हाई ब्लड प्रेशर शरीर के लिए काफी खतरनाक होता है. इसके बढ़ने से सबसे अधिक खतरा हमारे हृदय को होता है. हाई ब्लड प्रेशर के कारण हार्ट अटैक से लेकर स्ट्रोक जैसी जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है. वैश्विक स्तर पर बढ़ती हृदय रोगों की समस्या के बारे में लोगों को जागरूक करने और बचाव के तरीकों के बारे में शिक्षित करने के लिए हर साल 17 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे मनाया जाता है.
वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे का इतिहास
वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग हाई ब्लड प्रेशर से निपटने वाले 85 देशों के संगठनों का एक समूह है. वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग ने साल 2005 में 14 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे की शुरुआत की थी. 2006 से वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे 17 मई को मनाया जाता है.
क्या है इस साल की थीम
साल 2023 के लिए वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे की थीम 'अपने ब्लड प्रेशर को सटीक रूप से मापें, इसे नियंत्रित करें, लंबे समय तक जीवित रहें' है.
हाई ब्लड प्रेशर क्या है?
उच्च रक्तचाप, हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन नाम तीन लेकिन समस्या एक ही है. रक्तचाप से जुड़ी यह एक ऐसी समस्या है जिसपर अधिकतर लोग कोई ध्यान नहीं देते हैं. हमारा दिल पूरे शरीर में रक्त को पंप करता है, ताकि शरीर के सभी अंगों को ऑक्सीजन के साथ-साथ बाकी सभी जरूरी पौषक तत्व मिल सके. दिल के रक्त को पंप करने के दौरान रक्त जिस दबाव से रक्त धमनियों की दीवारों से टकराता है उस दबाव को रक्तचाप यानि ब्लड प्रेशर कहा जाता है. अगर रक्त, रक्त धमनियों की दीवारों पर तेज दबाव बनता है तो उसे हाई ब्लड प्रेशर यानि उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) कहा जाता है.
लो ब्लड प्रेशर
यदि रक्त धीमी गति या दबाव से रक्त धमनियों की दीवारों से टकराता है तो उसे लो ब्लड प्रेशर कहा जाता है. जब हमारा दिल शरीर में रक्त प्रवाह करने के लिए सिकुड़ता है, उस समय रक्त प्रवाह का दबाव सबसे ज्यादा होता है, इस दबाव के माप को प्रंकूचक (सिस्टोलिक) दबाव कहा जाता है. वयस्कों के लिए सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg माना जाता है. 140/90 mmHg से अधिक ब्लड प्रेशर को वयस्कों के लिए हाई माना जाता है और 90/60 mmHg को कम माना जाता है.
हाइपरटेंशन होने पर दिखाई देते हैं ये लक्षण
हाइपरटेंशन की पहचान कर पाना काफी आसान होता है. क्योंकि जब किसी व्यक्ति को हाइपरटेंशन की समस्या होती है तो उसके काफी लक्षण दिखाई देते हैं. जैसे सिरदर्द, सांस फूलना, थकान या भ्रम, छाती में दर्द, पसीने आना, घबराहट होना, धुंधला नजर आना, उल्टियां आना, सांस लेने में तकलीफ, अनियमित दिल की धड़कन, अचानक से ज्यादा प्यास लगना, छाती, गर्दन और कान में तेज दर्द होना. यदि आप इन लक्षणों को अपने अंदर महसूस कर रहें हैं तो आपको तुरंत ही इस बारे में अपने चिकित्सक से बात करनी चाहिए और हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर का उपचार शुरू करना चाहिए.
क्यों होती है हाइपरटेंशन की समस्या
आमतौर पर हाइपरटेंशन होने के पीछे का कारण है खाना. यदि कोई व्यक्ति ज्यादा नमक या ज्यादा मसालेदार खाना खाता है तो उसे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है. लेकिन हर उम्र वर्ग में हाई ब्लड प्रेशर होने के कारण या जोखिम के कारक अलग हो सकते हैं. कुछ लोगों में हाई ब्लड प्रेशर का कारण वंशानुगत होता है. हाई ब्लड प्रेशर होने के कारणों में धूम्रपान करना, बढ़ती उम्र, ल्यूपस रोग, मोटापा, शराब का अधिक सेवन करना, मानसिक और शारीरिक तनाव, रक्त से जुडी कोई अन्य समस्या, हृदय से जुड़ी कोई समस्या, किडनी से जुड़ी कोई समस्या आदि हो सकते हैं.
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर एकसाथ है खतरनाक
डॉक्टरों के अनुसार डायबिटीज की वजह से खून की नसों में थक्का जमना शुरू हो जाता है और यह नसों को सिकोड़ देती है. यह हाई ब्लड प्रेशर की शुरुआत का मुख्य कारण है. डायबिटीज के कारण किडनी की नसें भी सिकुड़ने लगती हैं और उसपर प्रेशर बढ़ने लगता है. जिस वजह से नसों पर तनाव बढ़ जाता है और ब्लड प्रेशर हाई रहना शुरू हो जाता है.
ऐसे करें बचाव
हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से कुछ उपाय करके बचा जा सकता है. इसके लिए सबसे पहले आप अपने आहार में उचित परिवर्तन करें जिसके लिए नमक की मात्रा और मासालों की मात्रा को कम करने के अलावा डॉक्टर की सलाह से कई बदलाव कर सकते हैं. लक्षणों की पहचान करने के बाद आप अपने चिकित्सक की सलाह से दवाओं की सहायता से भी इस गंभीर समस्या से बड़ी आसानी से छुटकारा पा सकते हैं. कोशिश करें कि आप घर पर बना खाना ही लें, डिब्बाबंद और जंक फूड खाने से बचें. एक दिन में 1500 मिलीग्राम से कम मात्रा में नमक ही का सेवन करें. लो फैट और ढेर सारे फाइबर वाली चीजों को आहार में शामिल करने से भी इस समस्या को कम किया जा सकता है.
इन विटामिनों की शरीर में नहीं होने दें कमी
शरीर में पोटेशियम की कमी नहीं होने दें. शोधकर्ताओं ने पाया कि पोटेशियम रक्त वाहिकाओं की दीवारों को आराम देता है, जिससे रक्तचाप को कंट्रोल करने में मदद मिलती है. विटामिन-डी की कमी से हाई ब्लड प्रेशर होने का खतरा रहता है. अपने आहार में इसकी मात्रा जरूर सुनिश्चित करें. विटामिन-डी की ही तरह विटामिन-के का भी शरीर में कम स्तर हाई ब्लड प्रेशर के जोखिमों को बढ़ाने वाला माना जाता है. विटामिन-के की कमी भी शरीर में नहीं होने देना चाहिए.