World Sleep Day: नींद की कमी से जूझ रहे हैं भारतीय, जानिए कैसे सुधारें अपनी आदत और किसको सोना चाहिए कितने घंटे

World Sleep Day: आज के जमाने में बहुत सी वजहों से लोगों की नींद पूरी नहीं हो पाती है. हालांकि, वजह कोई भी हो लेकिन नींद की कमी न सिर्फ मेंटल हेल्थ बल्कि फिजिकल हेल्थ को भी प्रभावित होती है.

Good Night Sleep Matters
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 15 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 10:02 AM IST
  • गंभीर डिसोमनिया से जूझ रहे हैं एक तिहाई भारतीय
  • Mental Health पर पड़ता है नींद की कमी का असर

आज के जमाने में बहुत सी वजहों से लोगों की नींद पूरी नहीं हो पाती है. हालांकि, वजह कोई भी हो लेकिन नींद की कमी न सिर्फ मेंटल हेल्थ बल्कि फिजिकल हेल्थ को भी प्रभावित होती है. 

आज के समय में बहुत सी बीमारियों का कारण है नींद पूरी न होना. वजह चाहे जो भी हो लेकिन नींद की कमी ज्यादातर लोगों के जीवन की सच्चाई है. यही नींद की कमी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और इस कारण हमारा पूरा रूटीन और लाइफस्टाइल पर असर पड़ता है. अच्छी नींद हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है और इस बारे में जागरूकता फैलाने के लिए ही हर साल 15 मार्च को World Sleep Day के तौर पर मनाया जाता है. हालांकि, अच्छी नींद सिर्फ एक दिन बल्कि हर दिन की आदत होनी चाहिए.  

ये फैक्ट्स कर देंगे हैरान 
18 देशों में किए गए एक फिटबिट सर्वेक्षण के मुताबिक, भारतीय दुनिया में दूसरे सबसे ज्यादा नींद से वंचित लोग हैं. वहीं, बेंगलुरु में चेतना अध्ययन केंद्र, NIMHANS के मुताबिक, एक तिहाई भारतीय गंभीर डिसोमनिया से जूझ रहे हैं. आपको बता दें कि डिसोमनिया नींद से जुड़ी बीमारियों के ग्रुप को कहा जाता है. इन बीमारियों का नींद की मात्रा और क्वालिटी पर नकारात्मक असर होता है. इनसोमिया, हाइपरसोम्नोलेंस आदि इसके अंतर्गत आते हैं. 

मानसिक स्वास्थ्य पर नींद की कमी का बहुत असर पड़ता है. नींद की कमी तनाव और चिंता को बढ़ाती है. मूड, प्रोडक्टिविटी और मेंटल हेल्थ को बनाए रखने के लिए नियमित नींद प्राथमिकता देना जरूरी है. नींद की कमी के कारण इंसान बहुत सी बीमारियों का शिकार हो सकते हैं. अगर आपकी नींद अच्छी नहीं है तो आप चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग्स, फोकस कम होना, प्रोडक्टिविटी पर असर जैसे लक्षण महसूस करेंगे. इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी है अपने दिमाग को आराम देना. 

अच्छी नींद के लिए अपनाएं ये टिप्स 

  1. अपने शरीर की इंटरनल क्लॉक को कंट्रोल करने के लिए हर दिन एक ही समय पर, यहां तक ​​कि वीकेंड पर भी, सही समय से बिस्तर पर जाने और सुबह उठने का प्रयास करें. 
  2. आपका बेडटाइम रूटीन रिलेक्सिंग होना चाहिए. जैसे सोने से पहले दिमाग-मन को शांत करने वाली एक्टिविटीज करना, जैसे पढ़ना, मेडिटेट करना या गर्म पानी से नहाना, ताकि आपके शरीर को यह मैसेज जाए कि अब आराम करने का समय हो गया है. 
  3. रात के समय अपने कमरे में अंधेरा रखें, और इसे शांत और ठंडा रखकर सोने के लिए अनुकूल बनाएं. आरामदायक गद्दे और तकिए रखें ताकि सोते समय आपको सिर्फ आराम महसूस हो.  
  4. सोने से पहले अपना स्क्रीन टाइम कम से कम करें. स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट के संपर्क में आने से मेलाटोनिन प्रोडक्शन में परेशानी हो सकती है, जिससे सोना मुश्किल हो जाता है. 
  5. सोते समय भारी भोजन, कैफीन और शराब के सेवन से बचें, क्योंकि इन सबसे अच्छी नींद नहीं आती है. 
  6. नियमित व्यायाम करने से भी बेहतर नींद की क्वालिटी को बढ़ावा मिल सकता है, लेकिन सोने के समय के किसी भी तरह की एक्सरसाइज से बचें बल्कि उस समय सिर्फ मेडिटेट करें. 

किसको कितनी नींद चाहिए:

  • एडल्ट: 7-9 घंटे 
  • टीनेजर्स: 8 से 10 घंटे 
  • बच्चे: शिशुओं के लिए 14 घंटे तक 


स्लीप ए होम सॉल्यूशंस कंपनी के सर्वे के मुताबिक, 87% भारतीय सोने से पहले अपने फोन का उपयोग करते हैं. 25-34 आयु वर्ग के 78% लोग देर तक सोशल मीडिया ब्राउज़ करते रहते हैं. काम के घंटों के दौरान नींद आने वाले लोगों की संख्या में 21% की बढ़ोतरी हुई है. 

 

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