World Malaria Day 2022: उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ से लेकर आंध्र प्रदेश तक, मलेरिया की रोकथाम के लिए देशभर में चलाए जा रहे हैं अलग-अलग अभियान

World Malaria Day 2022: हर साल 25 अप्रैल को World Malaria Day मनाया जाता है. इसकी शुरुआत साल 2007 में हुई था ताकि लोगों को इस बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जा सके.

World Malaria Day 2022 (Representative Image)
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 25 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 10:09 AM IST
  • आज है World Malaria Day 2022
  • देशभर में मलेरिया की रोकथाम के लिए चल रहे अभियान

विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day 2022) हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य लोगों को मलेरिया की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों के बारे में जागरूक किया जा सके. इस दिवस की स्थापना WHO के सदस्य राज्यों ने 2007 में की थी. 

मलेरिया का इलाज मुमकिन है और इसे रोका जा सकता है. फिर भी दुनिया भर में इसका घातक प्रभाव काफी ज्यादा है. टाइम्स नाओ की रिपोर्ट के मुतीबिक साल 2020 में मलेरिया के अनुमानित 241 मिलियन नए मामले सामने आए थे. और 85 देशों में 6,27,000 मलेरिया से संबंधित मौतें हुईं. इसमें से दो तिहाई से अधिक मौतें डब्ल्यूएचओ अफ्रीकी क्षेत्र में रहने वाले 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की हुईं. 

विश्व मलेरिया दिवस 2022 की थीम

हर साल इस दिन को मनाने के लिए एक थीम रखी जाती है और सालभर इसके इर्द-गिर्द काम होता है. विश्व मलेरिया दिवस 2022 की थीम "मलेरिया बीमारी के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग" है. इसका मतलब है कि इस बीमारी से निपटने के लिए इनोवेशन पर ध्यान देना. 

भारत में मलेरिया की स्थिति

मलेरिया भारत में भी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है. हालांकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आंकड़ों के अनुसार, देश में मलेरिया के मामले नब्बे के दशक से कम हुए हैं. 90 के दशक के अंत में देश में दो मिलियन से ज्यादा सालाना मामले थे पर 2020 में यह संख्या घटकर 0.12 मिलियन सालाना हो गई है. 

इसी तरह मलेरिया से होने वाली मौतों की संख्या 1995 में सालाना 1,151 से घटकर 2020 में केवल 93 रह गई.  

मलेरिया से निपटने के लिए भारतीय राज्यों की 5 महत्वपूर्ण पहलें:

1.  यूपी सरकार का 'दस्तक अभियान': राज्य को 2030 तक मलेरिया मुक्त बनने का लक्ष्य

उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में संचारी रोगों (कम्यूनिकेबल डीजीज) को खत्म करने और 2030 तक इसे मलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में काम कर रही है. इसलिए राज्य सरकार ने मलेरिया सहित संचारी रोगों के प्रसार को रोकने के लिए 'दस्तक अभियान' शुरू किया है. आशा और आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को जल और मच्छरों से होने वाली विभिन्न बीमारियों के बारे में लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. 

2. दमन (DAMaN): ओडिशा सरकार का कार्यक्रम

ओडिशा में साल 2017 में दमन (DAMaN) - दुर्गामा अंचल रे मलेरिया निराकरण (या दूरदराज की जगहों पर मलेरिया का नियंत्रण) नामक एक कार्यक्रम शुरू किया. इस अभियान के तहत, राज्य के दुर्गम और दूरस्थ इलाकों में साल में दो बार अप्रैल-जून और सितंबर-अक्टूबर में 'मलेरिया कैंपस' में सामूहिक स्क्रीनिंग आयोजित की जाती है. 

दमन के तहत, दूरदराज के इलाकों की पूरी आबादी का मलेरिया टेस्ट होता है. भले ही किसी को बुखार या मलेरिया के लक्षण हों या न हो. साथ, गरों के अंदर मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए एक खास तरह का स्प्रे भी घरों का दीवारों और छतों पर किया जाता है. 

3. फ्राइडे-ड्राईडे: मलेरिया पर अंकुश लगाने के लिए आंध्र प्रदेश की एक पहल

आंध्र प्रदेश को केंद्र सरकार से मलेरिया उन्मूलन में बेहतरीन प्रयासों के लिए बेस्ट परफॉर्मर का पुरस्कार और सराहना मिली है. यह पुरस्कार विश्व मलेरिया दिवस कार्यक्रम में राज्य सरकार को दिया जाएगा. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने पंचायत राज, ग्रामीण जल आपूर्ति और नगर प्रशासन विभागों के साथ ग्राम और वार्ड सचिवालय स्तर पर फ्राइडे-ड्राईडे (शुक्रवार-शुष्क दिवस) जैसे कार्यक्रमों को लागू करने के लिए सहयोग किया. 

इससे राज्य में मलेरिया के मामलों की संख्या कम हुई है. राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि प्रत्येक शुक्रवार को सभी लोग अपने आसपास साफ-सफाई करें और मच्छरों के प्रजनन को नियंत्रित करें. इस साल अब तक राज्य में मलेरिया के केवल 117 मामले सामने आए हैं. 

4. छत्तीसगढ़ में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान

दक्षिण छत्तीसगढ़ के जिलों में माओवाद के अलावा मलेरिया भी राज्य सरकार के लिए एक बड़ी समस्या बना हुआ है. इस मुद्दे से निपटने के लिए, छत्तीसगढ़ सरकार ने जनवरी 2020 में 'मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान' (मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान) शुरू किया. 

बस्तर में अभियान की सफलता के बाद, सरकार ने इस कार्यक्रम को राज्य के बाकी हिस्सों में भी शुरू कर दिया. इस साल, छत्तीसगढ़ को मलेरिया के खिलाफ अपने सफल अभियान के लिए विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है. 

5. मलेरिया के खिलाफ तेलंगाना की लड़ाई

तेलांगना टुडे के मुताबिक, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP), स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (DGHS) और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MOHFW), नई दिल्ली की भारत में मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रूपरेखा (NFMEI) पहल के हिस्से के रूप में, तेलंगाना राज्य ने 2015 और 2021 के बीच मलेरिया को खत्म करने के महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं. जिनके लिए राज्य को राष्ट्रीय मान्यता और प्रशंसा मिली है. 

पिछले कुछ वर्षों में राज्य भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं, नगर पालिकाओं और पंचायत विभागों को शामिल करते हुए अंतर-क्षेत्रीय सहयोग से राज्य में मलेरिया के मामलों की संख्या कम हुई है. 

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