवर करके इसे यूनिवर्सल बना दिया गया. साल 2007 में उच्च प्राथमिक (कक्षा VI से VIII) के छात्रों को कवर करने के लिए योजना के दायरे को और बढ़ा दिया गया था. 

समय-समय पर इक स्कीम को अलग-अलग नियमों के तहत और मजबूत और विस्तारित किया गया. हालांकि, सितंबर 2021 में, 2021-22 से 2025-2 तक सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में गर्म पका हुआ भोजन प्रदान करने के लिए इस योजना का नाम बदलकर पीएम पोषण (पोषण शक्ति निर्माण) योजना कर दिया गया. इस योजना में देश भर के 11.20 लाख स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 11.80 करोड़ बच्चे शामिल हैं. 

राष्ट्रीय परिवार कार्यक्रम
भारत दुनिया का पहला देश था जिसने 1952 में परिवार नियोजन के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया था. समय-समय पर यह प्रोग्राम कई तरह के बदलावों से गुजरा और वर्तमान में न केवल जनसंख्या स्थिरीकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बल्कि रिप्रोडक्टिव हेल्थ को बढ़ावा देने और मातृ, शिशु और बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए पुन: स्थापित किया जा रहा है. 

ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी
डायरिया बच्चों के लिए जानलेवा है और डब्ल्यूएचओ और मातृ एवं बाल महामारी विज्ञान अनुमान समूह (एमसीईई) के अनुमान के मुताबिक, 2019 में दुनिया भर में 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 9% बच्चों की मृत्यु इसी कारण हुई. इसका मतलब है कि हर दिन 1,300 से ज्यादा छोटे बच्चे या साल भर में लगभग 4,84,000 बच्चों की मौत डायरिया के कारण हो रही है. 

जबकि इसका साधारण से उपाय है और वह है ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी (ओआरटी). यह डायरिया के कारण हुए डीहाइड्रेशन का इलाज करने के लिए ओरली लिए जाने वाला नमक और चीनी-आधारित घोल है. यह ग्लूकोज-इलेक्ट्रोलाइट घोल है जिसे ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ओआरएस) घोल कहा जाता है. यह हमारे शरीर के तरल पदार्थों को संतुलित करने और हाइड्रेशन को प्रबंधित करने में मदद करता है. विश्व ओआरएस दिवस हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है ताकि ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ओआरएस) के महत्व को उजागर किया जा सके. 

द अरविंद मॉडल: ए मिशन टू एलिमिनेट नीडलेस ब्लाइंडनेस
जी. वेंकटस्वामी जिन्हें लोकप्रिय रूप से 'डॉ वी' के नाम से जाना जाता है, अरविंद आई हॉस्पिटल्स के संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष थे. अपने जीवनकाल के दौरान, डॉ वी ने भारत में अंधेपन की समस्या से निपटने के लिए कई इनोवेटिव कार्यक्रम शुरू किए, जैसे आंखों की देखभाल में आउटरीच कैंप (1960) और दृष्टिहीनों के लिए पुनर्वास केंद्र (1966). अंधेपन के खिलाफ लड़ाई में उनके काम की मान्यता के लिए डॉ वी को भारत सरकार ने 1973 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा. 

अरविंद में एक साल में 4.5 लाख से ज्यादा आई सर्जरी की जाती हैं, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा आईकेयर प्रोवाइडर बनाता है. अपनी स्थापना के बाद से, अरविंद ने 78 लाख (7.8 मिलियन) से अधिक सर्जरी की हैं. अरविंद आई केयर सिस्टम अब भारत और शेष विश्व के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य करता है. 

भारत: दुनिया की फार्मेसी
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को दुनिया की फार्मेसी के रूप में पेश किया है क्योंकि COVID-19 महामारी के दौरान भारत ने बहुत से देशों को जरूरी दवाएं भेजीं. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में फार्मास्युटिकल्स सेक्टर के पहले ग्लोबल इनोवेशन समिट में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि चाहे वह जीवन शैली हो, या दवाएं, या चिकित्सा प्रौद्योगिकी, या टीके, स्वास्थ्य सेवा के हर पहलू में भारत ने पिछले दो वर्षों में पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है.

उन्होंने कहा, “कल्याण की हमारी परिभाषा भौतिक सीमाओं तक सीमित नहीं है. हम संपूर्ण मानव जाति के कल्याण में विश्वास करते हैं. और, हमने इस भावना को COVID-19 वैश्विक महामारी के दौरान पूरी दुनिया को दिखाया है. रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग की वार्षिक रिपोर्ट (2020-21) के अनुसार, भारतीय दवा उद्योग मात्रा के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और वैल्यू के मामले में 14वां सबसे बड़ा सेक्टर है.

दवाएं और ट्रीटमेंट हुए हैं सस्ते और सुलभ
भारत फार्मास्युटिकल्स विभाग द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं भी देश में दी जा रही हैं. भारत में 8,012 जनऔषधि केंद्रों में 1,616 दवाएं और 250 सर्जिकल आइटम सस्ते दर पर उपलब्ध हैं. जन ​​औषधि दवाओं की कीमत ब्रांडेड दवाओं के बाजार मूल्य से कम से कम 50 प्रतिशत और कुछ मामलों में 80 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक सस्ती है. 

पद्म भूषण डॉ देवी शेट्टी 65,000 रुपये में हार्ट सर्जरीज करती हैं. 2001 में, डॉ शेट्टी ने बेंगलुरु के बोम्मासांद्रा में 1,000 से अधिक बिस्तरों वाले दुनिया के सबसे बड़े हृदय अस्पताल, नारायण हृदयालय की स्थापना की. भारत ने वास्तव में विभिन्न स्वास्थ्य क्षेत्रों में सफलता हासिल की है, लेकिन स्वास्थ्य का अधिकार अभी भी मौलिक अधिकार नहीं है. हमें एक लंबा रास्ता तय करना है और एक स्वस्थ राष्ट्र बनने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है. 

 

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