World Rabies Day 2023: क्या है रेबीज, किन जानवरों के काटने पर होती है ये बीमारी और क्या है इसका इलाज... जानिए

इस बार वर्ल्ड रेबीज की थीम है ऑल फॉर वन, वन फॉर ऑल. आइए जानते है क्या है रेबीज और इस दिन को मनाने की शुरुआत कैसे हुई ?

World Rabies Day 2023
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 27 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST
  • 28 सितंबर को World Rabies Day
  • रेबीज की थीम है ऑल फॉर वन, वन फॉर ऑल

28 सितंबर को  World Rabies Day मनाया जाता है. रेबीज के बारे में  अवेयरनेस फैलाने के उद्देश्य से ये डे सेलिब्रेट किया जाता है. इस दिन को सेलिब्रेट करने की शुरुआत फ्रेंच केमिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिस्ट लुई पाश्चर की डेथ एनिवर्सिरी से हुई थी. लुई पाश्चर ने ही साल 1885 में पहली बार रेबीज की वैक्सीन को विकसित किया था. आज ये वैक्सीन जानवरों को रेबीज की बीमारी से बचाने के लिए लगाई जाती है और अगर कोई जानवर इंसान को काट ले तो उसको भी यह इंजेक्शन लगाया जाता है. इसके इस्तेमाल से इंसान के शरीर में रेबीज का वायरस नहीं फैलता है. जानकारी के लिए बता दें कि रेबीज डे को हर साल एक नई थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है. इस साल की थीम ऑल फॉर वन, वन हेल्थ फॉर ऑल (one for all, one health for all ) है.

क्या है रेबीज

रेबीज संक्रमित जानवरों के लार से फैलने वाली बीमारी है जो कुत्तों, बंदरों और बिल्लियों  के काटने पर इंसानों में फैलती है. आमतौर पर कुत्तों के काटने पर इंसानों में यह बीमारी फैलती है. यह बीमारी तब फैलती है जब कुत्तों को रेबीज का इंजेक्शन नहीं लगा होता है. ऐसे में संक्रमित कुत्ते ने अगर किसी इंसान को काट लिया तो उस व्यक्ति को भी रेबीज का खतरा होता है. लेकिन रेबीज के खतरे को इंजेक्शन लगाकर फैलने से रोका जा सकता है.

क्या है रेबीज के लक्ष्ण 

रेबीज के लक्ष्ण चार से छह सप्ताह के बीच डेवलप होते हैं. कभी -कभी 10 दिन से आठ महीने के बीच भी रेबीज के लक्ष्ण नजर आते हैं. यानि आठ महीने के अंदर इसके लक्षण देखे जा सकते हैं. ज्यादातर जो लक्ष्ण देखे जाते हैं उनमें बुखार, सिरदर्द, जी मिचलाना, घबराहट, चिंता, भ्रम,सक्रियता या नींद नहीं आने से लक्ष्ण सामने आते हैं. इंसानों में रेबीज ज्यादातर कुत्तों के काटने पर फैलती है. इलाज में देरी होने पर बीमार शख्स की मौत भी हो सकती है.

रेबीज का इलाज

 रेबीज का काई सीधा इलाज नहीं है. रेबीज को फैलने से रोकने के लिए टीके लगवाने चाहिए. ये इंट्रामस्कुलर वैक्सीन नाम का टीका होता है. इसकी 5 डोज दी जाती है. ये डोज काटने के तुरंत बाद, सातवें, 14 वें और 28 वें दिन पर दिया जाता है. अस्पतालों में दी जा रही एंटी रेबीज इंट्राडर्मल वैक्सीन के एक टीके की कीमत 750 रुपये है. बता दें कि वैक्सीन जी प्रोटीन को मिलाकर वायरस जैसी पार्टिकल तकनीक से तैयार किया जाता है. यह वैक्सीन पारंपरिक वैक्सीन से अलग होती है.

भारत में हर साल 20 हजार लोगों की रेबीज से डेथ

एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल 20 हजार लोगों की मौत रेबीज की बीमारी से हो जाती है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में कुत्तों के हमलों की संख्या करोड़ों में है. रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में हर साल 55 हजार लोगों की मौत कुत्तों के काटने से हो जाती है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की (CDC) की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में हर दिन कई लोग कुत्तों के काटने से मारे जाते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी की पूरी दुनिया में कुत्तों के काटने से मरने वाले 95 फीसदी लोग अफ्रीकी और एशियाई देशों से होते हैं.


 

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