ई-सिगरेट और वैपिंग युवा पीढ़ी के बीच काफी लोकप्रिय हो गई है. सोशल मीडिया चैनलों के प्रभाव और एक-दूसरे की देखा-देखी में लोग इसे पारंपरिक सिगरेट का एक सुरक्षित विकल्प मानते हैं. हालांकि, लोग वैपिंग के भी अब आदी होते जा रहे हैं. इसी को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 31 मई 2023 को WHO और दुनिया भर के पब्लिक हेल्थ चैंपियन वर्ल्ड नो टोबैको डे (WNTD) मनाते हैं. इस साल का थीम 'हमें भोजन की आवश्यकता है, तम्बाकू की नहीं' (We need food, not tobacco) रखा गया है. हाल के वर्षों में, वैपिंग और ई-सिगरेट की लोकप्रियता में वृद्धि ने चिकित्सा पेशेवरों और आम जनता के बीच समान रूप से चिंता पैदा कर दी है.
वैपिंग (Vaping) क्या है?
वैपिंग एक इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट है. ई-सिगरेट, जिसे आमतौर पर वेप पेन या ई-सिग्स के रूप में जाना जाता है. ये एक तरल घोल को गर्म करके काम करती है जिसमें आमतौर पर निकोटीन, फ्लेवरिंग और दूसरे केमिकल होते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इसका इस्तेमाल जितना अच्छा माना जाता था यह तरल पदार्थ सेहत के लिए उतना अच्छा नहीं है.
वैपिंग के प्रभाव
वैपिंग के दीर्घकालिक प्रभावों का लेकर अभी भी अध्ययन किया जा रहा है. इनके मुताबिक, ई-सिगरेट के उपयोग से फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंच सकता है. ई-सिगरेट या वैपिंग एसीटैल्डिहाइड, फॉर्मलडिहाइड और एक्रोलिन जैसे खतरनाक केमिकल का उत्पादन करता है. ये केमिकल दिल, फेफड़े और मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं. इनसे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. वैपिंग से खांसी, घरघराहट, सांस की तकलीफ और सीने में दर्द जैसी सांस संबंधी लक्षणों का जोखिम बढ़ जाता है. ये लक्षण फेफड़ों में जलन या सूजन के संकेत हो सकते हैं.
इससे हो सकती हैं गंभीर बीमारी
हाल के साल में, वैपिंग से जुड़ी फेफड़ों की गंभीर चोटों के मामले सामने आए हैं. 2019 में लैंसेट पत्रिका में छपे लेख में इस जानलेवा सांस की बीमारी के बारे में विस्तार से बताया गया है. इन मामलों को वैपिंग-एसोसिएटेड लंग इंजरी (VALI) या ई-सिगरेट या वैपिंग प्रोडक्ट यूज-एसोसिएटेड लंग इंजरी (EVALI) के रूप में जाना जाता है.
वैपिंग को छोड़ने के उपाय
आंकड़े बताते हैं कि लगभग 20-25% युवा वयस्क ई-सिगरेट और वैपिंग का उपयोग करते हैं. अस्वास्थ्यकर जीवन शैली और पार्टियों में वैपिंग का उपयोग और नशीले द्रव्यों का सेवन बढ़ रहा है. ऐसे में इस आदत को छोड़ने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं. जैसे-
-सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता और शिक्षा.
-नियमित शारीरिक व्यायाम और संतुलित आहार के साथ हार्ट-हेल्दी आदतों को बढ़ावा देना.
-योग और ध्यान.
-घर और काम की जगह पर तनाव में कमी.
-एक अच्छे हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह और सहायता
-डिस्ट्रेक्शन के लिए कोई नया शौक या एक्टिविटी में टाइम देना
-एक सपोर्ट ग्रुप से सहायता